नेपाल ने क्यों लगाया जनसंख्या वृद्धि पर लगाम 

नेपाल ने क्यों लगाया जनसंख्या वृद्धि पर लगाम 

नेपाल की जनसंख्या वृद्धि लगातार कम होती जा रही है. पिछले एक दशक में नेपाल की जनसंख्या वद्धि दर 0.92 फीसदी प्रति वर्ष रही है. यह पिछले 8 दशकों में सबसे कम है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया है. रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 80 वर्षों के आंकड़ों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि सबसे निचले स्तर पर है. 

एनएसओ के निदेशक धुंडी राज लामिछाने ने कहा, नेपाल की आबादी इस वक्त 29.2 करोड़ है. अप्रैल 2011 के मध्य और अप्रैल 2021 के मध्य में नेपाल की आबादी में 27 लाख की वृद्धि हुई है. नए आंकड़ों के मुताबिक, देश की राष्ट्रीय औसत जीवन प्रत्याशा 71.3 वर्ष तक पहुंच गई है. महिला जीवन प्रत्याशा 73.8 वर्ष है, जबकि पुरुष जीवन प्रत्याशा 68.2 वर्ष है।

पिछले 4 दशकों में नेपालियों की औसत जीवन प्रत्याशा 21.5 वर्ष बढ़ी है. क्षेत्र-वार बात करें तो नेपाल के करनाली प्रांत में रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा 72.5 वर्ष है, जो सबसे ज्यादा है. लुंबिनी प्रांत में सबसे कम जीवन प्रत्याशा 69.5 वर्ष है. इसी प्रकार वर्तमान में नेपाल की शिशु दर में काफी सुधार हुआ है.

2021 में शिशु मृत्यु दर घटकर 17 प्रति 1000 हो गई. 2011 में यह आंकड़ा प्रति 1000 शिशुओं पर 40 था. नेपाल 1911 से हर 10 साल में राष्ट्रीय जनगणना करा रहा है. आंकड़े दिखाते हैं कि नेपाल में भी धीरे-धीरे आबादी कम हो रही है. जापान और चीन में भी जनसंख्या में कमी देखी गई है. चीन में एक बच्चे की नीति के कारण जनसंख्या घटी है.

नेपाल ने शिशु मृत्यु दर कम करने पर काफी काम किया. 2011 में 40 प्रति 1,000 से गिरकर 2021 में 17 प्रति 1,000 हो गई है. वहीं, प्रजनन दर घटकर प्रति महिला 1.94 बच्चे हो गई है, जो प्रति महिला 2.1 बच्चों के आंकड़े से घटकर आई है. प्रसव की औसत आयु अलग-अलग है, जिसमें करनाली प्रांत में 26.9 वर्ष और बागमती प्रांत में 28.4 वर्ष है.

 

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