मोदी मॉडल का नया अध्याय: संकट में अवसर, पान मसाले से सुरक्षा
पान मसाला सेस से बनेगा भारत का महामारी-विरोधी कवच
डिमेरिट गुड्स से पुण्य का धन: स्वास्थ्य से राष्ट्रीय सुरक्षा तक
कोविड-19 के गहरे ज़ख्मों से दुनिया अभी भी पूरी तरह नहीं उबर पाई है, लेकिन इसी दौर में नरेंद्र मोदी सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसने साबित कर दिया कि भारत अब सिर्फ परिस्थितियों का जवाब नहीं देता—बल्कि आने वाले समय की दिशा तय करता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 दिसंबर 2025 को लोकसभा में पेश किया गया ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक, 2025’ इसी दूरदर्शी सोच का सशक्त उदाहरण है। यह विधेयक किसी सामान्य कर सुधार से कहीं अधिक है; यह एक रणनीतिक बदलाव है, जो स्वास्थ्य को राष्ट्रीय सुरक्षा का चौथा स्तंभ घोषित करता है।
मोदी सरकार की सबसे बड़ी शक्ति यही है कि वह हर छोटे-बड़े संकट को भी एक व्यापक राष्ट्रीय अवसर में बदल देने की अद्भुत क्षमता रखती है। कोविड की भयावहता और वैश्विक अराजकता के बीच जब पूरी दुनिया वैक्सीन के लिए बेचैन और असहाय खड़ी थी, तब भारत ने न केवल स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित की बल्कि 200 से अधिक देशों तक जीवनरक्षक टीके पहुँचाकर अपनी मानवीय नेतृत्व-भूमिका को सिद्ध किया। आज वही सरकार उस अमूल्य ऐतिहासिक अनुभव को एक स्थायी, संस्थागत और भविष्य-निर्माण करने वाली संरचना में परिवर्तित कर रही है। यह नया फंड भारत को ‘फ्यूचर-रेडी’ बनाने की दिशा में उठाया गया सबसे निर्णायक और दूरदर्शी कदम है।
जूनोटिक रोगों की सतत निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ, बायोसेफ्टी लेवल-3 लैब्स का नेटवर्क, और वन हेल्थ मिशन के तहत पशु–मानव–पर्यावरण का समन्वित ढांचा—इन सभी रणनीतिक क्षमताओं को अब स्थायी वित्तीय समर्थन मिलेगा, जिससे इनकी गति कई गुना बढ़ेगी। भारत अब इतनी मजबूत तैयारी कर रहा है कि कोई भी आने वाली महामारी हमें पहले जैसा नुकसान नहीं पहुँचा सकेगी। यह वास्तव में आत्मनिर्भर भारत का स्वास्थ्य संस्करण है—जहाँ हम केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा ही नहीं, बल्कि पूरे वैश्विक दक्षिण के लिए एक मार्गदर्शक मॉडल के रूप में उभर रहे हैं।
सबसे प्रशंसनीय है सरकार का यह नैतिक साहस। पान मसाला और गुटखा जैसे हानिकारक उत्पादों को ‘डिमेरिट गुड्स’ मानकर उनसे ही स्वास्थ्य फंड जुटाने का निर्णय सचमुच एक साहसिक और दूरदर्शी कदम है। यही वही नीति-दृष्टि है जिसने स्वच्छ भारत में प्लास्टिक सेस से स्वच्छता कोष बनाया और पेट्रोल-डीजल पर सेस से आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया। आम आदमी पर एक पैसा अतिरिक्त बोझ नहीं, फिर भी हर साल अरबों रुपये का स्थायी फंड—यही है मोदी सरकार की ‘लक्ष्मी मॉडल’ अर्थव्यवस्था, जहाँ पाप से पुण्य का धन निकाला जाता है। विपक्ष जितना भी शोर करे, तथ्य स्पष्ट हैं—यूपीए के समय सेस जीडीपी का 7% था, आज 6.1% है; अर्थात कम सेस में अधिक काम, यही सरकार की असली दक्षता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर यह विधेयक भी एक वास्तविक गेम-चेंजर है। निर्मला सीतारमण ने कारगिल की याद दिलाते हुए सही कहा कि बजट की कमी ने कभी सेना को कमजोर नहीं किया। आज जब युद्ध साइबर, अंतरिक्ष और बायोलॉजिकल हो चुके हैं, स्वास्थ्य सुरक्षा ही रक्षा की पहली और निर्णायक पंक्ति बन चुकी है। इस फंड से ड्रोन-आधारित महामारी निगरानी, सीमा क्षेत्रों में अत्याधुनिक बायोसेफ्टी यूनिट्स और जैव-हथियारों से सुरक्षा की नई तकनीकें विकसित होंगी। ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों ने स्पष्ट कर दिया कि स्वास्थ्य और रक्षा अब अलग नहीं रह सकते। मोदी सरकार ने इसे समझते हुए दुनिया के सामने नया सिद्धांत पेश किया है—‘हेल्थ इज द न्यू डिफेंस’।
राज्यों के साथ सहकारी संघवाद भी पूर्ण रूप से चरितार्थ हो रहा है। सेस का 41 प्रतिशत हिस्सा सीधे राज्यों को जाएगा, जिससे केरल हो या उत्तर प्रदेश, हर राज्य अपनी स्थानीय महामारी तैयारी और स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूती से सुदृढ़ कर सकेगा। यह वही मोदी मॉडल है जिसने जीएसटी में राज्यों को रिकॉर्ड स्तर का मुआवजा देकर उनका विश्वास जीता था। आज, जब जीएसटी मुआवजा धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है, तब सरकार ने बिना किसी राज्य को नुकसान पहुँचाए एक नया, स्थायी और भरोसेमंद संसाधन तैयार कर दिया है। यह वास्तव में दूरदर्शी और रणनीतिक वित्तीय प्रबंधन का सर्वोत्तम उदाहरण है।
सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक तथ्य यह है कि ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक, 2025’ मोदी सरकार का एक और प्रेरक मास्टरस्ट्रोक है। यह केवल एक कानून नहीं, बल्कि 2047 के विकसित, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव है—जहाँ कोई वायरस अर्थव्यवस्था को डगमगा नहीं सकेगा, और कोई जैव-हमला देश को कमजोर नहीं कर पाएगा। यह वही भारत है जो न केवल अपनी सुरक्षा करता है, बल्कि वैश्विक मानवता की रक्षा करने की क्षमता भी रखता है। नरेंद्र मोदी और निर्मला सीतारमण को नमन, जिन्होंने पान मसाले की छोटी पुड़िया से भी महामारी सुरक्षा का कवच तैयार कर दिखाया। यही असली ‘नए भारत’ की ताकत है—संकट में समाधान, आलोचना में आगे बढ़ना, और हमेशा जनहित को सर्वोपरि रखना।

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