उन्नाव पुलिस के उदासीनता पर जुआडिओ का खुल्ला खेल, जिम्मेदार मौन

उत्तर प्रदेश सरकार जहाँ  अवैध कारोबार पर लगाम लगाने पर आतुर है अपनी छवि बनाने पर लगी हुई है।लेकिन उन्नाव जनपद के कोतवाली पुलिस सरकार के मंसूबों को नाकाम करने में कोई कसर नही छोड़ रही है।उन्नाव जनपद के गलियारों में जुआड़ीओ और सट्टेबाजों का खुल्लम खुल्ला खेल हो रहा है।



उन्नाव कोतवाली क्षेत्र में  पुलिस की मिलीभगत से चीकू और गोलू पंजाबी निवासी कानपुर जैसे सट्टा व बुकमाफ़ियाओं ने फैला रख्खा है काला कारोबार


   स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव।

उत्तर प्रदेश सरकार जहाँ  अवैध कारोबार पर लगाम लगाने पर आतुर है अपनी छवि बनाने पर लगी हुई है।लेकिन उन्नाव जनपद के कोतवाली पुलिस सरकार के मंसूबों को नाकाम करने में कोई कसर नही छोड़ रही है।उन्नाव जनपद के गलियारों में जुआड़ीओ और सट्टेबाजों का खुल्लम खुल्ला खेल हो रहा है।वही पुलिस धृतराष्ट की तरह आँख पर पट्टी बांधे तमाशबीन बनी हुई है।जनपद के कोतवाली क्षेत्र की ईद गाह  पत्थरकट में सद्दाम के घर में सट्टे व जुए का कारोबार संचालन जोरो पर फल फूल रहा है।सूत्रों की माने तो स्थानीय नेता एवं स्थानीय पुलिस की मदद से जुएं व सट्टे का कारोबार चल रहा है।सट्टा व बुकमाफिया ने लंबे समय से यह कारोबार का संचालन कर रख्खा है।स्थानीय पुलिस की मदद से सट्टा का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है।


युवाओं पर असर


सट्टा व जुए जैसे संगीन अपराध को स्थानीय पुलिस द्वारा भरे समाज में खिलवाया जा रहे है। इससे युवा वर्ग के लोगों पर ज्यादा असर दिखाई पड़ रहा है। जहां युवा वर्ग के लोग सट्टा एवं बुकमाफ़िया जैसे संगीन अपराध में संलिप्त हो रहे हैं,लेकिन इस अपराध को रोकने में राजहरा पुलिस नाकाम साबित हो रही है।


नगर के हर गली मोहल्ले और बाजार में खुलेआम जुंवे का कारोबार चल निकला है।कभी कभार पुलिस दो-चार छोटे एजेंटों को पकड़ कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है।जबकि हकीकत यह है कि सटोरियों व बुकमाफ़ियाओ के कारनामों को जानने के बाद भी पुलिस के स्थानीय और आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं,यही वजह है कि यह कारोबार कोतवाली क्षेत्र ईदगाह के पत्थर कट  में कानपुर से आए जुएं व बुकमाफिया चीकू और गोलू पंजाबी स्थानीय पुलिस के माध्यम से फल फूल रहा है।

सट्टा व बुकमाफ़िया खाईवालों की फ़ौज खड़ी हो गयी है।सूत्र बताते है कि शहर में चीकू और गोलू पंजाबी जो कानपुर निवासी है पहले से सट्टा खाईवाली करता आ रहा है वही लेकिन कुछ कसाई कारोबारी भी सट्टा व बुकमाफ़िया खाईवाली में लगे है।पूरे नगर को सट्टे व बुकमाफ़िया ने अपनी चपेट में ले लिया है।इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग अब खुलेआम जुआ खेल रहे हैं और उनमें पुलिस का भी कोई डर नहीं नजर आता।वहीं पुलिस भी इस पूरे मामले पर अपनी आंखें मूंदे हुए हैं।नगर की तंग गलियों में काफी लोग सट्टे के धंधे में लगे हुए हैं।वहीं हालात देखकर लगता है कि इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं पुलिस की भी मिलीभगत है।क्योंकि जिस तरह लोग खुलेआम सट्टा व जुआ लगा रहे हैं,खबर तो यह भी है कि एक बार यह कारोबार बंद होने के बाद पिछले कोतवाल के बुलावे पर ही यह स्थानीय सफेदपोश नेताओं के संरक्षण में कारोबार दोबारा चालू कर लिया है।माना जा रहा है कि नगर में रोज लगभग लाखों रुपए का जुआ खेला जा रहा है।नगर में धड़ल्ले से चल रहे इस कारोबार को इलाके के सफेद पोश सपा सत्तापक्ष नेताओं और थाने का खुला संरक्षण प्राप्त है सूत्रों की माने तो नगर में ही प्रतिदिन लाखों का कारोबार होता है जबकि अन्य क्षेत्रों से भी अवैध कमाई इस कारोबार से की जा रही है।

जानकारों की मानें तो जुंवे के व्यापार के लालच में फंसकर कई लोग अपनी किस्मत आजमाते है। बाद में इसमें फंसकर अपना सबकुछ भी गवां बैठते है।उसके बावजूद                                                          

पुलिस इस अवैध कारोबार में लिप्त लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है कार्यवाही न होने की वजह से इस गोरखधंधे पर पूरी तरह अंकुश नही लग पा रहा है और अवैध कारोबार में लिप्त गिरोह के लोगो के हौंसले बुलंद हैं।उन्नाव कोतवाली क्षेत्र के ईदगाह पत्थरकट में सद्दाम के घर पर चीकू और गोलू पंजाबी कानपुर निवासी के साझे में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।सूत्रों के मुताबिक लोग फोन पर अपना नंबर बताते लिखवाते हैं और नंबर आने पर इन्हीं सट्टा खाईवाल एजेंटों के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया जाता है।

सट्टा व बुकमाफ़िया माफिया हो रहे मालामाल


सट्टा का यह खेल जीरो से लेकर नौ नंबर तक चलता है और नेट पर एक ही नंबर आता है,जिससे नौ नंबरों का रुपये उन्हें सीधा-सीधा बच जाता है,जिससे खिलाड़ी का वह नंबर फंसता है वह इसमें खुश हो जाता है कि उसे दस के 80 मिल गये,लेकिन अन्य बाकी के रुपये जिनके नंबर नहीं फंसते उनका सीधा रुपये सट्टा माफियाओं की जेब में जाता है।वही बुकमाफ़िया बुक लगवाने में लगभग लाखों का खेल करते अब इस कारोबार का जाल पूरे शहर में फैल चुका है।ऐसा नहीं है कि पुलिस सट्टे,व जुएं के इस अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगा सकती।कुछ पुलिस अधिकारी ऐसे भी आएं जिन्होंने सट्टे के कारोबार को पूरी तरह बंद करा दिया था।अब पुलिस अधिकारियों की शह और सपानेताओं और सत्तापक्ष नेताओं की सहमति से शहर में यह कारोबार फिर से फलने फूलने लगा है।सट्टा व जुए का यह कारोबार पुलिस की नाक के नीचे और विभाग की जानकारी में ही फल-फूल रहा है।अब देखना यह है कि इस कारोबार पर फिर पूर्णतःअंकुश लग पाता है या नहीं।या फिर छोटे एजेंटों को पकड़ कर बड़े खाईवालों को बचाने का प्रयास किया जाता है। वही इस मामले में पुलिस के अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते आ रहे है।एसपी साहब जरा ध्यान दें

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