पिच पर नहीं, इतिहास के हृदय पर लिखा गया ‘भारत विजेता’

पिच पर नहीं, इतिहास के हृदय पर लिखा गया ‘भारत विजेता’

[जब मैदान बोला — ‘यह भारत की बेटियों का युग है]

[बेटियों ने खेला नहींगढ़ा — एक नया भारतएक नया युग]

जब महिला विश्व कप 2025 के फाइनल की आखिरी गेंद फेंकी गई और एक शानदार कैच ने खेल को समेटातो वह महज एक बल्लेबाज का आउट होना नहीं था — वह भारत की बेटियों की अमर विजय-कथा का स्वर्णिम अध्याय था। स्टेडियम में तिरंगा केवल हवा में नहीं लहरायाबल्कि गर्व और सम्मान के साथ आसमान को चूम रहा था। उस ऐतिहासिक पल में मैदान पर सिर्फ खिलाड़ी नहींबल्कि भारत की नारी शक्ति का अडिग जज्बा साकार हो उठा — जो दशकों के संघर्षअनगिनत सपनों और अटूट संकल्प की मूर्तिमान प्रतीक बन चुकी थी। यह जीत क्रिकेट के दायरे से कहीं आगे थीयह एक विचार की विजय थी — कि जब नारी मैदान में कदम रखती हैतो वह सिर्फ खेल नहीं खेलतीबल्कि युगों को नया आकार देती है। महिला विश्व कप 2025 का यह स्वर्णिम पल एक ऐसी गर्जना बनकर उभराजिसने हर भारतीय के हृदय में यह विश्वास जगा दिया: अब कोई क्षेत्र पुरुषों का एकमात्र गढ़ नहींयह युग भारतीय नारी का है!

संघर्ष से शिखर तक: एक प्रेरक यात्रा

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भारतीय महिला क्रिकेट टीम का यह सफर किसी प्रेरणादायक सिनेमाई कहानी से कम नहीं। कभी खाली स्टेडियमों में गूंजती तालियों की कमी थीऔर आज करोड़ों आँखें टीवी स्क्रीन पर थम गईं। यह जीत पसीनेआँसुओं और अनगिनत मेहनत की देन है। स्मृति मंधाना की दृढ़ संकल्पहरमनप्रीत कौर का प्रेरक नेतृत्वशेफाली वर्मा की बेखौफ बल्लेबाजीजेमिमा का अविस्मरणीय प्रदर्शन और दीप्ति शर्मा की चतुर रणनीति—इन सबने मिलकर वह जादू रचाजिसने भारत को विश्व चैंपियन बनाया। हर अभ्यासहर चोटहर हार इस ऐतिहासिक जीत की नींव बनी। यह जीत साबित करती है कि जब सपना सिर्फ ट्रॉफी का नहींबल्कि देश का गौरव बढ़ाने का होतो कोई रुकावट उसे रोक नहीं सकती। यह भारतीय नारी की ताकत का प्रतीक हैजो विश्व पटल पर अमर हो गया।

जब फाइनल में भारतीय नारी शक्ति मैदान पर उतरीतो प्रत्येक खिलाड़ी के चेहरे पर आत्मविश्वास की लौ दहक रही थीमानो विजय का संकल्प उनकी रगों में दौड़ रहा हो। चाहे विपक्षी दल कितना भी प्रबल क्यों  होभारतीय शेरनियों की निगाहें सिर्फ एक मंजिल पर टिकी थीं—विश्व विजेता का ताज पहनना। यह विजय केवल मैदान की नहींबल्कि हर उस माँ की हैजिसने समाज की रूढ़ियों को ठुकराकर अपनी बेटी को बैट थमाया। हर उस पिता की हैजिसने सुबह की पहली किरण के साथ अपनी बेटी को मैदान तक पहुँचाया। हर उस कोच की हैजिसने अभावों के बीच विश्वस्तरीय योद्धाओं को तराशा। यह जीत उन अनगिनत भारतीयों की हैजिनके दिलों में तिरंगे का गर्व धड़कता है। महिला विश्व कप 2025 की यह ट्रॉफी महज एक पुरस्कार नहींबल्कि समानतासाहस और सम्मान का प्रतीक है। अब यह सिर्फ महिला क्रिकेट नहींबल्कि भारतीय क्रिकेट की गौरव गाथा है—जहाँ मैदान ने लैंगिक बंधनों को तोड़कर केवल जुनून और जोश को सलाम किया है।

