ओबरा में बेलगाम टीपरों का आतंक और प्रदूषण का कहर: नागरिकों में भय व्याप्त, प्रशासन की कार्रवाई शून्य
पूर्वांचल पत्रकार एकता समिति के नगर सचिव अजीत सिंह ने उप जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
लोगों ने किया ओवरलोड वाहनों पर रोक लगाने के साथ प्रदूषण मुक्त करने की मांग
अजीत सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
ओबरा तहसील के बिल्ली मारकुंडी क्षेत्र के नागरिक इन दिनों एक गंभीर दुष्चक्र में फंसे हुए हैं। एक ओर जहां बेलगाम टीपर चालकों की जानलेवा रफ्तार और गैरजिम्मेदाराना रवैये ने उनकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया है, वहीं दूसरी ओर इलाके में जारी अंधाधुंध खनन गतिविधियों के कारण फैल रहे जानलेवा प्रदूषण ने उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालना शुरू कर दिया है।
इस भयावह स्थिति से त्रस्त होकर पूर्वाचल पत्रकार एकता समिति के नगर महासचिव अजीत सिंह ने आखिरकार क्षेत्र के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में उन्होंने इन गंभीर समस्याओं से एसडीएम को अवगत कराते हुए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की पुरजोर मांग की है।
बिल्ली क्षेत्र में संचालित खदानों से निकलने वाले विशालकाय टीपर अक्सर अपनी क्षमता से कहीं अधिक माल भरकर सड़कों पर दौड़ते हैं। इसका प्रत्यक्ष परिणाम यह होता है कि ओबरा-चोपन जैसे व्यस्त मुख्य मार्ग पर आए दिन बड़े-बड़े पत्थर, गिट्टी और भस्सी गिरते रहते हैं। यह जानलेवा मलबा न केवल सड़क यातायात को बाधित करता है, बल्कि पैदल चलने वालों और अन्य वाहन चालकों के लिए भी एक गंभीर खतरा बन गया है।
इन खतरनाक परिस्थितियों के चलते क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाएं अब आम बात हो गई हैं। कुछ दिन पहले घटी एक हृदयविदारक घटना ने तो पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया था। नगर पुलिस उपाधीक्षक (सीओ सिटी) चारु द्विवेदी जब अपनी सरकारी गाड़ी से जा रही थीं, तभी खनन क्षेत्र से निकले एक अनियंत्रित टीपर ने उनकी गाड़ी को सामने से जोरदार टक्कर मार दी।
यह ईश्वर की कृपा ही थी कि इस भीषण हादसे में सीओ सिटी और उनके चालक बाल-बाल बच गए।हालांकि, इस गंभीर घटना के बाद भी जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। बिल्ली मारकुंडी के निवासियों के मन में अब यही चिंता सता रही है कि उन्हें इस जानलेवा प्रदूषण और सड़कों पर मंडराते मौत के खतरे से कब निजात मिलेगी? घनी आबादी वाले इस महत्वपूर्ण मार्ग पर न तो कोई गति अवरोधक (स्पीड ब्रेकर) लगाया गया है और न ही इन भारी-भरकम वाहनों की तेज गति पर किसी प्रकार का अंकुश लगाया जा सका है।
आसपास रहने वाले नागरिक इन पत्थर लदे वाहनों की बेलगाम रफ्तार से बुरी तरह से परेशान हैं। इस मार्ग की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके एक तरफ प्रतिष्ठित कॉलेज स्थित है, तो दूसरी तरफ बिल्ली रेलवे स्टेशन और चारों ओर घनी आबादी फैली हुई है। ऐसे में तेज रफ्तार भारी वाहनों का आवागमन किसी भी समय एक बड़े और दर्दनाक हादसे को जन्म दे सकता है।
विडंबना यह है कि शारदा मंदिर चौराहे जैसे व्यस्त स्थान पर लाखों रुपये खर्च करके एक पुलिस केंद्र तो स्थापित किया गया है, लेकिन उद्घाटन के बाद से ही वह धूल फांक रहा है। इसके बंद पड़े रहने से स्थानीय लोगों की सुरक्षा की उम्मीदें भी धूमिल होती जा रही हैं। दूसरी ओर, गजराज नगर से लेकर बग्गा नाला तक सड़क के दोनों किनारों पर पत्थर, गिट्टी और भस्सी का विशाल ढेर लगा हुआ है। यह अवैध मलबा न केवल सड़क की चौड़ाई को कम कर रहा है, बल्कि दोपहिया वाहन चालकों, खासकर मोटरसाइकिल और साइकिल सवारों के लिए एक जानलेवा खतरा साबित हो रहा है।
आए दिन इस मलबे के कारण वे फिसलकर चोटिल और घायल हो रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन तमाम गंभीर समस्याओं पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है।स्थानीय लोग अब प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें इस जहरीले वातावरण से मुक्ति मिल सके। उनका स्पष्ट कहना है कि यदि प्रशासन द्वारा जल्द ही कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो वे सड़कों पर उतरकर व्यापक विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन कब इस गंभीर समस्या पर अपनी नींद से जागेगा और कब नागरिकों को इस भयावह स्थिति से मुक्ति दिलाने के लिए कोई ठोस समाधान निकालेगा।
पूर्वाचल पत्रकार एकता समिति ने एसडीएम से तत्काल इस समस्या का संज्ञान लेने और बेलगाम टीपर चालकों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने के साथ-साथ सड़क पर गिरे खतरनाक मटेरियल को तुरंत हटवाने और प्रदूषण नियंत्रण के उचित उपाय सुनिश्चित करने की पुरजोर मांग की है, ताकि बिल्ली मारकुंडी के निवासियों को कुछ राहत मिल सके और भविष्य में होने वाली संभावित दुर्घटनाओं को टाला जा सके।

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