शहडोल में 'महाकाल' के नाम पर 'पाप' का साम्राज्य: पुलिस और उच्च-स्तरीय संरक्षण से चल रहा करोड़ों का अवैध सिंडिकेट - हड़कंप!

जेल में पिता, बाहर बेटा चला रहा 'अंधा' कारोबार; कोयला, कबाड़, रेत के काले धंधे में बड़े चेहरे शामिल, पुलिस-प्रशासन पर गंभीर सवाल

शहडोल में 'महाकाल' के नाम पर 'पाप' का साम्राज्य: पुलिस और उच्च-स्तरीय संरक्षण से चल रहा करोड़ों का अवैध सिंडिकेट - हड़कंप!

शहडोल, मध्य प्रदेश : 'स्वतंत्र प्रभात'

न्यूज चैनल ने शहडोल जिले के बुढ़ार थाना क्षेत्र के भठौरा में "महाकाल कांटा घर" से संचालित हो रहे एक बड़े अवैध खनन और काले कारोबार के सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है। आरोप है कि यह कारोबार स्थानीय पुलिस के साथ-साथ प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण में बेखौफ चल रहा था।

इस पूरे नेटवर्क का संचालन 'महाकाल कांटा घर' से हो रहा था, और इसके पीछे एक मुख्य सूत्रधार का नाम सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह व्यक्ति, वही व्यक्ति का बेटा है जो कुछ समय पहले एक मजदूर की हत्या के आरोप में जेल की सलाखों के पीछे है। अब खुलासा हुआ है कि जेल में बंद पिता के पूरे अवैध साम्राज्य को बेटा ही संभाल रहा था, जिसमें सिर्फ अवैध कोयला ही नहीं, बल्कि करोड़ों का कबाड़ और रेत का काला धंधा भी बेखौफ चल रहा था। सूत्रों की मानें तो इस सिंडिकेट में शहडोल के कई बड़े और प्रभावशाली चेहरों की संलिप्तता है, जिनका खुलासा होना अभी बाकी है, जिससे पूरे जिले में हड़कंप मच गया है।

महाकाल कांटा घर: अवैध धंधों का गढ़, 'अंधी' आँखों से भी बढ़कर

जानकारी के अनुसार, भठौरा क्षेत्र में लंबे समय से भूमिगत तरीके से कोयले का अवैध खनन किया जा रहा था। इस गतिविधि से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का भारी नुकसान हो रहा था, वहीं पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंच रही थी और असुरक्षित खनन के कारण मजदूरों की जान भी लगातार जोखिम में थी।

जांच में सामने आया है कि 'महाकाल कांटा घर' इस पूरे अवैध कारोबार का केंद्र बन चुका है। यहीं से इस सिंडिकेट के मुखिया के इशारे पर रोजाना 20 से 30 अवैध कोयले के ट्रक लोड किए जाते थे। यह संख्या ही इस बात का प्रमाण है कि यह धंधा कितनी बेधड़क और संगठित तरीके से चल रहा था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सारा कारोबार न केवल पुलिस की आँखों के सामने चलता है, बल्कि उच्च प्रशासनिक तंत्र और राज्य सरकार में बैठे बड़े ओहदेदारों के संरक्षण में यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। पुलिस ने इस अवैध कमाई में अपना हिस्सा लिया है, जिसके कारण उनकी निष्क्रियता स्पष्ट है।

कोयला ही नहीं, कबाड़ और रेत में भी फैला करोड़ों का काला जाल

सबसे हैरान करने वाला खुलासा यह है कि इस सिंडिकेट का आपराधिक साम्राज्य केवल अवैध कोयला खनन तक ही सीमित नहीं था। बताया जा रहा है कि इसी 'महाकाल कांटा घर' के माध्यम से अवैध कबाड़ और रेत का कारोबार भी धड़ल्ले से चल रहा था। एक ही स्थान से इतने सारे अवैध धंधों का संचालन होना, एक सुनियोजित और बड़े आपराधिक सिंडिकेट की ओर स्पष्ट संकेत देता है, जिसे पुलिस, स्थानीय प्रशासन और यहां तक कि राज्य स्तर पर भी मौन समर्थन प्राप्त था।

जेल में पिता, बाहर बेटे का 'करोड़ों का राज' - यह संपत्ति आई कहाँ से?

