.....शायद पीएम मोदी की नजर हमारे इस बेहाल रेलवे स्टेशन पर भी पड़ जाए
हरौनी का हर ग्रामीण अब उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है पीएम मोदी की ओर
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वर्षों से बदहाल हालत में लखनऊ से सटा यह रेलवे स्टेशन, तमाम प्रयासों के बाद भी नही बदले हालात
स्वतंत्र प्रभात/ राहुल तिवारी
लखनऊ। रेलवे में पूरे देश में तेजी से बदलाव हुए तमाम स्टेशनों की तस्वीरें बदलीं कइयों पर सुविधाओं में इजाफा तो कहीं प्लेटफार्मो की संख्या भी बढ़ी लेकिन लखनऊ से सटे हरौनी रेलवे स्टेशन जहां से एक बड़ी ग्रामीण आबादी दैनिक यात्री के रूप में सफर करती है वहां की हालत में सुधार नहीं हो सका।
एक नही मोदी सरकार में तीन रेल मंत्रियों तक हरौनी वासियों का दर्द कभी क्षेत्रीय सांसद तो कभी क्षेत्रीय बीजेपी नेताओं के माध्यम से पहुंचा धरना प्रदर्शन भी हुए पर हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। अब हरौनी की जनता पीएम मोदी से बड़ी उम्मीद से मांग कर रही है की उनके स्टेशन की भी तस्वीर बदले, यात्रियों को सुविधाएं मिलें और बड़ी ट्रेनों का ठहराव भी यहां पर किया जाए साथ ही दैनिक यात्रियों की सुविधा के लिए मेमू ट्रेनों की संख्या पहले की तरह ही की जाए।
लखनऊ से सटे हरौनी रेलवे स्टेशन से रोजाना हजारों की संख्या में यात्री अपने अपने गन्तव्य तक यात्रा करते हैं, लेकिन इस रेलवे स्टेशन की हालत बद से बद्तर है। प्रधान से लेकर सांसद वर्तमान में केंद्रीय मंत्री तक से प्रयासों और पत्राचार के बाद भी हरौनी रेलवे स्टेशन आज भी जस का तस ही पड़ा है। आलम यह है कि इस स्टेशन पर प्लेटफार्म संख्या 2-3 पर बड़ी बड़ी झाड़ियां और घास खड़ी है। यहां पर यात्रियों के न तो बैठने के लिए बेंच है न बड़ा टीन शेड और जो हैं भी वो भी जर्जर हालत में। न महिलाओं के लिए शौचालय व्यवस्था और न ही पीने के लिए शुद्ध पेयजल की ही व्यवस्था है।
इस स्टेशन पर मात्र एक इन्डिया मार्का हैडपम्प है जिसके सहारे लोग पानी पीते हैं। प्लेट फार्म नम्बर 2-3 का ऊचीकरण न होने से अक्सर यात्री उतरते व चढ़ते समय चोटिल हो जाते है जिसमें खासकर महिलाएं ज्यादा चोटिल होती है लेकिन उसके बाद भी रेलवे के अधिकारी इस स्टेशन को दुरुस्त करने की जरूरत नहीं समझ रहे है। यही हाल इस स्टेशन के प्लेट फार्म संख्या एक का है जहाँ बेंच्चे तक टूटी पड़ीं है पानी की टोटियो सूखी पड़ी हैं पर जिम्मेदार रेलवे मौन है। सारे प्रयास करके हार चुके यहां के ग्रामीण अब देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं की शायद उनकी दृष्टि इस स्टेशन पर पड़े और इसका भी उद्धार हो जाए।
में पानी ही नहीं आ आ रहा है
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