सियासत में गिरने का कोई स्तर नहीं होता .मध्य्प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी पार्टी के एक पूर्व मंत्री को एक आपराधिक मामले में उलझने से बचाने के लिए बहुचर्चित ‘हनीट्रैप’ काण्ड को उजागर करने की धमकी देकर अपने आपको ही सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है .हनीट्रैप कांड को मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने नतीजे तक पहुँचाने के बजाय दफन कर दिया था .
पूर्व मंत्री उमंग सिंगार के घर उनकी कथित प्रेमिका के आत्महत्या करने के मामले में भोपाल पुलिस ने उमंग के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है .इसमें राजनीति सूँघना समझ से परे है. एक महिला ने आत्महत्या की है ,सिंगार के बंगले में की है ,ऐसे में पुलिस को काम करने से रोकने के लिए सरकार को ही हनीट्रैप काण्ड उजागर करने की धमकी देना अपने आप में अपराध है .एक पूर्व मुख्यमंत्री जब ये धमकी देता है तो मामला और गंभीर हो जाता है.
इंदौर के चर्चित हनीट्रैप काण्ड में प्रदेश के अनेक नौकरशाहों,राजनितिक दलों के शीर्ष नेताओं,पत्रकारों के नाम आये थे .पुलिसने मामले भी दर्ज किये,कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं थी लेकिन आजतक ट्रेप में फंसे लोगों के चेहरे उजागर नहीं हुए,उलटे ट्रेप के लिए हनी बनी महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया .उनके खिलाफ मामले दर्ज किये गए. कुछ की जमानतें हुईं और कुछ अभी भी जेल में हैं ,लेकिन हनी का सेवन करने वाले लोग कल भी आजाद थे और आज भी आजाद हैं .जाहिर है की उन्हें तब भी सत्ता का समर्थन हासिल था और आज भी है .
सवाल ये है कि जब कमलनाथ के पास हनीट्रैप काण्ड की पेनड्राइव दस्तावेज के रूप में मौजूद है तब उनकी सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की ? क्या तब कमलनाथ ने भाजपा के शीर्ष नेताओं और अधिकारियों के साथ याराना निभाया और क़ानून को अपना काम नहीं करने दिया ? या आज वे इसी पेनड्राइव के सहारे पूरी सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे हैं .कमलनाथ का ये कदम घटिया राजनीति का एक घटिया उदाहरण है .
मध्यप्रदेश में अठारह माह मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ व्यापारी है और शायद राजनीति को व्यापार ही मानते हैं. उनकी इसी प्रवृत्ति के कारण प्रदेश से भाजपा की अच्छी खासी सरकार का पतन हो गया .
अब खीज में वे सरकार का भयादोहन करना चाहते हैं .मेरा मानना है कि प्रदेश की मौजूदा सरकार को कमलनाथ के खिलाफ खुद मामला दर्ज कर हनीट्रैप कांड का सच सामने लाने के लिए अदालत के जरिये पेनड्राइव मांगने की कोशिश करना चाहिए .पर दुर्भाग्य ये है कि मौजूदा सरकार में इतना नैतिक बल नहीं हैं..भाजपा के अनेक नेताओं के नाम पूर्व में इस मामले में सुर्ख़ियों में रह चुके हैं .
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ घायल शेर की तरह बीते एक साल से भटक रहे हैं .एक साल में वे न सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया से बदला ले पाए और न ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए कोई खाई खोद पाए .अब वे सिंगार के मामले के जरिये उछल-कूद करते नजर आ रहे हैं .सिंगार के खिलाफ दर्ज मामले में कुछ होना-जाना नहीं है क्योंकि मृतक के परिवार को ही कोई शिकायत नहीं है. पुलिस ज्यादा से जायदा ुअंनग को गिरफ्तार कर कुछ दिनों के लिए जेल भेज सकती है .उमंग को इससे डरना नहीं चाहिए, अदालतों के दरवाजे उनके लिए खुले हैं .
उमंग की लड़ाई कांग्रेस की लड़ाई नहीं है .ये उनकी निजी लड़ाई है ,जिसे वे अकेले लड़ और जीत सकते हैं. कांग्रेस बीच में जबरन अपनी दखलंदाजी कर रही है राजनीती में ऐसे मामले कभी परवान नहीं चढ़ते.पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का मामला ही देख लीजिये .क्या हुआ उसका.कोई जेल गया क्या ?मुझे याद है कि आज से कोई 35 साल पहले मध्यप्रदेश में ही एक पूर्व मंत्री के घर पर एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी .उस मामले को लेकर खूब हंगामा हुआ लेकिन नतीजा क्या निकला<कुछ भी नहीं .लोग सब भूल गए और पुलिस भी .
आपको याद होगा कि मध्यप्रदेश के हनीट्रैप कांड एक के बाद एक परतें उघड़ती जा रही हैं और जो तस्वीर उभर रही थीं , वे सब और ज्यादा चौंकाने वाली थीं । पकड़ी गई महिलाओं के पास से एसआईटी (विशेष जांच दल) के हाथ एक डायरी लगी थी , जिसमें शिकार बनाए गए लोगों से वसूली गई रकम और बकाया का तो ब्यौरा था ही, साथ ही उपयोग में लाए जाने वाले कोडवर्डों का भी जिक्र भी था ‘मेरा प्यार’ और ‘पंछी’ इस गिरोह के प्रमुख कोडवर्ड थे। कई बार कोडवर्ड ‘वीआईपी’ का भी उपयोग किया गयाथा लेकिन ये सब अब कहाँ है किसी को कुछ पता नहीं किसी ने डायरी में दर्ज जानकारी के आधार पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की .अब इस डायरी का पेनड्राइव संस्करण कमलनाथ ने हथियार के रूप में इस्तेमाल कर ये साबित कर दिया है कि पूरे मामले पर धुल डालने वाली उनकी अपनी सरकार थी .
जाहिर है कि इस मामले में न कमलनाथ इस्तीफा देने जा रहे हैं और न इस मामले में शामिल लोगों की और से कोइई इस्तीफा आने वाला है .सब मिलकर जनता को बेवकूफ बना रहे हैं. मीडिया इस पूरे मामले में औजार बना हुआ है .पुलसि पहले से कठपुतली है और न्यायपालिका की अपनी सीमाएं हैं .इसलिए एक बार फिर हनीट्रैप कांड के बहाने मौजूदा सरकार चाहे तो कोई कदम उठा सकती है .पर उम्मीद कम ही है,क्योंकि सब हैं तो एक ही थैली के चट्टे-बट्टे .
@ राकेश अचल