संजीवनी।
On
क्यों खतो में इत्र की तरह महकते नहीं।
क्यों गुलाबों की तरह महकते नहीं,
क्यूं चिड़ियों की तरह चहकते नहीं।
दफ्न हो रही है तमन्ना ए आरजू,
क्यू कलियों की तरह खिलते नहीं।
मर जायेगा आशिक़ तनहा होकर,
क्यों खतो में इत्र की तरह महकते नहीं।
फीकी पड़ गई है हमारी मोहब्बत,
क्यो तसव्वुर की तरह लहकते नहीं।
तमन्नाओं सी मंजिल हो तुम मेरी,
क्यों जुगनू की तरह चमकते नहीं।
आदतन मुश्किलें तो पैदा करेगा जमाना,
क्यों हसीन ख्वाबों की तरह जुड़ते नहीं।
पहलू में सुकून दो पल गुजार तो लो,
क्यों मिलने की तरह मिलते नहीं।
संजीव ठाकुर,
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
19 May 2025 17:14:13
प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि तीन सीनियर आईपीएस अधिकारियों वाली एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की...
अंतर्राष्ट्रीय
18 May 2025 18:37:09
पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर रजाउल्लाह निजामानी उर्फ अबू सैफुल्लाह की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी....
Online Channel
खबरें
राज्य

Comment List