बोझिल और भय के वातावरण में देख रहे हैं रामायण सीरियल‌‌ उत्साह नहीं मजबूरी है।‌‌

बोझिल और भय के वातावरण में देख रहे हैं रामायण सीरियल‌‌ उत्साह नहीं मजबूरी है।‌‌

स्वतंत्र प्रभात। प्रयागराज। १९८८ में रामायण सीरियल जब शुरू हुआ था, सड़कें और गलियां सूनी हो जाती थीं और आज भी यही देखने को मिल रहा है लेकिन दोनों के समय, समाज की परिस्थिति में बहुत अंतर है। 33 साल पहले लोग किसी भय से पाबंद नहीं थे, बल्कि उत्साह था। लेकिन आज वैश्विक महामारी

 स्वतंत्र प्रभात।‌‌ प्रयागराज।‌‌‌

१९८८ में रामायण सीरियल जब शुरू हुआ था, सड़कें और गलियां सूनी हो जाती थीं और आज भी यही देखने को मिल रहा है लेकिन दोनों के समय, समाज की परिस्थिति में बहुत अंतर है। 33 साल पहले लोग किसी भय से पाबंद नहीं थे, बल्कि उत्साह था। लेकिन आज वैश्विक महामारी के कारण् लागू लॉकडाउन से मन में भयग्रस्त है। इस उदासी भरे पल में रामायण का दोबारा प्रसारण लोगों में नई चेतना लेकर आया है। यह मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि महामारी से मुक्ति का एक आध्यात्मिक प्रयास है।

इसके जरिये लक्ष्मण रेखा में रहकर कोरोना रूपी रावण से बचा जा सकता है। यह बातें धारावाहिक रामायण में सीता की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका चिखलिया ने एक न्यूज़ एजेंसी से फोन पर हुई बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि रामायण का दोबारा प्रसारण बहुत अच्छा लग रहा है। कोरोना के कारण देश बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। इससे महामारी से लड़ने के संकल्प को सकारात्मक मजबूती मिलरही है।


‌दीपिका ने कहा कि तीन दशक में बहुत कुछ बदल गया है। युवा पीढ़ी इस समय रामायण पढ़ने में भले रुचि न ले लेकिन पौराणिक दृश्य को देखकर प्रेरणा जरूर लेगी। उन्होंने कहा कि वनवास तो राम को ही मिला था, लेकिन पारिवारिक मर्यादा निभाने के लिए पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण को साथ ले गए। इसलिए पूरा परिवार इससे सीखेगा कि एक साथ रहकर बड़ी सी बड़ी विपदा को कैसे सहा जा सकता है।


‌अच्छी भूमिका  निभाने वाली तलाश दीपिका ने कहा कि रामायण में सीता की जो भूमिका थी, उसे जो लोकप्रियता मिली वो अब संभव नहीं है। अच्छी कहानी और किरदार की तलाश रहती है। कुछ समय पूर्व फ़िल्म ग़ालिब में भूमिका निभाई। इसकी शूटिंग प्रयागराज के कई स्थान पर हुई थी। उस सिलसिले में कई दिन तक प्रयागराज में रहना भी हुआ। 

‌बता दें कि 25 जनवरी 1987 को शुरू हुआ था रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण का प्रसारणॵर 31 जुलाई 1988 को दूरदर्शन पर किया गया अंतिम प्रसारण था। 28 मार्च को शुरू हुआ दोबारा प्रसारण -74 एपीसोड का होगा ।
‌इस बार 09 बजे सुबह और दूसरी कड़ी रात नौ बजे प्रसारित होरहा है।

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