विभागीय जांच और उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद आखिर क्यों नही दर्ज हो रहा मुकदमा

एस. एन. इंटर कॉलेज इंदईपुर में एक लाख छियासी हजार रुपये गबन का है आरोप

विभागीय जांच और उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद आखिर क्यों नही दर्ज हो रहा मुकदमा

अम्बेडकरनगर। प्रधानाचार्य एस एन इंटर कॉलेज इंदईपुर ने 27 अप्रैल 2024 को थाना अध्यक्ष आलापुर को तहरीर देकर विद्यालय के अभिभावक अध्यापक संघ के खाते से 186000 रुपए के गबन करने के प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का अनुरोध किया था। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न होने और समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित हुई जिसके बाद प्रकरण में थानाध्यक्ष का वर्जन चाहा गया। जिसपर एक शिकायत के लिखित उत्तर में थाना अध्यक्ष आलापुर ने बताया कि उनको ज्ञात हुआ कि वर्ष 2012 की ऑडिट अधिकारियों द्वारा की जा चुकी है ऑडिट द्वारा किसी प्रकार के धन के गबन के बारे में बात नहीं की गई है सरकार द्वारा जो धन स्कूल के डेस्क आदि खरीदने के लिए दिया गया था उस धन से स्कूल का सामान क्रय किया गया है ऐसी स्थिति में प्रार्थना पत्र पर किसी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है यदि 2012 की सरकारी धन का गबन किया गया है तो 12 वर्ष हो चुका है
 
स्कूल प्रबंधक द्वारा आज तक एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई स्कूल के प्रधानाचार्य एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य में आपसी मतभेद होने के कारण प्रार्थना पत्र दिया गया है। थाना अध्यक्ष को यह ब्रह्म ज्ञान कहां से आया यह तो वही जाने।परंतु उनका सारा कथन असत्य एवं निराधार है। उनकी पहली बात ही गलत है कि सरकार ने डेस्क आदि खरीदने के लिए धन दिया था जबकि वह धनराशि अभिभावक शिक्षक संघ की थी सरकार ने नही दी थी। दूसरी बात भी गलत है कि आडिट हुआ था। आज तक विद्यालय की तरफ से कभी आडिटर की तैनाती ही नही हुई। जबकि नियमावली में स्पष्ट निर्देश है कि एक स्वतंत्र ऑडिटर की नियुक्ति की जाएगी जो अभिभावक शिक्षक संघ के आय व्यय का आडिट करेगा। रिपोर्टर ने अपने स्तर से पड़ताल करते हुए वर्तमान प्रधानाचार्य एवं पूर्व प्रधानाचार्य मुख्य आरोपी मेवालाल का बयान लिया उससे यह पता चला कि मेवालाल वर्ष 2012 से 2022 तक कार्यवाहक प्रधानाचार्य थे।
 
अक्तूबर 2012 में मेवालाल ने छात्रों के लिए बेंच डेस्क क्रय के नाम पर 186000 रुपए का चेक तत्कालीन प्रबंधक मसूद अहमद के रिश्तेदार अब्दुस्समद के नाम से जारी करके निकाल लिया। जब भी शिकायत होती मेवालाल कोई अभिलेख नही देते।उच्च अधिकारी जब भी कोई आदेश करते प्रबंधक भी कोई कार्यवाही नहीं करते। अक्तूबर 2015 में 2 नंबर आरोपी अब्दुस्समद के बड़े भाई प्रबंधक बन गए। उन्होंने भी अपने भाई को बचाने के लिए कभी कोई कार्यवाही नहीं। 2022 में प्रबंध समिति भंग हुई और 26 अप्रैल 2022 को नए प्रधानाचार्य ने पदभार ग्रहण किया तब जाकर जांच में प्रगति आई। फिर भी मेवालाल ने नए प्रधानाचार्य को चार्ज देने से इनकार कर दिया।जिला विद्यालय निरीक्षक ने मेवालाल का वेतन रोक दिया तब  जाकर 16 सितंबर 2022 को चार्ज दिया।
 
