Swantantra prabhat sampadkiya
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

बिहार के बाद 2026 में होने वाले पांच राज्यो के चुनाव पर राजनैतिक दलों का फोकस,भाजपा बिहार का फॉर्मूला दोहराएगी?

बिहार के बाद 2026 में होने वाले पांच राज्यो के चुनाव पर राजनैतिक दलों का फोकस,भाजपा बिहार का फॉर्मूला दोहराएगी? 2026 का विधानसभा चुनाव भाजपा  के लिए एक अहम मोड़ हो सकता है, खासकर उन राज्यों में जहाँ उसकी राजनीतिक पकड़ अभी मजबूत नहीं है। तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी। जबकि असम में भाजपा पहले से सत्ता में है,...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

झांसी की वीरांगना: रानी लक्ष्मीबाई का राष्ट्रप्रेम और प्रेरणादायक संघर्ष  

झांसी की वीरांगना: रानी लक्ष्मीबाई का राष्ट्रप्रेम और प्रेरणादायक संघर्ष   रानी लक्ष्मीबाई का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उस चमकते सितारे की तरह उभरता है, जिसकी रोशनी समय बीतने के बाद भी धुंधली नहीं पड़ती। उनका जीवन केवल अतीत का एक अध्याय नहीं है, बल्कि वर्तमान और भविष्य...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

देखते रहे लोग... मरती रही इंसानियत

देखते रहे लोग... मरती रही इंसानियत [इंसानियत की लाश पर खड़ा ये आधुनिक समाज] [मरती ज़िंदगी का लाइव वीडियो – समाज की शर्मनाक कहानी] भीड़ थी। लोग थे। मोबाइल थे। कैमरे थे। बस इंसान नहीं थे। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

जीवन पर सवाल बन रही वायु की खराब गुणवत्ता 

जीवन पर सवाल बन रही वायु की खराब गुणवत्ता    राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब स्थिति कितनी भयावह हो चुकी है, इसका अंदाजा इस से लगाया जा सकता है कि लोगों को मजबूरी में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़   एनसीआर...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

मतदाता सूची का सत्यापन हर पाँच साल मे जरूरी हो 

मतदाता सूची का सत्यापन हर पाँच साल मे जरूरी हो  दुनिया का सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले भारत देश मे सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती हे ! भारत मे 18 वर्ष आयु के हर व्यक्ति को मतदान करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त हे ! मतदान के लिए निर्वाचन नामावली...
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विचारधारा  स्वतंत्र विचार 

विज्ञान कोई मंजिल नहीं, यह यात्रा है

विज्ञान कोई मंजिल नहीं, यह यात्रा है [जहाँ सवाल होते हैं, वहीं विज्ञान जन्म लेता है] [विश्व विज्ञान दिवस: ज्ञान, विश्वास और नवाचार का उत्सव] एक अंधेरी रात में, सदियों पहले, कोई इंसान आकाश की ओर देखता है और मन में सवाल उठता...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

अरबों डॉलर का है कुत्तों के बाजार का अर्थशास्त्र

अरबों डॉलर का है कुत्तों के बाजार का अर्थशास्त्र भारतीय समाज और मीडिया में पिछले तीन महीनों से कुत्ते चर्चा में छाए हुए हैं। यह पहली बार है कि समाचार-पत्रों के मुखपृष्ठों और टीवी के प्राइम टाइम में नेताओं के बराबर ही कुत्तों को जगह मिली है। कृपया मुझे...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

अफगानिस्तान- पाकिस्तान संघर्ष के सियासी रंग, भारत अमेरिकी प्रभाव के दूरगामी परिणाम।

अफगानिस्तान- पाकिस्तान संघर्ष के सियासी रंग, भारत अमेरिकी प्रभाव के दूरगामी परिणाम। भारतीय उपमहाद्वीप का यह त्रिकोण भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान एशिया की भू-राजनीति का सबसे संवेदनशील और जटिल क्षेत्र है। यह केवल सीमाओं का नहीं बल्कि सभ्यताओं, संस्कृतियों और विचारधाराओं का संगम है। तीनों देशों के रिश्ते प्राचीन इतिहास से लेकर...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

साहित्य सत्य की साधना और संस्कृति का पर्याय

साहित्य सत्य की साधना और संस्कृति का पर्याय भारतीय अर्वाचीन संस्कृति का दार्शनिक चिंतन सदैव इस बात पर केंद्रित रहा है कि मनुष्य केवल शरीर नहीं, बल्कि चेतना का संवाहक है। यह चेतना जब अभिव्यक्ति के किसी व्यक्त रूप में प्रवाहित होती है, तो वही अभिव्यक्ति का परिवर्जित...
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विचारधारा  स्वतंत्र विचार 

जेमिमा रोड्रिग्स- आस्था के आँसू और बौद्धिक कुप्रचार का खेल

जेमिमा रोड्रिग्स- आस्था के आँसू और बौद्धिक कुप्रचार का खेल देश इस समय ख़ुमारी में है। महिला क्रिकेट का विश्व कप जीत कर जहाँ एक ओर देशवासी जीत के जश्न में हैं वहीं दूसरी तरफ एक खिलाड़ी की आड़ में कुप्रचार के एक ऐसे खेल से जूझ रहे हैं जो...
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विचारधारा  स्वतंत्र विचार 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल संगठन नहीं एक परिवार है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल संगठन नहीं एक परिवार है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज शताब्दी वर्ष मना रहा है संघ को जो लोग समाचार पत्रों से टेलीविजन से एवं अन्यान्य लोगों से सुनते और समझते हैं उन्हें संघ केवल एक हिन्दुओं का संगठन समझ में आता होगा लेकिन जब आप...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

गरीबी हटाओ अब सिर्फ चुनावी जुमला नहीं हकीकत बन रहा है 

गरीबी हटाओ अब सिर्फ चुनावी जुमला नहीं हकीकत बन रहा है  साठ साल तक गरीबी हटाओ सिर्फ एक चुनावी जुमला रहा जिसे खूब उछाला गया लेकिन नतीजा ठेंगा निकला लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद गरीबी हटाओ सिर्फ लोक लुभावन नारा नही है ऐसा खुद विश्वबैंक मानता है। पिछले एक...
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