फाइलेरिया नहीं फिर भी खाएं दवाई - डॉक्टर वीरेन्द्र
10 अगस्त से 02 सितम्बर तक चलेगा जिले में अभियान
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मीरजापुर। फाइलेरिया नहीं है फिर भी साल में एक बार इसके रोकथाम की दवा अवश्य खाएं। ऐसा लगातार पांच साल तक कर लेने से इस बीमारी के होने की आशंका शून्य के बराबर हो जाती है। यह कहना है नोडल व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर वीरेन्द्र चौधरी का। डॉक्टर चौधरी शुक्रवार को आयोजित प्रशिक्षण के दौरान संबोधित कर रहे थे। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि 10 अगस्त से फाइलेरिया के खिलाफ अभियान शुरू हो रहा है। इस अभियान के तहत स्वास्थ्य टीम घर.घर जाकर लोगों को दवा सेवन कराएगी। इस बार 17 लाख जनपदवासियों को दवा सेवन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने सभी से अपील की है कि अभियान को सफल बनाने में सहयोग करें। स्वास्थ्य टीम के सामने ही दवा का सेवन करें और दूसरों को भी सेवन करने के लिए प्रेरित करें। एसीएमओ ने बताया कि यह जिले के लिए खुशखबरी है कि यहां के तीन ब्लाक में फाइलेरिया लगभग समाप्त हो चुका है। इन तीन विकास खण्डों में यह अभियान नहीं चलेगा। शेष नौ विकास खण्डों में यह अभियान 10 अगस्त से शुरू होकर 02 सितम्बर तक चलेगा। जिला फाइलेरिया अधिकारी डॉ अनिल ने बताया कि फाइलेरिया रोग संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। हालांकि किसी भी उम्र का व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है लेकिन अधिकतर मामलों में लोगों को बचपन में ही काटने से ही संक्रमित होने के प्रमाण मिलते हैं।
इसके लक्षण 10.15 वर्ष बाद दिखते हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसकी रोकथाम संभव है। फाइलेरिया रोधी दवा सेवन से इस बीमारी से बचने और बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है। इस अभियान में 1844 टीम और 478 सुपरवाइजर लगाए जा रहे हैं। वर्ष 2021.22 में 17 लाख लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। उसमें आठ लाख लोगों को दवा से आच्छादित किया गया था। पिछले वर्ष जिले में 1347 हाथीपांव व 1189 लोग हाइड्रोसील के रोगी मिले थे।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक अजय सिंह ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चोंए गर्भवती और अत्यधिक बीमार लोगों को नहीं करना है। शेष सभी साल में एक बार और लगातार पांच वर्ष तक दवा खाकर भविष्य की परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। फाइलेरिया उन्मूलन पर उपस्थित लोगों ने शपथ लिया। जिला मलेरिया अधिकारी संजय द्विवेदी ने बताया कि फाइलेरिया से पूरी दुनिया में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
इससे ग्रस्त व्यक्ति के पैर अण्डकोष और महिलाओं के स्तन का आकार काफी बढ़ जाता है। इसको क्रमशः लिम्फोडिमा या हाइड्रोशील के नाम से जाना जाता है। साथ ही जिले के हर केन्द्र पर फाइलेरिया की दवा उपलब्ध है। फाइलेरिया की जांच के लिए भी डॉक्टर उपलब्ध है फाइलेरिया की शंका होने पर लोग अपने नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर उपचार कर सकते है बिना उपचार के दवा नहीं लेनी चाहिए।
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