नमक खाकर भी भारत के खिलाफ आग उगलते नेताजी !
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इन दिनों आम चुनाव का दौर चल रहा है चुनाव में सभी दलों द्वारा अपने पक्ष में मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम तरह की बयानबाजी की जाती है । ऐसे भी बयान वीर नेता हैं जिनकी जहरीली बयान बाजी में देश के हितों के खिलाफ सुर निकलने लगे हैं तो ऐसे नेताओं को देश के नमक के साथ गद्दारी करने का खिताब दिया जाए तो कुछ भी अनुचित नहीं है। आपको बता दें कि पाकिस्तान के कब्जे वाला गुलाम कश्मीर हमारा था, हमारा है और हमारा ही रहेगा।' यह वाक्य दशकों से दोहराया जाता रहा है, अब भी दोहराया जा रहा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक चुनावी सभा में यही बयान दोहराया तो कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को जैसे तन बदन में जलन लग गई। गुलाम कश्मीर संबंधी बयान पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'पाकिस्तान ने चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं और उसके पास परमाणु हथियार हैं।'यह बयान कोई पाकिस्तानी नेता ने नही भारत का नमक खाकर भारत में लम्बे अर्से तक सत्ता सुख और तमाम सुविधाओं का भोग करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने दिया इस से अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है?
अब आपको देश की अस्मिता से जुड़े एक अन्य मामले में पंजाब के एक पूर्व मुख्यमंत्री के अत्यंत शर्मनाक बयान से रूबरू कराते हैं। आपको पता होगा अभी दो दिन पूर्व पुंछ में वायुसेना के काफिले पर घात लगाकर किए गए आतंकी हमले में एक जवान शहीद हो गया और चार अन्य घायल हो गए। सेना पूरे क्षेत्र की तलाशी ले रही है और दो आतंकियों के स्कैच जारी कर उनकी जानकारी देने वालों के लिए 20 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी को यह हमला 'चुनावी स्टंट' नजर आ रहा है। उन्होंने इस तरह का बयान दे कर अपनी घटिया मानसिकता का परिचय दिया है।
आइए एक और सबसे जहरीली बयान बाजी से आपको रूबरू कराने की कोशिश करते हैं आप को याद होगा कि 2008 में मुंबई में ताज होटल पर घातक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें मुंबई की आतंकरोधी शाखा के प्रमुख हेमंत करकरे की जान भी चली गई थी। अब इस मामले को लेकर एक कांग्रेसी नेता ने ऐसा बयान दिया है जिसमें एक शहीद की शहादत में भी राजनीति की एंट्री कर दी गई है।
महाराष्ट्र के एक कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने बयान दिया है कि हेमंत करकरे आतंकी की गोली से नही शहीद हुए। इस नेता ने कहा है कि आतंकवादी अजमल कसाब ने नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने तत्कालीन आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे की हत्या की थी।यह तो घटिया राजनीति की चरम स्तर की गिरावट है।
आखिर भारतीय राजनीति में पतन का यह दौर क्यों आ रहा है ऐसा कौन सा वोटर वर्ग है जो इस तरह के विवादास्पद बयान से खुश होता है जिस के वोट पाने के लिए नेताओं द्वारा इस तरह की बेहद शर्मनाक व देश के हित और स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने वाली बयान बाजी की जा रही है। दरअसल ये बयान ऐसे हैं, जिनमें पाकिस्तान का समर्थन करने की नीयत साफ नजर आती है। पहले फारूक अब्दुल्ला और बाद में उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने जमकर कश्मीर की सत्ता की मलाई चट की है। उनके राज में कश्मीर में न केवल अलगाववाद चरम पर पहुंचा, बल्कि पाकिस्तानी आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों का खुलेआम नरसंहार भी किया और रातोंरात मस्जिदों से माइक पर एलान कर घाटी के हिंदू पंडितों को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया गया । इनके राज में कश्मीर में भारत की बजाय पाकिस्तान के झंडे लहराते थे, देश की रक्षा करने वाले रक्षाबलों पर पथराव किया जाता था। लालचौक से लेकर स्टेडियम तक आतंकवाद के अड्डे बना दिये गये थे यह वही फारूक अब्दुल्ला हैं, जिन्होंने कश्मीर से धारा 370 हटाने पर 'चीन की मदद से उसे पुनः वापस लाने की बात कही थी।
