क्रिप्टोकरंसी और ट्रेडिंग के नाम पहचान छुपा कर चल रहा है बड़ा खेल इस खेल में बड़े गुर्गे है शामिल
अभी हाल ही में एक पुराना खेल सामने आया है जिसमें सीबीआई जांच कर रही है क्रिप्टो फ्रॉड केस में बड़ा एक्शन, देश में 60 जगहों पर CBI की छापेमारी
लखनऊ
उत्तर प्रदेश
भारत से DKT INDIA की ख़ास रिपोर्ट
रडार पर हैं बहुत सी क्रिप्टोकरंसी और ट्रेडिंग के नाम से फ्रॉड करने वाले लोग अभी तो लविश चौधरी पर गिरी है गाज पुराने मामलों गेन बिटकॉइन वन कॉइन बिटकनेक्ट और कई मामलों में लोग रडार पर हैं जिन पर कार्रवाई होनी शुरू हो गई कुछ लोग भारत में हैं कुछ लोग भारत से बाहर जा चुके हैं
लविश चौधरी लोगों को अपना असली नाम छुपा कर करता रहा लविश चौधरी ने ठगी के आरोपों से बचने के लिए अपना नाम बदलकर राशिद अली रखा है। मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव घासीपुरा में प्रोविजन स्टोर की दुकान चलाने वाले लविश चौधरी काम को लेकर प्रयोग पर प्रयोग करताा रहा। प्रोविजन स्टोर से गुजारा नहीं हुआ तो फैक्ट्री में काम करने लगा लेकिन यहां भी काम नहीं चला तो फॉरेक्स ट्रेडिंग कारोबार में घुसा तो इसका मास्टरमाइंड बन गया।

क्यूएफएक्स नाम की कंपनी खोलकर वह निवेश के नाम पर लोगों को अच्छा मुनाफा कमाने का लालच देकर कारोबार बढ़ाता गया। जब भी उसकी कंपनी कानून की नजरों में आती गई और उस पर प्रतिबंध लगते गए तो नए नाम से कारोबार बढ़ाता गया। अब वह दुबई में बैठकर हजारों करोड़ का कारोबार करर रहा है। क्युएफएक्स कंपनी के 210 करोड़ की ठगी का मामला उजागर होने पर ईडी द्वारा कसे जा रहे शिकंजे के बाद अब लविश चौधरी व उसके छिपे माले भी बाहर आने लगे है। बताया जा रहा है कि जिस क्यूएफएक्स कंपनी की 210 करोड़ की ठगी का मामला हिमाचल में नवंबर 2023 में मुकदमा दर्ज होने के बाद उजागर हुआ।

बताया जा रहा है कि उक्त नाम की कंपनी के डायरेक्टर के रूप में दूसरा नाम था जबकि की बागडोर लविश के हाथ में थी। चार साल पहले वर्ष 2021 में इस कंपनी का पंजीकरण कराया गया था। लविश लोगों से पैसा निवेश कराता था और उन्हें आय से 6 से 7 प्रतिशत प्रतिमाह इनकम के रूप में कि पैसा देता था। इतना ही नहीं जो किसी निवेश को लेकर आता था उसे भी तीन प्रतिशत कमीशन दिया जाता था।
इस तरह से लोगों ने लविश की कंपनी में मोटा निवेश करना शुरू कर दिया। भारत में फोरेक्स ट्रेडिंग पर प्रतिबन्धित होने पर लविश चौधरी दुबई चला गया और वहीं से अपना कारोबार चलाने लगा। ढाई वर्ष तक क्यूएफएक्स के नाम पर लोगों से मोटा रूपया इकट्ठा किया और इसके बाद क्यू एफएक्स को बंद कर वाईएफए वाईएफएक्स शुरू लगाया कर दी। अब वह वाईएफएक्स व बोट ब्रो के नाम पर कारोबार चला रहा है। यह कारोबार हजार करोड़ यदि अकेले मुजफ्फरनगर व शामली की बात की जाये, तो इन दो जनपदों से ही सैकड़ों करोड़ रूपया लोगों का दांव पर लगा हुआ है।

अभी हाल ही में एक पुराना खेल सामने आया है जिसमें सीबीआई जांच कर रही है क्रिप्टो फ्रॉड केस में बड़ा एक्शन, देश में 60 जगहों पर CBI की छापेमारी
इससे पहले 15 फरवरी 2025 को, CBI ने दिल्ली और हरियाणा में 11 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 1.08 करोड़ रुपए नगद, 1000 अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा, 252 ग्राम सोना, छह लैपटॉप, आठ मोबाइल फोन और एक आईपैड जब्त किए गए थे.
क्रिप्टोकरेंसी फ्रांड से जुड़े मामलों में देशभर में 60 जगह पर सीबीआई ने छापेमारी की है. ये छापे दिल्ली एनसीआर, पुणे, चंडीगढ़, नांदेड़, कोल्हापुर, बेंगलुरु और अन्य प्रमुख शहरों में चलाए जा रहे हैं. यह घोटाला फर्जी वेबसाइटों और ऑनलाइन धोखाधड़ी के माध्यम से किया गया था, जिसमें आरोपियों ने बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंज वेबसाइटों की नकल करके लोगों को ठगा.
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा ये स्कैम 2015 में शुरू हुआ था, जिसको अंजाम देने वालों में अमित भारद्वाज (मृतक), अजय भारद्वाज और उनके एजेंट शामिल थे. इन लोगों ने GainBitcoin और कई दूसरे नाम से वेबसाइट बनाकर लोगों से पोंजी स्कीम के तहत क्रिप्टोकरेंसी में इंवेस्ट कराया था. इन सभी वेबसाइट का कंट्रोल Variabletech Pte. Ltd. नामक कंपनी के द्वारा किया जाता था.
कितने रिटर्न का किया था वादा?
क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड करने वाले अमित भारद्वाज (मृतक), अजय भारद्वाज ने निवेशकों को इस योजना में 18 महीने बिटकॉइन में पैसा लगाने के लिए कहां, इसके बदले इन दोनों ने 10 प्रतिशत रिटर्न देने की बात कही थी. साथ ही निवेशकों को एक्सचेंजों से बिटकॉइन खरीदने और “क्लाउड माइनिंग” अनुबंधों के माध्यम से गेनबिटकॉइन के साथ निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
शुरू में दिया निवेशकों को रिटर्न
क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड करने वाले इतने शातिर थे कि उन्होंने इन्वेस्टर को शुरुआत में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर रिटर्न दिया था, लेकिन 2017 में इंवेस्टर्स कम होने के बाद ये योजना फ्लॉप हो गई और आरोपियों ने इंवेस्टर्स के घाटे को कवर करने के लिए उनके पैसे को अपनी इन हाउस MCAP क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया, जिसकी वास्तिव कीमत बिटकॉइन से काफी कम थी.
देशभर में दर्ज हुई FIR
इस क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए पूरे भारत में कई एफआईआर दर्ज की गई. स्कैम के साइज को देखते हुए जम्मू और कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में दर्ज मामलों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया.

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