भारत की 2025 महिला विश्व कप यात्रा एक ऐतिहासिक गाथा बन गईजिसने न केवल रिकॉर्ड तोड़ेबल्कि लाखों सपनों को पंख दिए। स्मृति मंधाना ने इंग्लैंडऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ लगातार तीन अर्धशतकों के साथ विश्व कप इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी। कप्तान हरमनप्रीत कौर ने न सिर्फ 2000 रनों का आंकड़ा पार कियाबल्कि फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अंतिम कैच लेकर भारत को गौरव दिलाया। भारतीय गेंदबाजोंविशेष रूप से दीप्ति शर्मा की अगुवाई मेंजिन्होंने 22 विकेट झटके और फाइनल में 5/39 की शानदार गेंदबाजी कीने टूर्नामेंट में सबसे कम इकोनॉमी रेट (4.11) के साथ विपक्षी बल्लेबाजों को बांधे रखा। सबसे बड़ा क्षण तब आयाजब भारत ने नवी मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार महिला विश्व कप का खिताब जीता। ये आंकड़े महज संख्याएँ नहींबल्कि प्रेरणा की कहानियाँ हैंजो हर नन्ही क्रिकेटर को यह विश्वास दिलाएँगी कि सपने सच हो सकते हैं।

यह जीत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश है — सपने देखोऔर उन्हें साकार करने की हिम्मत रखो।” आज गाँव-गाँव में लड़कियाँ क्रिकेट की बात कर रही हैं। स्कूलों में बेटियाँ अब हरमनप्रीत बनना चाहती हैं, “धोनी नहीं।” भारत की यह नई तस्वीर बदलते समाज की गवाही देती है — जहाँ महिलाएँ केवल मैदान में नहींबल्कि विचारों में भी अग्रणी हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और सरकार ने भी इस परिवर्तन में अहम भूमिका निभाई है। महिला खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्टसमान इनाम राशिऔर आधुनिक सुविधाएँ — ये सब दर्शाते हैं कि अब भारत केवल समर्थन नहींविश्वास भी देता है। साथ हीकॉर्पोरेट और मीडिया ने महिला क्रिकेट को मुख्य धारा में लाकर इसे वह सम्मान दिलाया हैजिसका यह लंबे समय से हक़दार था।

विश्व कप की यह ट्रॉफी भारत के लिए एक नई शुरुआत है। यह जीत बताती है कि जब महिलाएँ आगे बढ़ती हैंतो केवल खेल नहींराष्ट्र की आत्मा भी ऊँचाई छूती है। हरमनप्रीत कौर ने मैच के बाद कहा था — यह ट्रॉफी सिर्फ़ हमारे लिए नहींउन सभी के लिए है जिन्होंने हम पर भरोसा कियाजब कोई नहीं करता था।” यह वाक्य उस जज़्बे की पहचान है जो भारत की बेटियों में आज ज़िंदा है — अवसर नहींउपलब्धि की तलाश।

भारत की महिला क्रिकेट टीम की यह जीत एक युगांतकारी क्षण है। यह उस देश की कहानी है जहाँ कभी बेटियाँ सीमाओं में बंधी थींआज वही सीमाएँ तोड़कर विश्व विजेता बनी हैं। यह जीत केवल कप की नहींकपड़ेकंधेऔर क़दमों की बेड़ियाँ तोड़ने की जीत है। आज हर भारतीय कह सकता है — हमारी बेटियाँ किसी से कम नहींबल्कि सबसे आगे हैं।” महिला विश्व कप 2025 की यह दास्तान इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगी — क्योंकि यह जीत नहींएक क्रांति है।

प्रो. आरके जैन अरिजीत, बड़वानी (मप्र)

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