प्रखंड परिसर का ऐतिहासिक पोखर उपेक्षा का शिकार, सौंदर्यीकरण के दावों की खुली पोल

स्थानीय लोग बोले—कभी था जल का प्रमुख स्रोत, अब बना गंदगी और मच्छरों का अड्डा

प्रखंड परिसर का ऐतिहासिक पोखर उपेक्षा का शिकार, सौंदर्यीकरण के दावों की खुली पोल

त्रिवेणीगंज (सुपौल):

जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत जल स्रोतों के संरक्षण और सौंदर्यीकरण को लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। त्रिवेणीगंज प्रखंड परिसर स्थित ऐतिहासिक पोखर आज बदहाली और उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।

कई वर्षों से इस पोखर के सौंदर्यीकरण को लेकर योजनाएं तो बनीं, लाखों रुपये भी खर्च हुए, लेकिन वास्तविक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। वर्तमान में यह पोखर जलकुंभियों से भरा हुआ है और कूड़ा-कचरा तथा मच्छरों का अड्डा बन चुका है, जिससे क्षेत्र में संक्रमण और बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।

स्थानीय निवासी बसंत यादव, सुमन कुमार सिंह डब्लू, दीपक कुमार, कुणाल यादव, अभिषेक कुमार, नीतीश यादव, राजेश चौधरी, मणिकांत यादव, अजय समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि यह पोखर कभी लोगों के लिए जल का प्रमुख स्रोत हुआ करता था, लेकिन अब यह सरकारी लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन गया है। उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली जैसी योजनाएं कागजों पर ही सजी-संवरी नजर आती हैं, जमीन पर इनका कोई असर नहीं दिखता।

ग्रामीणों की मांग है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस दिशा में ठोस पहल करें, ताकि इस पोखर को एक आदर्श जल स्रोत में बदला जा सके। उनका कहना है कि यदि इच्छाशक्ति दिखाई जाए, तो यह पोखर जल संचयन का प्रभावी माध्यम बन सकता है और साथ ही आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ व सुंदर बना सकता है।

बीडीओ ने दिया जवाब


मंगलवार को जब इस विषय में प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) अभिनव भारती से बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में पोखर की सफाई कराई गई है। इसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के लिए नगर परिषद को प्रस्ताव भेजा गया है, और उनकी ओर से इसे योजना में शामिल करने का आश्वासन भी मिला है। जल्द ही इस दिशा में ठोस कार्यवाही की जाएगी।

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