25 लाख भारतीय वोटरों को नाराज कर सकती है सुनक सरकार: ब्रिटेन
ब्रिटेन सरकार भारतीय छात्रों को बड़ा झटका देने की तैयारी कर रही है। माडिया रिपोर्ट के अनुसार ऋषि सुनक सरकार की माइग्रेशन एडवाइजरी कमिटी ने ग्रेजुएट वीजा रूट को लेकर ऐसी रिपोर्ट बनाई है जो ब्रिटेन में बसे 25 लाख भारतीय वोटरों को नाराज कर सकती है। ग्रेजुएट वीजा रूट बंद करने को लेकर तैयार की गई यह रिपोर्ट आज सुनक कैबिनेट में पेश की जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार अगर इस योजना के प्रावधान लागू होते हैं तो हर साल करीब 91 हजार भारतीय छात्रों को ग्रेजुएशन रूट से वीजा एंट्री नहीं मिल पाएगी। अभी हर साल करीब 1 लाख 30 हजार भारतीय छात्रों को इसके जरिए एंट्री मिलती है। कटौती के बाद केवल 39 हजार छात्रों को ही एंट्री मिल पाएगी।
बता दें कि 2021 में शुरू हुए ग्रेजुएशन वीजा रूट से भारतीय और अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मास्टर्स पढ़ाई पूरे होने के दो साल तक ब्रिटेन में रहने और जॉब करने की अनुमति मिलती है। ब्रिटेन के गृहमंत्री जेम्स क्लैवरली का कहना है कि देखने में आया है कि इस वीजा का इस्तेमाल छात्र इमिग्रेशन पाने के लिए करते हैं।तीन साल पहले 6 लाख छात्रों को यहां एंट्री मिली थी।
यही नहीं सरकार की इस प्लानिंग से चुनावी साल में भारी असर पड़ेगा। विपक्ष की लेबर पार्टी के अध्यक्ष कीथ स्ट्रेमर का कहना है कि सरकार के इस फैसले से ब्रिटेन में रहने वाले 25 लाख भारतीय वोटर नाराज हो जाएगे। छात्रों को ग्रेजुएशन वीजा मिलने से उनका इमिग्रेशन का दावा मजबूत होता है,
क्योंकि पढ़ाई के दो साल तक स्टे की छूट मिलने से इन छात्रों को स्किल्ड वर्कर की कैटिगरी मिल जाती है। भारतीय छात्रों में से लगभग 80 प्रतिशत यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग अथवा लॉ की पढ़ाई के लिए आते हैंऔर पढ़ाई के बाद इन्हें एक्सटेंडेंड स्टे के दौरान स्किल्ड वर्कर की सैलरी मिलती है।
पूर्व शिक्षा मंत्री निक्की मोर्गन ने सुनक सरकार की इस प्लानिंग पर कहा कि इसके लागू होने से हर साल फीस के 2 लाख करोड़ रुपए मिलने बंद होंगे और इसका असर देश की इकोनॉमी पर पड़ेगा। सेंट एंड्रृज यूनिवसिर्टी की चांसलर सैली मैपस्टोन का कहना है।
कि भारतीय छात्र मेडिकल इंजीनियरिंग की जॉब में अपना योगदान देते हैं। 2021 में ब्रिटेन जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 87045 थी, जो 2022 में बढ़कर 139700 हो गई. वहीं, 2023 में 130000 छात्र ब्रिटेन पढ़ाई के लिए पहुंचे हैं।
बता दें कि ग्रेजुएट रूट वीजा के तहत ब्रिटेन से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्र देश में काम करने, रहने या काम की तलाश करने के आवेदन कर सकते हैं और 2 साल तक ब्रिटेन में रहने के लिए आवेदन कर सकते हैं, जबकि पीएचडी करने वाले छात्र 3 साल तक रहने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
ग्रेजुएट रूट वीजा को जुलाई 2021 में तत्कालीन गृहमंत्री प्रीति पटेल ने लागू किया था। 176,000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों को जारी किए गए ग्रेजुएट रूट वीजा में 42 फीसदी भारतीय नागरिक हैं इसलिए इस श्रेणी में किसी भी तरह के बदलाव का सबसे अधिक असर भारतीय छात्रों पर पड़ेगा।
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