swatantra vichar
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

साहित्य सत्य की साधना और संस्कृति का पर्याय

साहित्य सत्य की साधना और संस्कृति का पर्याय भारतीय अर्वाचीन संस्कृति का दार्शनिक चिंतन सदैव इस बात पर केंद्रित रहा है कि मनुष्य केवल शरीर नहीं, बल्कि चेतना का संवाहक है। यह चेतना जब अभिव्यक्ति के किसी व्यक्त रूप में प्रवाहित होती है, तो वही अभिव्यक्ति का परिवर्जित...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

देशी बीज: धरती की धड़कन, स्वराज की साँस

देशी बीज: धरती की धड़कन, स्वराज की साँस [बीज पर अधिकार — अन्नदाता की आज़ादी का सवाल] [धरती की संतानों का स्वाभिमान—देशी बीज आंदोलन] भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसकी सभ्यता की नींव मिट्टी और बीज से गहराई से जुड़ी हुई है।...
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विचारधारा  स्वतंत्र विचार 

जेमिमा रोड्रिग्स- आस्था के आँसू और बौद्धिक कुप्रचार का खेल

जेमिमा रोड्रिग्स- आस्था के आँसू और बौद्धिक कुप्रचार का खेल देश इस समय ख़ुमारी में है। महिला क्रिकेट का विश्व कप जीत कर जहाँ एक ओर देशवासी जीत के जश्न में हैं वहीं दूसरी तरफ एक खिलाड़ी की आड़ में कुप्रचार के एक ऐसे खेल से जूझ रहे हैं जो...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

गरीबी हटाओ अब सिर्फ चुनावी जुमला नहीं हकीकत बन रहा है 

गरीबी हटाओ अब सिर्फ चुनावी जुमला नहीं हकीकत बन रहा है  साठ साल तक गरीबी हटाओ सिर्फ एक चुनावी जुमला रहा जिसे खूब उछाला गया लेकिन नतीजा ठेंगा निकला लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद गरीबी हटाओ सिर्फ लोक लुभावन नारा नही है ऐसा खुद विश्वबैंक मानता है। पिछले एक...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

पिच पर नहीं, इतिहास के हृदय पर लिखा गया ‘भारत विजेता’

पिच पर नहीं, इतिहास के हृदय पर लिखा गया ‘भारत विजेता’ [जब मैदान बोला — ‘यह भारत की बेटियों का युग है] [बेटियों ने खेला नहीं, गढ़ा — एक नया भारत, एक नया युग] जब महिला विश्व कप 2025 के फाइनल की आखिरी गेंद फेंकी...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

गरीबी-मुक्त भारत का सपना, केरल ने दिखाया रास्ता

गरीबी-मुक्त भारत का सपना, केरल ने दिखाया रास्ता [गरीबी के पार: नव केरल का उज्ज्वल घोष] [केरल ने कर दिखाया: सपनों की धरती अब गरीबी से मुक्त] केरल की पावन धरती, जहां नारियल के हरे-भरे बागान समुद्र की लहरों से आलिंगन करते हैं...
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विचारधारा  स्वतंत्र विचार 

प्रदेश की अर्थव्यवस्था के अनुरूप हों चुनावी घोषणाएँ

प्रदेश की अर्थव्यवस्था के अनुरूप हों चुनावी घोषणाएँ लोकतंत्र में चुनाव केवल सत्ता प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि जनहित और नीति-निर्माण की दिशा तय करने का माध्यम होते हैं। जनता हर बार यह उम्मीद करती है कि जो भी दल सत्ता में आए, वह उसके जीवन में वास्तविक...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

भारत के बढ़ते कद के नेपथ्य में कुशल नेतृत्व, सामूहिक चेतना और प्रगतिशील विचारों का योगदान

भारत के बढ़ते कद के नेपथ्य में कुशल नेतृत्व, सामूहिक चेतना और प्रगतिशील विचारों का योगदान भारत आज विश्व पटल पर एक ऐसी शक्ति बनकर उभरा है जिसकी अनदेखी अब कोई भी राष्ट्र नहीं कर सकता। यह भारत का ऐतिहासिक पुनर्जागरण काल है जहां विकास, विज्ञान, तकनीक, कूटनीति और आत्मविश्वास एक साथ अपनी पराकाष्ठा पर हैं।...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

महाभारत कालीन अतीत समेटे है गढ़मुकतेश्वर कार्तिक मेला 

महाभारत कालीन अतीत समेटे है गढ़मुकतेश्वर कार्तिक मेला  पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गढ़ मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला मेला महाभारत कालीन अतीत से जुड़ा है।भारत की सनातन संस्कृति के लिए यह मेला और यहां का पवित्र गंगा स्नान देश और दुनिया के पर्यटन के लिए भी...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

भारत-अमेरिका रक्षा समझौता: 10 वर्षीय साझेदारी के नए आयाम

भारत-अमेरिका रक्षा समझौता: 10 वर्षीय साझेदारी के नए आयाम [दो लोकतंत्र, एक लक्ष्य: सुरक्षा से समृद्धि तक का ऐतिहासिक करार][सहयोग से सामर्थ्य तक: भारत-अमेरिका रक्षा सूत्र की अविचल गूंज]हिंद महासागर की अथाह गहराइयों में, जहां हर लहर वैश्विक शक्ति-संतुलन की कहानी...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

कब खत्म होगा भगदड़ में मौतों का सिलसिला? 

कब खत्म होगा भगदड़ में मौतों का सिलसिला?  हमारे देश में भीड़ में मची भगदड़ में आम आदमी का दब कुचलकर मरना अब एक नियती सी बन गयी है। कुंभ के मेले से लेकर खेल के मैदान, राजनेताओं की सभा, फिल्म सितारों के जश्न, कथावाचकों के पांडालों और...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

दक्षिण एशिया में विदेशी साजिश के संकेत और मोदी की सुरक्षा का प्रश्न

दक्षिण एशिया में विदेशी साजिश के संकेत और मोदी की सुरक्षा का प्रश्न दक्षिण एशिया आज वैश्विक भू-राजनीतिक मानचित्र का वह केंद्र बन चुका है, जहाँ विश्व की महाशक्तियों – अमेरिका, चीन और रूस – की प्रतिस्पर्धा और उनके रणनीतिक सहयोग दोनों की जटिल रेखाएँ एक दूसरे को काटती हैं।   इस...
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