शताक्षर (सौ अक्षर वाला) गायत्री मंत्र जानते है वास्तु शास्त्री सुमित्रा से
वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल
कोलकाता
शताक्षर (सौ अक्षर वाला) गायत्री मंत्र
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भगोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् । त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् । जात वेदसे | सुनवाम सोममरातीयतो निदहाति वेदः । रु नः पर्षदतिर्माणि विश्वा नावेव सिन्धुं दुरितात्यग्निः ।
गायत्री मंत्र से पाप निवारण :
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
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Read More Aaj Ka Rashifal: इन राशि वालों के लिए आज का दिन रहेगा शुभ, जानें मेष से लेकर मीन राशि का हाल यदि इस एक ही मंत्र का जप भाव पूर्वक शुद्ध अंतःकरण से किया जाए तो उससे परम कल्याण की प्राप्ति होती है। श्रीमाता गायत्री की अनुकम्पा से दुस्तर संकटों का नाश हो जाता है एवं जन्मजन्मान्तर की दीनता का भी विनाश होता है। गायत्री माता में सभी देवों का निवास है अतः यह तापत्रय-विनाशिनी शक्ति है। गायत्री मंत्र सभी पापों का विनाश निम्नानुसार करता है :

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