यह तथ्य देश में ही नहीं पूरे विश्व में सर्वविदित है कि कश्मीर में आतंकी हमले पाकिस्तानी आतंकी करते हैं, ऐसे में चरणजीत सिंह चन्नी का बयान भी पाकिस्तानी आकाओं की हरकत पर परदा डाल कर उनकी तरफदारी करने वाला है, क्योंकि वह इसका इल्ज़ाम राजनीतिक लाभ के लिए अपने देश की सरकार पर ही थोप रहे हैं और अपने शहीद सैनिकों की शहादत पर सवाल खड़े कर रहे हैं।यह मानसिकता खतरनाक है। आपको याद होगा कि दिल्ली के जामिया नगर इलाक़े में 19 सितंबर, 2008 को एक मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकवादी और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा की मौत हो गई थी. मारे गए संदिग्धों की पहचान आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद के रूप में हुई थी. बाद में दो संदिग्ध बाटला हाउस इलाके से गिरफ़्तार भी किए गए थे. उन दिनों दिल्ली पुलिस भी दिल्ली की कांग्रेस सरकार के अधीन थी लेकिन वोट की राजनीति के चलते पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मुठभेड़ पर सवाल उठाए थे।
यही सिलसिला जारी है अब भी महाराष्ट्र के एक कांग्रेसी नेता जी कसाब की तरफदारी कर एक राष्ट्रवादी संगठन के सिर एक एटीएस अधिकारी का इल्ज़ाम मढने से नहीं चूक रहे हैं। पुलवामा हमले के समय भी शहादत पर इसी तरह की राजनीति की गई थी और अब फिर कांग्रेस नेता वैसी ही बात कर रहे हैं। ऐसा ही हाल महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता वडेट्टीवार का है, जिसमें वे पाकिस्तानी आतंकियों की करतूत को छिपाने के लिए आरएसएस पर निशाना साध रहे हैं। देश भूला नहीं है कि मुंबई के आतंकी हमले को किस तरह कांग्रेस नेताओं ने हिन्दू आतंकवाद का रूप देने की कोशिश की थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने तो भगवा आतंकवाद के नाम से किताब तक जारी कर दी थी।यह भारतीय राजनीति के ऐसे निर्लज्ज किरदार हैं जिन्होंने तमाम राष्ट्र की भावनाओं को आहत करते हुए पाकिस्तान परस्ती की मिसाल पेश की। ये दुश्मन की इस तरह बेशरमी से पैरवी करने वाले नेता भला देश का क्या भला करेंगे? केवल यही नहीं, देश को भीतर से तोड़ने की कोशिशें भी जारी हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहते हैं हम सत्ता में आए तो आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा ही हटा देंगे, जिसको जितना चाहिए, उसे उतना आरक्षण देंगे।' कौन नहीं जानता कि आरक्षण ने किस तरह देश को खोखला किया है, प्रतिभाओं का पलायन हुआ है, आरक्षण की आड़ में अनेक प्रतिभाओं से अवसर छीन लिए गए... फिर भी उसी आरक्षण को और बढ़ाने की बात देशहित में तो नहीं है।
देश में अनेक तथाकथित सामाजिक संस्थाओं पर आरोप लगते रहते हैं कि वे विदेशी आकाओं से पैसे लेकर देश के विरुद्ध काम करती हैं। हाल ही में शिकंजे में आए न्यूजक्लिक के संस्थापक हों, आतंकी संगठन घोषित किए जा चुके पीएफआई के नेता हों, सीएए विरोधी दंगों के पैरोकार हों... सब पर ऐसे ही आरोप हैं। हद तो तब हो गई जब आम आदमी पार्टी भी प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन सिक्ख फॉर जस्टिस से 133 करोड़ रुपये का लेने के आरोपों से घिर गई है। दिल्ली के राज्यपाल ने इसकी जांच एनआईए से कराने के आदेश दिए हैं।यह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए नयी मुसीबत साबित हो सकता है। लालच में कई लोग किस हद तक निम्न स्तर तक जा रहे हैं, यह देश की सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत खतरनाक है, बल्कि अत्यंत निम्नस्तरीय राष्ट्रीय हित के विपरीत इस तरह की विध्वंसक व देश को तोड़ने वाली मानसिकता को समय रहते सख्ती से कुचला जाना चाहिए। सिर्फ एक खास समुदाय को प्रभावित करने के लिए उन्हें मुख्य धारा से अलग रखने के लिए कट्टरपंथी विचारों को बल देकर पाक परस्त सोच का संरक्षण और समर्थन करना देश द्रोह से कम नहीं है। देश की आम जनता को ऐसे राजनीतिक दलों व नेताओं का इस चुनाव में मतदान के जरिए पिंडदान कर देना चाहिए ताकि ऐसे घटिया मनोवृति वाले लोगों से राजनीति को कलुषित होने से बचाया जा सके।
मनोज कुमार अग्रवाल
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