शत्रु संपत्तियों से जिम्मेदार नहीं हटा पा रहे अवैध कब्जे

मंडलायुक्त से भी हो सकती है लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की शिकायत

शत्रु संपत्तियों से जिम्मेदार नहीं हटा पा रहे अवैध कब्जे

महमूदाबाद-सीतापुर। तहसील क्षेत्र में शत्रु संपत्ति पर हो रही खेती और खाली पड़े भूखंडों पर हुए अतिक्रमण को तहसील प्रशासन हटाने में गुरेज जाहिर करता दिख रहा है। तहसील के जिम्मेदारोंं के इस शिथिल रवैये से फिलवक्त आला अफसरों को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल नगर के आसपास लगभग आठ सौ बीघा शत्रु संपत्तियों पर भूमाफियाओं का कब्जा है। और वह धड़ल्ले से खेती और दुकान के व्यापार में दिन पर दिन इजाफा कर रहे हैं। मगर जिम्मेदारों की मजाल नहीं है कि इन्हे छेड़ दें या इन पर कोई कार्रवाई कर दें हलांकि कि यह दस्तूर है कि यह लोग हर वर्ष महमूदाबाद किले में बैठे राजघराने के कारखास कर्मचारियों को बतौर लगान मोटी रकम देते हैं और उसपर खेती या व्यापार जैसे अन्य माध्यमों से रोजगार करते हैं।
 
जबकि शत्रु संपत्तियों की निगरानी का दारोमदार तहसील प्रशासन के जिम्मेदारों के कंधों पर है। तहसील के जिम्मेदार शत्रु संपत्ति को कब्जा मुक्त करना तो दूर उसकी निगरानी तक में विफल साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि अवैध कब्जे में फंसी शत्रु संपत्तियों पर अतिक्रमण के साथ ही खेती किसानी का कार्य भी अनवरत जारी है। गौरतलब है कि शत्रु संपत्तियों की प्रशासन ने कुछ माह पूर्व खोजबीन शुरू की थी। इन्हें कब्जा मुक्त करने की प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी थी। वैसे इस कार्य के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर 10 में 2022 को ही शासन ने निर्देश जारी किए थे लेकिन, आदेश का अनुपालन समय रहते नहीं हो पाया।
 
23 सितंबर को जब जिला मजिस्ट्रेट ने कलेक्ट्रेट कार्यालय का निरीक्षण किया तो उसी बीच में उन्होंने संबंधित पटल प्रभारी से शत्रु संपत्ति की जानकारी ली थी। यहां उन्हें पता चला था कि पूर्व में गृह मंत्रालय से प्राप्त निर्देशों का अनुपालन नहीं हुआ है। इस लापरवाही पर जिला मजिस्ट्रेट अनुज सिंह ने संबंधित से नाराजगी भी जाहिर की थी और तत्काल तहसीलों से सूचना प्राप्त कर अग्रिम कार्रवाई के निर्देश दिए थे। तत्कालीन अपर जिला अधिकारी राम भरत तिवारी ने अपर मुख्य सचिव के निर्देशों के बाद महमूदाबाद सहित तमाम सी तहसीलों के एसडीएम को पत्र लिखने के बाद चार रिमाइंडर भेजे थे।
 
28 मई 2022 को पहले पत्र के बाद 14 जून, 24 सितंबर, 13 अक्टूबर और फिर 20 अक्टूबर को रिमाइंडर जारी किया गया था। अगले तीन दिन के अंदर शत्रु संपत्ति से संबंधित विवरण एसडीएम से मांगा गया था। जिसके बाद मामला फिर से ठंडे बस्ते में चला गया। जानकार बताते हैं कि शत्रु संपत्ति पर खेती और अतिक्रमण का जितना खेल है। वह महमूदाबाद नगर का एक सपा नेता और उसके तीन पार्टनर मिलकर खेल रहे हैं। इन्ही में से एक साहब तो ऐसे हैं जो सार्वजनिक तौर पर राजधानी पुलिस के आला अफसरों में मजबूत पकड़ का प्रचार प्रसार भी किया करते हैं।
 
सूत्रों के मुताबिक नगर की बरदही बाजार जो कि शत्रु संपत्ति दर्ज अभिलेख है। उसपर मवेशियों के धंधे का ठेका लिए हुए हैं। जिसकी वसूली कर आधी रकम जेब में और बची हुई रकम किले के कारखास को पहुंचते हैं। लखपेड़ाबाग, हज़ारा बाग व अन्य जगहों की बागों की नीलामी भी प्रशासन द्वारा नही कराई जाती है। अगर इसको लेकर शिकायत भी होती है तो उस शिकायतकर्ता को समय रहते मैनेजमेंट जैसी 'निंजी टेक्निक' के जरिए काबू में ले लिया जाता है। शत्रु संपत्तियों पर भूमाफियाओं द्वारा किए गए अवैध कब्जेदारी को लेकर कुछ समाजसेवियों में खासा रोष है।
 
वह बहुत जल्द तहसील प्रशासन के लापरवाह जिम्मेंदारों और भूमाफियाओं की साठ गाठ की कलाई मंडलायुक्त की दहलीज पर खोल सकते हैं। सोमवार दूसरे दिन भी तहसीलदार सुरभि रॉय का सीयूजी नंबर नहीं उठा। गनीमत रही कि काफी दिन बाद एसडीएम का फोन उठा और बोलीं... हमारे संज्ञान में आया है कि शत्रु संपत्ति की भूमि पर कब्जा है, इसकी जांच को लेकर टीम गठित करवाए देती हूं। जांच कराकर जिस आधार पर रिपोर्ट आयेगी उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम, शिखा शुक्ला।
 
 

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