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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

देश के कर्मचारियों को मानसिक तनाव से मुक्त करेगा ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’

देश के कर्मचारियों को मानसिक तनाव से मुक्त करेगा ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’ आज की तेज़-रफ़्तार तकनीकी दुनिया में मानसिक तनाव एक सार्वभौमिक समस्या बन चुका है। आधुनिक सुविधाओं से लैस होने के बावजूद हमारा सामाजिक और पारिवारिक जीवन पहले की तुलना में कहीं अधिक बोझिल और नीरस हो गया है। बच्चे हों...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

मेक्सिको का शॉक: भारत के निर्यात पर टैरिफ़ की आग

मेक्सिको का शॉक: भारत के निर्यात पर टैरिफ़ की आग [जहाँ संकट वहाँ अवसर: भारत का मेक्सिको व्यापार युद्ध] [सुरक्षा नहीं, चुनौती मिली: भारत और मेक्सिको का व्यापार मोड़] 10 दिसंबर 2025, यह तारीख एशियाई व्यापार इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

मानव अधिकार दिवस : सभ्यता के नैतिक विवेक का दर्पण

मानव अधिकार दिवस : सभ्यता के नैतिक विवेक का दर्पण हर वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया मानवता के उस मूल्य को याद करती है जो किसी भी राष्ट्र, धर्म या शासन की सीमाओं से परे है—मानवाधिकार। यह दिन कैलेंडर की एक साधारण तारीख नहीं, बल्कि उस आत्मा का...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

शौचालय बनाना सिर्फ एक बुनियादी  सुविधा न होकर, महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और समानता की लड़ाई है

शौचालय बनाना सिर्फ एक बुनियादी  सुविधा न होकर, महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और समानता की लड़ाई है विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day) सिर्फ एक दिन का जश्न नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि शौचालय तक पहुँच और स्वच्छता सिर्फ बुनियादी मानवाधिकार ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता, स्वास्थ्य सुरक्षा और गरिमा का मामला है।...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

झांसी की वीरांगना: रानी लक्ष्मीबाई का राष्ट्रप्रेम और प्रेरणादायक संघर्ष  

झांसी की वीरांगना: रानी लक्ष्मीबाई का राष्ट्रप्रेम और प्रेरणादायक संघर्ष   रानी लक्ष्मीबाई का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उस चमकते सितारे की तरह उभरता है, जिसकी रोशनी समय बीतने के बाद भी धुंधली नहीं पड़ती। उनका जीवन केवल अतीत का एक अध्याय नहीं है, बल्कि वर्तमान और भविष्य...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

देखते रहे लोग... मरती रही इंसानियत

देखते रहे लोग... मरती रही इंसानियत [इंसानियत की लाश पर खड़ा ये आधुनिक समाज] [मरती ज़िंदगी का लाइव वीडियो – समाज की शर्मनाक कहानी] भीड़ थी। लोग थे। मोबाइल थे। कैमरे थे। बस इंसान नहीं थे। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

जीवन पर सवाल बन रही वायु की खराब गुणवत्ता 

जीवन पर सवाल बन रही वायु की खराब गुणवत्ता    राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब स्थिति कितनी भयावह हो चुकी है, इसका अंदाजा इस से लगाया जा सकता है कि लोगों को मजबूरी में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़   एनसीआर...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

अपने विनाश और बर्बादी की पटकथा लिखता खुद कंगाल पाकिस्तान।

अपने विनाश और बर्बादी की पटकथा लिखता खुद कंगाल पाकिस्तान। स्वतंत्रता के पश्चात ही पाकिस्तान अपनी गलत नीतियों, गलत आर्थिक नियोजन और भारत के विरोध की चालों के कारण आज जर्जर हालत में दक्षिण एशिया के सर्वाधिक कंगाल एवं गरीब देश की श्रेणी में खड़ा हो गया है।पाकिस्तान अभिनयमेंयह...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

मतदाता सूची का सत्यापन हर पाँच साल मे जरूरी हो 

मतदाता सूची का सत्यापन हर पाँच साल मे जरूरी हो  दुनिया का सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले भारत देश मे सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती हे ! भारत मे 18 वर्ष आयु के हर व्यक्ति को मतदान करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त हे ! मतदान के लिए निर्वाचन नामावली...
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विचारधारा  स्वतंत्र विचार 

विज्ञान कोई मंजिल नहीं, यह यात्रा है

विज्ञान कोई मंजिल नहीं, यह यात्रा है [जहाँ सवाल होते हैं, वहीं विज्ञान जन्म लेता है] [विश्व विज्ञान दिवस: ज्ञान, विश्वास और नवाचार का उत्सव] एक अंधेरी रात में, सदियों पहले, कोई इंसान आकाश की ओर देखता है और मन में सवाल उठता...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

अरबों डॉलर का है कुत्तों के बाजार का अर्थशास्त्र

अरबों डॉलर का है कुत्तों के बाजार का अर्थशास्त्र भारतीय समाज और मीडिया में पिछले तीन महीनों से कुत्ते चर्चा में छाए हुए हैं। यह पहली बार है कि समाचार-पत्रों के मुखपृष्ठों और टीवी के प्राइम टाइम में नेताओं के बराबर ही कुत्तों को जगह मिली है। कृपया मुझे...
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