कथा के चौथे दिन भाव-विभोर हुए भक्त, पंडाल में छाया अलौकिक वातावरण

कथा के चौथे दिन भाव-विभोर हुए भक्त, पंडाल में छाया अलौकिक वातावरण

 
भदोही।
 
सुरियावां क्षेत्र के भोरी गांव में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का चौथा दिन अत्यंत भावपूर्ण और दिव्य आभा से ओतप्रोत रहा। कथावाचक संतोष जी महाराज ने अपने ओजस्वी वाणी एवं विशद व्याख्यान से श्रद्धालुओं को गजेंद्र मोक्ष, श्री राम जन्म तथा श्री कृष्ण जन्मोत्सव जैसे पावन प्रसंगों का अमृतपान कराया।
 
कथा आरंभ होते ही पंडाल में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्ति संगीत की मधुर धुनों, ढोल-मंजीरों की ताल और जयघोषों ने पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। महाराज जी ने गजेंद्र मोक्ष प्रसंग का ऐसा भाव-विह्वल वर्णन किया कि श्रद्धालु भावनाओं से अभिभूत हो उठे। उन्होंने बताया कि किस प्रकार भक्त गजेंद्र की पुकार सुनकर भगवान विष्णु श्वेतगज पर आरूढ़ होकर पहुंचे और उसे मोक्ष प्रदान किया—यह प्रसंग पंडाल में उपस्थित लोगों के लिए अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति का क्षण बना।
 
इसके बाद श्री राम जन्मोत्सव का दिव्य वर्णन हुआ। रामलला के प्राकट्य के समय पंडाल “जय श्री राम” के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा। भक्तों ने तालियाँ बजाकर व पुष्पवर्षा कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। श्री कृष्ण जन्मोत्सव का अलौकिक चित्रण शाम का मुख्य आकर्षण रहा। संतोष जी महाराज ने कंस के अत्याचार, देवकी-वसुदेव की पीड़ा, कारागार के द्वारों का स्वतः खुलना और वसुदेव जी द्वारा यमुना पार करके नंद-यशोदा के आंगन में बालकृष्ण को पहुंचाने की लीला का ऐसा वर्णन किया कि श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
 
कथा स्थल पर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने संगीतमयी भजनों पर भावपूर्वक झूमकर अपनी भक्ति अर्पित की। पूरा पंडाल एक दिव्य आध्यात्मिक धाम में परिवर्तित दिखाई दिया। महोत्सव समिति ने बताया कि आने वाले दिनों में भी श्रीमद्भागवत के विशेष प्रसंगों का वृहद वर्णन किया जाएगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के सहभागी होने की संभावना है।

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