ख़जनी: खाली कुर्सियाँ, घटती शिकायतें और सुस्त तंत्र: संपूर्ण समाधान दिवस बना 'अधूरा समाधान दिवस
तहसील स्तरीय अधिकारियों की उपस्थिति कम होने से खाली पड़ी रही कुर्सियां
'रिपोर्टर/ख़जनी -रामअशीष तिवारी
तहसील स्तरीय अधिकारियों की उपस्थिति कम होने से खाली पड़ी रही कुर्सियां*
पंचानवे फरियादी पहुंचे, लेकिन समाधान मिला केवल सात को। बाकी आवेदनों को जिम्मेदार अफसरों के हवाले करते हुए उप जिलाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने 15 दिन में आख्या मांगी है। लेकिन मजे की बात यह रही कि जिन अफसरों को आवेदन सौंपे गए, उनकी कुर्सियां ही खाली रहीं। तहसील सभागार में अधिकारियों की उपस्थिति इतनी कम थी कि खाली पड़ी कुर्सियाँ जनता का स्वागत करती नजर आईं।

सबसे दिलचस्प बात ये रही कि दोपहर दो बजे के बाद कोई भी राजस्व व पुलिस की संयुक्त टीम किसी शिकायत के निस्तारण को नहीं भेजी गई। मानो समाधान दिवस सिर्फ ‘दिवस’ तक ही सीमित था, समाधान से उसका कोई वास्ता नहीं।
लोगों में चर्चा थी कि जब फरियादी कम और अफसर भी कम, तो फिर इसका आयोजन ही क्यों? क्या यह रस्मअदायगी बनकर रह गया है?
इस मौके पर तहसीलदार नरेंद्र कुमार, नायब तहसीलदार अशोक कुमार, राजस्व निरीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह और कुछ अन्य अधिकारी तो मौजूद रहे, लेकिन उनके प्रयास भी भीड़ और उम्मीदों के अनुपात में कम ही नजर आए।
अब देखना ये है कि आने वाले समाधान दिवसों में कुर्सियां भरेंगी या फिर शिकायती चुप्पी और खाली कुर्सियों का मेल यूं ही चलता रहेगा।

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