एक वर्ष पूर्व ट्रांसफर हो चुके अधिकारी का डिजिटल सिग्नेचर लगाकर बनाया फर्जी जन्म प्रमाण पत्र

बड़ा सवाल निवर्तमान अधिकारी का कहां से मिला हस्ताक्षर

एक वर्ष पूर्व ट्रांसफर हो चुके अधिकारी का डिजिटल सिग्नेचर लगाकर बनाया फर्जी जन्म प्रमाण पत्र

चार दिनों में जन्म प्रमाण पत्र नहीं हो पाता है जारी, 15 से एक माह का समय

धर्मेन्द्र राघव

अलीगढ़,। अंधेर नगरी चौपट राजा यह कहावत आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन नगर निगम में इन दिनों इसी कहावत की तर्ज़ पर काम हो रहा है। वाक्या नगर निगम के जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र विभाग से है। नगर निगम में लाख कोशिश के बाद भी जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र काउंटर पर फर्जीवाड़ा नहीं रुका रहा है। अब एक ताजा प्रकरण बरौला जाफराबाद का आया है। जिसमें आवेदन के चार दिन बाद जन्म प्रमाण पत्र एक साल पहले ट्रां सफर हुए अफसरों के डिडिटल सिग्नेचर से जारी हो गए हैं। नगर आयुक्त ने मामले में जांच बैठा दी है। नगर आयुक्त अमित आसेरी ने कहा कि प्रकरण में एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।

वार्ड 54 बरौला जाफराबाद के पार्षद संजीव कुमार सोमवार को नगर आयुक्त के समक्ष जन्म प्रमाण पत्र समय से नहीं बनने की शिकायत लेकर पहुंचे। कहा कि क्षेत्र की जनता का आवेदन के दो से तीन माह में प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है। लेकिन कुछ प्रमाण पत्र चार दिन में भी बन रहे हैं। नगर आयुक्त ने प्रमाण पत्र मांगा तो पार्षद ने मंजू सक्सेना के नाम का एक प्रमाण पत्र दिया जो चार दिन में जारी हो गया था। मंजू सक्सेना जन्म तिथि 1985 के नाम से पूर्व में मुख्य कर निर्धारण अधिकारी रहे विनय कुमार राय के डिजिटल हस्ताक्षर से जारी हुआ मिला। लेकिन जब नगर निगम के दस्तावेज व सिस्टम में मिलान कराया गया तो वह नहीं मिला। पता चला कि यह जन्म प्रमाण पत्र किसी जनसुविधा केंद्र या फिर अन्य स्थान से फर्जी तरीके से जारी किया गया है।

नगर आयुक्त अमित आसेरी ने तत्काल जन्म प्रमाण पत्र काउंटर का निरीक्षण किया। वहां पर बैठे बाहरी व्यक्तियों को हटाया। कुछ पार्षद भी दस्तावेज लेकर भीतर बैठे मिले। नगर आयुक्त ने कहा कि भीतर कोई नहीं आएगा। बाहर से प्रक्रिया को पूरी कराएं। नगर आयुक्त ने मामले में सहायक नगर आयुक्त वीर सिंह जांच सौंपी है।
-बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बाहर से बन गया, लेकिन निवर्तमान मुख्य कर निर्धारण अधिकारी का डिजिटल हस्ताक्षर कहां से मिला।

सीटीओ विनय कुमार राय का एक साल पहले गोरखपुर स्थानांतरण हो गया था। यह जांच का विषय है कि नगर निगम के किसी कर्मचारी की मिलीभगत से तो रैकेट नहीं चल रहा है। नगर निगम में 628 जन्म प्रमाण पत्र के आवेदन लंबित हैं। पिछले दो माह से जारी नहीं हो पाए हैं। इसका कारण प्रशासनिक मशीनरी का चुनाव में लगे होना है। एसीएम व एसडीएम के स्तर से आवेदन सत्यापित व वेरीफिकेशन के लिए जाते हैं। नगर आयुक्त ने इस बाबत डीएम को पत्र भी लिखा है।
इनका कहना है...

नगर आयुक्त अमित आसेरी ने कहा कि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र काउंटर पर बाहरी का प्रवेश नहीं होगा। स्मार्ट डोर सेंसर व फेस स्कैनिंग लगेगी। केवल कर्मचारी ही भीतर जाएंगे। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र की सात दिनों में सहायक नगर आयुक्त जांच करेंगे जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ एफआईआर होगी।

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