साहित्य/ज्योतिष
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

गणतंत्र दिवस है न्यारा...! 

गणतंत्र दिवस है न्यारा...!  आओ फिर लहरायें तिरंगा प्यारा, अपना ये गणतंत्र दिवस है न्यारा। छहत्तरवॉ ‘गणतंत्र‘ खुशी मनाये, उन शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायें। 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ, पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद! झंडा फहराया और दे दी सौगात।    आओ फिर...
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उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस -2025

उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस -2025 "थीम: विकास व विरासत प्रगति पर उत्तर प्रदेश" पर आधारित सृष्टि के प्रारंभ से अब तक 'उत्तर प्रदेश' के विकास यात्रा व सामासिक संस्कृति की विशेष प्रस्तुति-हां मैं उत्तम प्रदेश-उत्तर प्रदेश हूंलेखक-डॉ पंकज कुमार,जिला सूचना अधिकारी भदोही...
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विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में  हमारी देवनागरी पर एक चर्चा परिचर्चा का आयोजन ।

विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में  हमारी देवनागरी पर एक चर्चा परिचर्चा का आयोजन । स्वतंत्र प्रभात। प्रयागराज।         नारी गुरुकुल प्रयागराज के तत्वावधान में होटल प्रयागराज में विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में मुखरित गागरी, हमारी देवनागरी पर एक चर्चा परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता नारी गुरुकुल प्रयागराज की संस्थापक अध्यक्षा डा.स्नेह     सभी...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। ईमानदारी और ईमानदार।    हां सचमुच यह सच है, कि वह इमानदार है यह भी सच है वह गरीब और फटे हाल है, आपदाओं से घिरा हुआ,  आफतों का साथी, परेशानियां उसे छोड़ती नहीं, पर वह परेशान नहीं, मायूस भी नहीं,...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। कविता मेरा अज़ीज़ निकला मेरा ही कातिलकभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज रूबरू हुआ यारों मेरा कातिल।...
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संजीव -नी।

संजीव -नी। कविता, चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते हैइस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को झुकाते है।मायुसी विषाद की जड़ होती है,उदासी...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। कविता,    प्यारी मां तेरी जैसी l स्वरूपा नारी सर्वत्र पूजनीय) पुरुषों को स्त्रियों का कृतज्ञ होना चाहियेl     हर किसी की माँ हो, माँ हो मेरी जैसी, हर नारी लगती प्यारी मुझे मां जैसीl    रोटी के इंतजाम में गई मां की...
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संजीव-नी|

संजीव-नी| क्योंकि आज उसने खाना नहीं खाया|क्योंकि आज हरिया ने खाना नहीं खाया,हथौड़े की तेज आवाज से भी तेज,मस्तिष्क के तंतु कहीं तेजी सेशून्य में विलीन हो जाते,फिर तैरकर,वापसी की प्रतीक्षा किए बिना,आकर वापस...
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संजीव-नी|

संजीव-नी| आज मेरे दिल का क्या हाल है।     आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है।     आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है।     सोते जागते...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। देशभक्ति का जज्बा।    देश में आतंकवादियों के हमले से हुए  शहीदों की शहादत पर बाकी बचे हुए अस्पताल में पड़े हताहत पर।    एक भिखारी ने  दिया खुलकर दान बढ़ा दी मानवता की आन और बढ़ा दी भिखारियों की शान।   भिखारी...
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भगवती वंदना 

भगवती वंदना  मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ  भले दुखों का प्रहार हो  भले सुखों की बाहर हो। मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ  भले लोग मेरे खिलाफ़ हो भले लोग मेरे साथ हो। मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ  भले...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। एक दिया इधर भी। एक दिया छत की मुंडेर पर जला आना, जहां साया होता है गहन तमस का।     एक दिया उस बूढ़ी मां के कमरे के आले पर जला आना, जहां बेटे,बहू ,नाती,नातीने जाने से कतराते हों।     एक दिया...
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