राहुल गांधी स्पष्ट करें, उन्हें हिंदुत्व से परहेज क्यों - डॉ. चौहान

राहुल के बयान पर भाजपा प्रवक्ता ने किया पलटवार


करनाल। हिंदुत्व पर राहुल गांधी का बयान कांग्रेस पार्टी की असली राजनीतिक सोच है। देश के सबसे पुराने राजनीतिक संगठन को अपनी पारिवारिक पार्टी बनाने वाले गांधी परिवार के पूर्वज जवाहरलाल नेहरू ही खुद को 'एक्सीडेंटल हिंदू' कहते थे। देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर आज तक कांग्रेस अपने 'हिंदू विरोध' के एजेंडे पर ही कायम है।

राहुल का बयान इसी विचारधारा का विस्तार है। यह बात हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही जिसमें राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी में आयोजित कार्यक्रमों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह हिंदू हैं, लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं।

डॉ. चौहान ने पूछा कि --'हिंदू हूं, लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं' --इस बयान से राहुल क्या कहना चाहते हैं, यह उन्हें स्पष्ट करना चाहिए। वह हिंदू और हिंदुत्व को अलग-अलग कैसे करार दे सकते हैं? जिस प्रकार नारी के गुणों को नारीत्व, पुरुषों के गुणों को पुरुषत्व, वीर के गुणों को वीरत्व और माता के गुणों को मातृत्व कहते हैं,

ठीक उसी प्रकार हिंदुओं के सद्गुणों को हिंदुत्व कहते हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हिंदुत्व भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा पर आधारित जीवन जीने की वह पद्धति है जिसका पूरा विश्व लोहा मान चुका है। भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत आज भी विदेशियों को आकर्षित करती है और ज्ञान के इस अमृत को पाने के लिए वह आज भी भारत खिंचे चले आते हैं। उन्होंने पूछा कि राहुल गांधी को इससे परहेज क्यों है?

डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि एक विदेशी मूल की ईसाई महिला का पुत्र और एक पारसी व्यक्ति का पौत्र परंपरागत अर्थों में न तो हिंदू है और न ही हिंदुत्ववादी। चर्च में आस्था रखने वाला पूरा गांधी परिवार सिर्फ चुनाव के वक्त ही चुनावी हिंदू बनता है और मंदिर-मंदिर घूमता है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम तुष्टिकरण को अपना राजनीतिक सिद्धांत बनाकर इस देश पर 50 साल से भी ज्यादा समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी को हिंदुत्व सूट नहीं करता।

 पिछले 70 सालों के दौरान देश में एक फेक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की गई कि हिंदू और हिंदुत्व की बात करना सांप्रदायिकता है। इस कोशिश में कांग्रेस काफी हद तक कामयाब भी हुई। देश के बहुसंख्यक समाज ने जब से अपनी मूल सांस्कृतिक विरासत को पहचानना शुरू किया है, कांग्रेस तभी से सत्ता से बाहर है। इसलिए हिंदुत्व कांग्रेस को बर्दाश्त कैसे हो सकता है?

डॉ. चौहान ने कहा कि देश ने वह दौर भी देखा है जब कांग्रेस हर चुनाव से पहले दिल्ली की जामा मस्जिद समेत देश भर की तमाम छोटी-बड़ी मस्जिदों के इमामों से कांग्रेस के पक्ष में फतवा जारी करने की अपील करती थी। अब फतवों का वह दौर बीत चुका है। आज उसी गांधी परिवार के सदस्य खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण होने का दावा कर रहे हैं, मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और गंगा स्नान कर रहे हैं। गांधी परिवार के राजनीतिक पूर्वज को खुद को 'ए हिंदू बाय एक्सीडेंट' और रहन-सहन में 'मुस्लिम' कहने पर गर्व का अनुभव होता था। उन्हीं के वंशजों ने एकतरफा गंगा जमुनी तहजीब का नैरेटिव गढ़ा।

भाजपा प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि देश के अन्य नागरिकों की तरह देश का प्रधानमंत्री भी एक नागरिक होता है और इस नाते उसके नागरिक अधिकार भी होते हैं। एक नागरिक होने के नाते उसे अपनी आस्था को मानने और उस जीवन पद्धति को अपनाने की पूरी संवैधानिक छूट होती है। नरेंद्र मोदी ने भी अपनी आस्था का पालन करते हुए गेरुआ वस्त्र धारण कर गंगा में डुबकी लगाई तो इस पर इतना हंगामा क्यों? यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

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