प्रतिबंधित चित्तौड़गढ़ जलाशय में ट्यूब के सहारे मछलीमार कर रहे शिकारी- अधिकारी मौन, सवालों के घेरे में प्रशासन

प्रतिबंधित चित्तौड़गढ़ जलाशय में ट्यूब के सहारे मछलीमार कर रहे शिकारी- अधिकारी मौन, सवालों के घेरे में प्रशासन

बलरामपुर। संवाददाता। जनपद बलरामपुर के चित्तौड़गढ़ जलाशय में प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम मछलीमारी का खेल जारी है। ग्रामीणों के अनुसार, कुछ लोग ट्यूब के सहारे जलाशय में उतरकर रात के अंधेरे में अवैध रूप से मछली पकड़ रहे हैं। यह सब संबंधित विभागीय अधिकारियों की जानकारी में होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
 
चित्तौड़गढ़ जलाशय को संरक्षण क्षेत्र घोषित किया गया है, जहां मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके बावजूद स्थानीय मछली शिकारी हर रात ट्यूब और जाल के सहारे जलाशय में उतर जाते हैं और बड़ी मात्रा में मछलियां पकड़कर बेचते हैं। इससे न केवल मत्स्य संपदा का नुकसान हो रहा है, बल्कि जलाशय के पर्यावरणीय संतुलन पर भी खतरा मंडरा रहा है।
 
ग्रामीणों का आरोप है कि मछलीमारी का यह खेल कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में चल रहा है। लोगों ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत मछली विभाग व राजस्व प्रशासन से की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
 
प्रशासनिक मौन ने पूरे मामले को संदिग्ध बना दिया है। सवाल उठता है कि जब जलाशय प्रतिबंधित घोषित है, तो वहां लगातार अवैध मछलीमारी कैसे हो रही है? क्या यह अधिकारियों की मिलीभगत से संभव है?
 
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से इस मामले की जांच कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अवैध मछलीमारी पर रोक नहीं लगी, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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