मजदूरी न मिलने से 18 साल की कर्मठता हुई बेमानी महिला मजदूर का परिवार भुखमरी की कगार पर
......तहसील दिवस पर भी नहीं मिली राहत
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.......बेटी की शादी पर संकट, प्रशासन बेखबर
मलिहाबाद। कड़ी मेहनत और पसीने से सींची गई 18 सालों की कर्मठता आज एक महिला मजदूर और उसके परिवार के लिए भुखमरी का श्राप बन गई है। वन विभाग की नर्सरी में वर्षों से काम करने वाली मजदूर रेखा निवासी कैथुलिया को उसका लाखों रुपए का बकाया वर्षों बाद भी नहीं मिला है।जिसके कारण उसकी बेटी का विवाह अधर में है और पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया है।लाखों की मजदूरी अटकी, जिंदगी की गाड़ी रुकी।
मलिहाबाद की वन चौकी रहीमाबाद स्थित पौधशाला में रेखा विगत 18 वर्षों से काम कर रही हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उनकी मुश्किलें पहाड़ बन गई हैं। रेखा का आरोप है कि उन्हें वर्ष 2024 की 36,000 की मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, 2025 में उन्होंने अपने पति प्यारे और बच्चों के साथ मिलकर ठेके पर डेढ़ लाख पन्नियों में मिट्टी भरने का काम किया जिसकी मजदूरी 45,000 बनती है।कुल मिलाकर लाखों रुपए की मजदूरी वन विभाग पर बकाया है जिसे पाने के लिए रेखा दर-दर भटक रही हैं।
उनकी बेटी की शादी की तारीख नजदीक आ गई है लेकिन पैसा न मिलने से गरीब परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया है। रेखा ने बताया कि मजदूरी न मिलने से उनके बच्चों को भरपेट भोजन भी नहीं मिल पा रहा है और पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।थक-हारकर रेखा ने पिछले तहसील समाधान दिवस पर न्याय की गुहार लगाई थी और अधिकारियों को अपनी व्यथा सुनाई थी। दुख की बात है कि प्रार्थना पत्र देने के बाद भी एक सप्ताह बीत चुका है लेकिन उनकी समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है और जिम्मेदार अधिकारी अनजान बने हुए हैं। इस संबंध में जब रेंजर आलोक तिवारी से बात की गई तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मामला उनकी जानकारी में नहीं है और जानकारी करने के बाद ही समस्या का समाधान किया जाएगा।
सवाल यह है कि एक महिला जो अपने बच्चों का पेट भरने के लिए 18 साल से ईमानदारी से काम कर रही है।उसे अपनी मेहनत का पैसा पाने के लिए और कितने दिन अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे क्या प्रशासन इस गरीब परिवार की आंखों में आंसू और पेट की आग देखकर भी केवल कागज़ी कार्यवाही में उलझा रहेगा एक मजदूर का संघर्ष बेटी की शादी और दो वक्त की रोटी, दोनों ही दांव पर।
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