यादों के संग
On
तेरी राहों का अन्वेषी हूं,अकेला हीफिरता रहता हूँ,चलता रहता हूँ।कभी उधर कभी इधरतेरी यादों को ले संग। सोया रहता हूँखुद को समेटे हुए,खुले आसमान के तलेतेरी यादों को ले संग ।कोई पूछता है तोबोल देता हूँ,टूट कर बिखर गया हूँतेरे दिखाए हुएख्वाबों संग। तेरी राहों का पहरी हूँबैठा रहता हूँ,जमीन परबिछी हुई,मिट्टी को ओढ़ कर।कोई
तेरी राहों का अन्वेषी हूं,
अकेला ही
फिरता रहता हूँ,
चलता रहता हूँ।
कभी उधर कभी इधर
तेरी यादों को ले संग।
सोया रहता हूँ
खुद को समेटे हुए,
खुले आसमान के तले
तेरी यादों को ले संग ।
कोई पूछता है तो
बोल देता हूँ,
टूट कर बिखर गया हूँ
तेरे दिखाए हुए
ख्वाबों संग।
तेरी राहों का पहरी हूँ
बैठा रहता हूँ,
जमीन पर
बिछी हुई,
मिट्टी को ओढ़ कर।
कोई पूछता है तो
बोल देता हूँ,
राख हो गया हूँ
तेरे दिखाए हुए
अफसानो के संग।
राजीव डोगरा ‘विमल’
Tags:
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
चुनाव आयोग यदि वोट के लिए धर्म के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तो संविधान को नुक़सान: ।जस्टिस जोसेफ
01 Jun 2024 17:03:08
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ ने चुनाव में वोट पाने के लिए धर्म, नस्ल, भाषा और जाति...
अंतर्राष्ट्रीय
भारत को भय - देश के हथियार गलत हाथों में जा रहे : दावा
01 Jun 2024 17:29:50
International Desk रक्षा मंत्रालय भारत से बनकर एक्सपोर्ट होने वाले हथियारों की निगरानी बढ़ा रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक...
Comment List