दूध सी सफेद चमकार भाजपा वाशिंग मशीन
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स्वतंत्र प्रभात
इसमे कोई दोराय नही मोदी सरकार आने के बाद से विपक्ष लगातार खत्म होता जा रहा है। विपक्ष के बड़े-बड़े व दिग्गज नेता जो किसी समय उठते-बैठते, सोते-जागते भाजपा को गालियां देते नही थकते थे, आज बढ़ी शांति और श्रृद्धा से भाजपा में शामिल हो रहे हैं। ताजा जानकारी के अनुसार हाल ही में विपक्षी दलों के 80 हजार से अधिक कार्यकर्ता और नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं। यह सिलसिला लोकसभा चुनाव घोषणा के बाद भी नही रूक रहा है। चुनावों की घोषणा होने के बाद भी कांग्रेस समेत अन्य दलों के दिग्गज नेता बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
कुछ नेता ऐसे भी है जो भाजपा छोड़ अन्य दलों में जा रहे हैं उसका मुख्य कारण टिकट ना मिलना दिख रहा है। देश में लोकसभा चुनाव के बीच नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आने-जाने का सिलसिला लगातार जारी है। विपक्षी नेताओं के पार्टी बदलने के आंकड़ों को देखे तो एक खास ट्रेंड या रूझान नजर आता है। वो यह कि जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और जिन पर जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसा वहीं नेता सत्ताधारी पार्टी में शामिल होते दिखाई दिए। उधर से इधर आते ही उन नेताओं पर चल रही जांच भी ढीली पड़ गई।
यही वजह है कि, विपक्षी पार्टियां सत्तारूढ़ बीजेपी को वॉशिंग मशीन कहती है। 2014 के बाद से कथित भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने वाले 25 से ज्यादा दूसरी पार्टियों के प्रमुख नेता बीजेपी में शामिल हुए। इनमें 10 कांग्रेस से, एनसीपी और शिवसेना से चार-चार, तृणमूल कांग्रेस से तीन, तेलगु देशम पार्टी से दो, सपा और वाईएसआर से एक-एक है। इसमें अकेले महाराष्ट्र से 12 प्रमुख नेता है जो 2022 या उसके बाद भाजपा में चले गए। बीजेपी ज्वाइन करने के बाद 20 नेताओं के खिलाफ जांच ठंडी पड़ गई और 3 के केस बंद हो गए।
विपक्ष इसे वॉशिंग मशीन कहता है यानी एक ऐसा सिस्टम जिससे भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को अपनी पार्टी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने पर केन्द्रीय एजेंसियों के जांच और जेल का सामना ना करने का लाभ प्राप्त होता है। इन लाभार्थियों में अजीत पवार का नाम भी शामिल है। एनसीपी नेता अजीत पवार पर महाराष्ट्र के राज्य सहकारी बैंक में कथित अनियमिताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अगस्त 2019 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज की हुई है।
अजीत पवार जब महा विकास आघाडी सरकार का हिस्सा थे तब मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अक्टूबर 2020 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। भाजपा के सत्ता में लौटने पर पार्टी ने मामले को फिर से खोलने की मांग की लेकिन फिर अजीत पवार के एनडीए में शामिल होने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पश्चिम बंगाल के एक प्रमुख नेता सुवेंदु अधिकारी 11 अन्य टीएमसी नेताओं के साथ 'नारद स्टिंग ऑपरेशन' मामले में आरोपी हैं। अपराध के समय वो एक सांसद थे। सीबीआई 2019 से नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में जांच कर रही है। इसी बीच साल 2020 में सुवेंदु अधिकारी टीएमसी छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए।
सांसद रहने की वजह से उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी लेने का प्रावधान है। लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही सीबीआई लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी का इंतजार कर रही है। इसके साथ-साथ यानी ऐसे मामले भी है जो केवल नाम के लिए खुले रहते है, जिनमें कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नहीं होती। इसी घोटाले में आरोपी मुकुल राय चालाक निकले वो जांच के डर से पहले भाजपा में चले गए। सीबीआई चार्जशीट से नाम हटने के बाद फिर टीएमसी में आ गए। धुलाई के बाद स्वच्छ होने वालों में एक और चर्चित नाम है हिमंत बिस्वा सरमा का। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को 2014 में शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई की पूछताछ और छापेमारी का सामना करना पड़ा था, उस समय वो कांग्रेस के नेता थे।
उनका नाम गोवा में जल परियोजना अनुबंधों के लिए कथित रिश्वत देने से जुड़े लुइस बर्जर मामले में सामने आया था। लेकिन 2015 में उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से उनके खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ा है।ताजा उदाहरण के तौर पर पूर्व कांग्रेसी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का नाम आता है। वो मुंबई के आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट आवंटन से संबंधित मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं। सीबीआई ने उन पर कथित तौर पर रिश्तेदारों के लिए दो फ्लैटों के बदले में ऊंचे फ्लोर स्पेस इंडेक्स को मंजूरी देने का आरोप लगाया। इसी के तहत ईडी ने सीबीआई की एफआईआर पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की और उनसे पूछताछ की गई।
चव्हाण कुछ दिनों पहले बीजेपी में शामिल हो गए। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने आदर्श हाउसिंग मामले में सीबीआई और ईडी की कार्यवाही पर रोक लगाई हुई है। इनके अलावा प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, नवीन जिंदल, हसन मुश्रीफ, संजय सेठ, ज्योति मिर्धा, वाईएस चौधरी, प्रताप सरनाईक, भावना गवली, यामिनी, यशवन्त जाधव, सी एम रमेश, रनिंदर सिंह, के.गीता, सोवन चटर्जी, कृपाशंकर सिंह, दिगंबर कामत, तापस रॉय, अर्चना पाटिल, गीता कोड़ा, बाबा सिद्दीकी, ज्योति मिर्धा, सुजना चौधरी आदि ऐसे नाम है जिन पर सीबीआई या ईडी की जांच में जबरदस्त शिकंजा कसा जा रहा था। जिस के बाद इनके भाजपा या उसके सहयोगी दलों में शामिल होते ही या तो जांच रूक गई या जांच के तेवर नरम पड़ गए। अब देखते हैं आने वाले समय में और कौन-कौन नेता भाजपा की इस वाशिंग मशीन मे धुलकर दूध सी सफेद चमकार पाता है।-
नीरज शर्मा 'भरथल'
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