संजीव-नी।

संजीव-नी।

जिंदगी भी एक ख्वाब की तरह ही तो है ,

मन कहता रिश्ता दुनियादारों से बनाए रखना,
दिल कहता ताल्लुक फकीरों से बनाए रखनाl

लोग सफलता को पचा नहीं पाते है ।
बस दूरी तुम अमीरों से बनाए रखनाl

बहुत तेज है धूप सफर में हमारे दोस्त,
तुम रिश्ता छायादार पेड़ों से बनाये रखना।

हादसों से हौसले पस्त नहीं होने देंना,
तुम हौसला दिमागों में बनाए रखना,

जिंदगी भी एक ख्वाब की तरह है ,
दोस्ती गम के ठिकानों से बनाए रखना।

जो वादा करके भूल जाते हैं हमेशा,
दूरियां ऐसे हुक्मरानों से बनाए रखना।

दुनिया भी एक रंगमंच की तरह है प्यारे,
नजदीकी दो चार किरदारों से बनाए रखना।

जो गमों को भुला दे दो पल में ही संजीव,
तुम दोस्ती ऐसे मयखानों से बनाए रखना।

संजीव ठाकुर, 

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