लोकतंत्र को मजबूत करता है मीडिया तंत्र
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आज हम बात कर रहे हैं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया यानि कि पत्रकारिता की। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा पिलर इसलिए कहा जाता है कि मीडिया ही है जो सरकार या किसी भी संस्था के गलत कार्य को करने से रोकती है और जनता को अच्छाई और खराबी का फर्क समझाती है। कहने का मतलब मीडिया किसी को भी मनमानी करने से रोकती है। हम बड़ी ही आसानी से किसी भी तथ्य को सामने रखकर मीडिया को दोषी ठहरा देते हैं। और हमला भी कर देते हैं क्योंकि मीडिया सच का साथ देती है। और सच हर कोई नहीं सहन कर पाता है। पत्रकारिता का हमारे देश की आजादी में भी बहुत बड़ा योगदान है। हम जो बात अंग्रेजी हुकूमत के लिए बोलते थे वो पत्रकारिता के माध्यम से ही पहुंचा पाते थे। आजादी से पहले हमारे देश में बहुत से समाचार पत्र थे और उनके वो पत्रकार जिन्होंने क्रांतिकारियों का हर पल साथ निभाया और अंग्रेजी हुकूमत के गलत निर्णयों को जनता तक पहुंचाया। अंग्रेजी हुकूमत भी भारतीय पत्रकारिता से सहमत नहीं होती थी और आज भी स्थित यही है कि अगर पत्रकार जनता के सामने सच को उजागर करता है तो कुछ लोग उसे रोकते हैं। क्यों कि उससे उनकी छवि धूमिल होने का खतरा उत्पन्न होता है।
ऐसा नहीं है कि मीडिया केवल आज ही दबाव में है मीडिया हमेशा से दबाव में रही है और दबाव में रहकर भी उसने सच को उजागर किया है। हम हमेशा यही चाहते हैं कि मीडिया केवल हमारा ही साथ दे लेकिन ऐसा नहीं होता है, साथ हमेशा सच का दिया जाता है और जितना सच जनता के सामने आएगा हमरा लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा। ग़लती हमेशा सरकार की ही नहीं होती है। सरकार का पक्ष लेने का भी मीडिया पर आरोप लगते रहे हैं लेकिन सरकार के अच्छे कार्यों को उजागर करना भी मीडिया का काम है। मीडिया किन परिस्थितियों में देश के सामने सच रखती है शायद इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता होगा। हर समय मंडराते खतरे के बीच में रहकर एक पत्रकार एक खबर को बनाता है और हम आसानी से उसे बिकाऊ या ग़लत सिद्ध कर देते हैं। कुछ लोग चाहते हैं कि मीडिया को हमेशा सरकार के खिलाफ ही बोलना चाहिए, सरकार की कमियों को ही जनता के सामने रखना चाहिए। लेकिन वही लोग जब उनकी सरकार होती है तब उसका विरोध करते हैं ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों। कोई भी सरकार हो यदि उसके कुछ कार्य ग़लत हैं तो बहुत से कार्य अच्छे भी होते हैं और मीडिया का कर्तव्य है कि वह दोनों कार्यों को जनता के समक्ष रखे और फिर जनता को आंकलन करने दें।
मीडिया पर हमला केवल सरकार द्वारा नहीं होता कई बार विपक्ष द्वारा भी मीडिया पर हमला किया जता है। लेकिन यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बहुत ही हानिकारक है। यदि हमने मीडिया को दबाने की कोशिश की तो हम लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबा रहे हैं। जिस तरह एक अच्छे लोकतंत्र के लिए विपक्ष का मजबूत होना आवश्यक होता है उसी तरह देश की प्रगति के लिए मीडिया तन्त्र का मजबूत होना भी बहुत आवश्यक है। पुरानी व्यवस्था में प्रिंट मीडिया और रेडियो ही इसका माध्यम थे। इसके बाद जब टेलीविजन आया तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने लोगों को सच दिखाना और जागरूक करना शुरू कर दिया। इसमें कुछ समय के लिए समाचारपत्र पीछे छूट गए थे। लेकिन अब जब से दुनियां में मोबाइल का प्रचलन बढ़ा तो सोशल मीडिया ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के भी दर्शक छीन लिये। यह समय है और हम सब परिवर्तन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। टीवी मीडिया में छोटी खबरें दब कर रह जाती थीं लेकिन सोशल मीडिया के युग में हर खबर सामने आती है। लेकिन इसका दुरपयोग नहीं होना चाहिए यह जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। सोशल मीडिया से आज हर व्यक्ति जुड़ चुका है। हर खबर की अपडेट हमें पल पल में मिल रही है। लेकिन इसपर नियंत्रण भी उतना ही जरूरी है जितना कि सच सामने आना जरुरी होता है।
सोशल मीडिया पर हमारे पास खबरों को देखने के तमाम प्लेटफार्म मौजूद हैं जिनमें वाट्स एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, थ्रेड्स, बेवसाइट्स, और यूट्यूब शामिल हैं। हम कहीं से भी आसानी से समाचारों को प्राप्त कर सकते हैं। सोशल मीडिया का प्रचलन सरकार में भी बढ़ा है। सरकार भी अपने कार्यों को सोशल मीडिया के माध्यम से जनता के सामने रख रही है। यह एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आवश्यकता बन चुका है। सरकार सभी समाचारों पर अपना पक्ष भी तुरंत रखती है ताकि जनता के बीच कोई ग़लत संदेश नहीं पहुंचे। बड़े-बड़े लेखक, चिंतक, समाजसेवी और पत्रकार आजकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा ले रहे हैं क्योंकि कि इसके बढ़ते प्रचलन के कारण हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात को आसानी से पहुंचाने लगे हैं। यहां पर यह निश्चित हो जाता है कि हमारा मीडिया जितना सजग होगा हमारा लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा। दुनियां में तमाम देश ऐसे हैं जहां मीडिया पर अनावश्यक प्रतिबंध लगे हुए हैं और वहां तानाशाही शासन चल रहा है। सरकारें अपने मुताबिक ही कार्य कर रही हैं और उसका विरोध भी कोई नहीं कर सकता है। कम से कम भारत में हमें अपनी बात कहने की आजादी है और इसीलिए हमारे देश का लोकतंत्र विश्व सबसे मजबूत लोकतंत्र में से एक है।
मजबूत मीडिया तंत्र के माध्यम से हमारा देश आज मजबूत स्थिति में है। मीडिया पर आरोप लगना एक आम बात है क्योंकि कोई भी अपने विरोध में कुछ भी सुनना चाहता है। आज भी मीडिया पर आरोप लगते रहते हैं। लेकिन मीडिया इन सब की परवाह किए बिना निरंतर अपने आप का मजबूत कर रहा है। मीडिया के सामने भी बहुत सी मजबूरियां होती हैं वह अपनी लेखनी से हर किसी को खुश नहीं कर सकता। अभी हाल ही में कुछ निंदनीय घटनाएं मीडिया के ऊपर घटित हुई हैं लेकिन इसकी परवाह किए बिना मीडिया बराबर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है ताकि हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत बनी रहे।
जितेन्द्र सिंह पत्रकार
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