यह स्थिति प्रशासन, पुलिस और सत्ता में बैठे लोगों की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। जेल जाने के बाद, उसके बेटे द्वारा उसके पूरे अवैध कारोबार को संभालने की खबर ने स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया है। यह कैसे संभव था कि इतने बड़े पैमाने पर एक परिवार द्वारा अवैध गतिविधियां संचालित की जा रही थीं और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी, या यदि लगी भी तो समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस व्यक्ति के पास करोड़ों की अकूत संपत्ति कहाँ से आई? वह फॉर्च्यूनर जैसी महंगी गाड़ियों में घूमता है, जो सीधे तौर पर इन अवैध धंधों से अर्जित काले धन का प्रतीक है। उसके पिता भी इसी तरह के अवैध धंधों में लिप्त थे, और अब बेटे ने इस साम्राज्य को और बढ़ा दिया है। यह स्पष्ट रूप से अवैध कमाई का नतीजा है, जिस पर अभी तक कोई लगाम नहीं लगाई गई है। यह व्यक्ति क्षेत्र का एक बड़ा और बेखौफ गुंडा बन चुका है, जिसके आतंक के कारण कोई उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता।

सिंडिकेट में बड़े चेहरों की भूमिका: पुलिस और उच्च-स्तरीय मिलीभगत पर सवाल

सूत्रों का दावा है कि इस अवैध सिंडिकेट में केवल यह व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्य ही नहीं, बल्कि शहडोल के कई बड़े और प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं। इनके नाम अभी गोपनीय रखे गए हैं, लेकिन यह आशंका जताई जा रही है कि इन्हीं बड़े चेहरों के संरक्षण में यह पूरा काला कारोबार फल-फूल रहा था। पुलिस की निष्क्रियता और इन अवैध गतिविधियों का आँखों के सामने चलते रहना, पुलिस और अपराधियों के बीच सांठगांठ की ओर साफ इशारा करता है। यह स्पष्ट है कि पुलिस को इस काले कारोबार से आर्थिक लाभ मिल रहा है।

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गंभीर आरोप तो यह भी है कि इस सिंडिकेट की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसमें कुछ केंद्रीय जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों की भी संलिप्तता है, जो इस मामले को दबाने में मदद कर रहे हैं। यही नहीं, राज्य सरकार के कुछ प्रभावशाली मंत्री और उच्चाधिकारी भी इस पूरे खेल में शामिल हैं, जिनकी शह पर यह अवैध साम्राज्य बेखौफ चल रहा है। यह स्थिति कानून के राज पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है और दर्शाती है कि भ्रष्टाचार किस हद तक फैल चुका है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह भी है कि इस अवैध साम्राज्य में सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि कुछ पत्रकार भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, शहडोल संभाग में शायद ही कोई ऐसा पत्रकार है जिसमें इस सिंडिकेट के मुखिया के खिलाफ खबर छापने की हिम्मत हो। इसके विपरीत, कई पत्रकारों ने इस व्यक्ति को ब्लैकमेल कर उससे मोटी रकम ऐंठी है, और माफिया से मिलीभगत कर इस काले कारोबार को बढ़ावा दिया है। इन 'पत्रकारों' की यह हरकत समाज के सामने पत्रकारिता के एक काले सच को उजागर करती है।

कठोर कार्रवाई की मांग: कानून का राज कब होगा स्थापित?

शहडोल पुलिस और प्रशासन को अब इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी होगी। न केवल अवैध कोयला खनन, कबाड़ और रेत के कारोबार को जड़ से खत्म करना होगा, बल्कि इस सिंडिकेट के मुखिया और उसके पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ कर सभी दोषियों को गिरफ्तार करना होगा और उसकी करोड़ों की अवैध संपत्ति की जांच कर जब्त करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण, इस सिंडिकेट में शामिल सभी बड़े चेहरों, भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय एजेंसियों से जुड़े कर्मियों, राज्य सरकार के प्रभावशाली लोगों और भ्रष्ट पत्रकारों को बेनकाब कर उन पर भी कानूनी शिकंजा कसना होगा ताकि कानून का राज स्थापित हो सके और भविष्य में इस तरह की अवैध गतिविधियां दोबारा न हों। क्षेत्र की जनता अब प्रशासन से इन 'महाकाल' के नाम पर 'पाप' करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रही है। क्या शहडोल पुलिस, प्रशासन और उच्च अधिकारी अपनी आँखों पर बंधी पट्टी हटाकर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे, या यह 'पाप का साम्राज्य' इसी तरह फलताफूलता रहेगा?

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