जांच समिति ने मेवा लाल को जितनी बार समिति के सामने उपस्थिति होने का निर्देश दिया मेवलाल उपस्थित न होकर समिति के सामने अपनी शर्ते रखता था और अपने हर पत्र में धमकी भी देता कि मैं दलित हूं कोई कार्यवाही की गई तो मैं एससीएसटी आयोग जाऊंगा और मुकदमा दर्ज कराऊंगा। समिति ने शासकीय धन के कुल 4 प्रकरण में मेवालाल के विरुद्ध कार्यवाही की संस्तुति दे दी। जिसमें  बेंच डेस्क क्रय के अतिरिक्त, लॉक डाउन पूर्ण ताला बंदी में खेल का सामान खरीदने, बिना बोर्ड परीक्षा के ही कक्षा में लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरा खरीदने और रिपेरिंग कराने तथा विद्यालय की कृषि भूमि से प्राप्त राशि को खाते में जमा न करके हड़प लेने की जिसके संबंध में मेवालाल का कथन है कि प्रबंधक ने कहा था खाते में मत डालिए ऐसे ही खर्चा कर दीजिए।
 
पूरे मामले में मेवालाल का कहना है की प्रधानाचार्य ने 10 अक्टूबर 2023 को जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखित में दिया था कि प्रबंधकीय विद्यालय है एफ आई आर कराने का अधिकार प्रबंधक का है उसके आधार पर प्रधानाचार्य की तहरीर निष्प्रभावी हो गई। परंतु मेवालाल ने यह बात छुपा लिया कि जिला विद्यालय निरीक्षक ने प्रधानाचार्य का यह तर्क अस्वीकार करके उनको कठोर चेतावनी देते हुए प्रशासनिक कार्यवाही करने का पुनः निर्देश दिया था। मेवालाल का कथन है कि उनके या किसी शिक्षक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का अधिकार प्रबंधक को है। मेवालाल यह तर्क इसलिए से रहे है क्योंकि वह जानते हैं कि आरोपी नंबर 2 अब्दुस्समद प्रबंधक का छोटा भाई है और प्रबंधक उसपर मुकदमा दर्ज ही नही होने देंगे। वैसे भी प्रबंधक ने एक पुराने गबन के प्रकरण में मेवालाल के विरुद्ध कार्यवाही का प्रयास किया था जिसके बाद इसने प्रबंधक के विरुद्ध एससीएसटी का मुकदमा दर्ज कराकर उनको अपने पाले में कर लिया।
 
विद्यालय में लोगों ने नाम।न चलने की शर्त पर बताया कि मेवालाल गबन करता है और अगर कोई शिकायत दे तो उसके विरुद्ध एससीएसटी का मुकदमा दर्ज करवा देता है। इसने थाना आलापुर और बसखारी में अनेकों एससीएसटी के मुकदमे दर्ज करवाए है उसी से बचा है। सूत्रों से पता चला है कि इस प्रकरण में थाना अध्यक्ष महोदय राजनीतिक दबाओ के कारण मुकदमा दर्ज नहीं किए क्योंकि मेवालाल का संबंध बीएसपी से है जो एक पूर्व बीएसपी नेता और वर्तमान विधायक के करीबी हैं और अब्दुस्समद समाजवादी पार्टी के सदस्य है जिनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य रही हैं। दोनो आरोपी अपने राजनीतिक प्रभाव का प्रयोग कर थाना अध्यक्ष पर दबाव बनाने में कामयाब रहे।
 
जिससे विभागीय जांच और उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद प्रधानाचार्य द्वारा दी गई त्तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत नहीं किया गया। योगी जी कहते हैं कि हमारी सरकार में आरोपी जेल के अंदर होंगे पोलिस बिना किसी दबाव के अपना फर्ज निभायेगी।यहां तो लाखों रुपए के गबन के आरोपी अपनी नेतागिरी की पहुंच दिखाकर थानेदार को एफआईआर तक दर्ज नहीं करने देते जेल के अंदर क्या जाएंगे। ऐसी लाचार व्यवस्था के कारण ही किसी प्रकार के अपराध पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है। सरकार सिर्फ सुशासन के ढोल पीट रही है।
 

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