उतरौला नगर क्षेत्र के अन्तर्गत अधिकतर कुआं बदहाली की चपेट में

उतरौला नगर क्षेत्र के अन्तर्गत अधिकतर कुआं बदहाली की चपेट में

उतरौला( बलरामपुर ) उतरौला नगर क्षेत्र के अन्तर्गत अधिकतर कुआं बदहाली की चपेट में है या अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं। नगर क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर बने कुआं पर अलग-अलग परिवारों ने अतिक्रमण कर रखा हैं। कई स्थानों पर कुआं पाट कर लोगों ने अपना घर मकान तक बना लिया है।
 
कुछ कुओं का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया है। शिक्षक व प्रकृति प्रेमी मोहम्मद उस्मान सिद्दीकी ने नगर क्षेत्र के कुआं पर किए गए अतिक्रमण व अवैध कब से से मुक्त करने की मांग की है। साथ ही नगर क्षेत्र के कुओं को संरक्षित व उनका जीणोद्धार करने का ट्रेंड सोशल मीडिया पर चलाया है। लोगों से इस महीने में जुड़ने का अपील भी किया है।
 
शिक्षक मोहम्मद उस्मान सिद्दीकी ने कहा कि कुओं का अपना अलग धार्मिक महत्व है। हिंदू धर्म में बच्चों के जन्म व होने वाले शादी समारोह में बड़ी धूमधाम से कुंआ पूजन होता था। कुओं का अस्तित्व मिटने से इन परंपराओं की घर बैठे ही रस्म अदायगी होने लगी। 
 
इसके साथ ही जब अन्य संसाधनों का अभाव था तो यहीं कुएं ही लोगों की प्यास के साथ अन्य जरूरतों को पूरा करते थे। एक समय ऐसा भी था जब इनके पनघट इतने गुलजार हुआ करते थे कि पानी भरने के लिए भी बड़ा इंतजार करना पड़ता था। बदलते वक्त के साथ कुएं बदहाल होते चले गए। नगर क्षेत्र के कुओं पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। कई कुओं पर अपना कब्जा बताकर कुएं के मुंह को बंद किए हैं।
 
और कई लोगों ने तो कुआं पाट कर अपना घर मकान तक बना लिया है। अधिकारियों को चाहिए कि कुएं की दुर्दशा और मालिकाना हक की सच्चाई देखने के साथ कब्जाधारी परिवार से मौके पर इसका अभिलेख भी मांगे। मालिकाना हक वाले अभिलेख पेश न कर पाने वाले लोगों से शीघ्र इसे अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश दिए जाएं। नगर वासियों का कहना है कि
 
कुएं बदहाली के चलते अपनी दुर्गति के आंसू बहा रहे हैं। न चाहने के बाद भी कई रीतिरिवाज घर बैठे ही रस्मअदायगी में निपटाने पड़ रहे हैं। हिंदू रीति रिवाज अनवरत चलते रहें इसके लिए कुएं की साफ-सफाई व अतिक्रमण मुक्त होना जरूरी है।

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