100 करोड़ की कफ सिरप तस्करी का भंडाफोड़: पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी जांच के घेरे में STF ने अमित सिंह टाटा को पकड़ा

फॉर्च्यूनर कार का UP–9777 नंबर भी जांच के दायरे में

100 करोड़ की कफ सिरप तस्करी का भंडाफोड़: पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी जांच के घेरे में STF ने अमित सिंह टाटा को पकड़ा

 

जौनपुर/लखनऊ। 

उत्तर प्रदेश में नशीले फेंसिडिल कफ सिरप की 100 करोड़ रुपये से अधिक की तस्करी का बड़ा रैकेट उजागर हुआ है। यूपी एसटीएफ ने जौनपुर निवासी अमित सिंह उर्फ टाटा को लखनऊ के गोमतीनगर से गिरफ्तार कर लिया है, जबकि रैकेट का मुख्य सरगना शुभम जायसवाल दुबई भाग चुका है। शुभम के खिलाफ एसटीएफ ने लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है। जांच में खुलासा हुआ है कि यह नेटवर्क झारखंड, यूपी से लेकर बांग्लादेश तक फैला हुआ था और इसमें कई सफेदपोश तथा बाहुबली नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

अमिताभ ठाकुर ने की धनंजय सिंह की भूमिका की जांच की मांग

प्रतिबंधित कोडीनयुक्त कफ सिरप मामले में अमित सिंह टाटा की गिरफ्तारी के बाद आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने यूपी डीजीपी को पत्र लिखकर पूर्व सांसद धनंजय सिंह की भूमिका की जांच की मांग की। ठाकुर का कहना है कि शुभम जायसवाल के पीछे टाटा का हाथ बताया जा रहा था, लेकिन अब टाटा के पीछे किसका संरक्षण था—यह भी जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।

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बाहुबली नेताओं से संबंधों ने बढ़ाई राजनीतिक हलचल

सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिनमें बीजेपी विधायक सुशील सिंह और पूर्व सांसद धनंजय सिंह खुद अमित सिंह टाटा को “छोटा भाई” कह रहे हैं। वहीं मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल और धनंजय सिंह की भी कई तस्वीरें सामने आई हैं। इन वायरल फोटो और वीडियो ने इस पूरे नेटवर्क के राजनीतिक और बाहुबली गठजोड़ को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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फॉर्च्यूनर कार का UP–9777 नंबर भी जांच के दायरे में

एसटीएफ ने टाटा से बरामद फॉर्च्यूनर कार का नंबर UP–9777 पाया है, जो वही नंबर है जिसे पूर्व सांसद धनंजय सिंह वर्षों से अपनी गाड़ियों पर उपयोग करते हैं। कार टाटा की पत्नी साक्षी सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड है और अक्सर धनंजय सिंह के काफिले में देखी जाती थी।
जांच में यह भी सामने आया है कि शुभम और अमित हर साल दुबई और पटाया की यात्राएं करते थे और बड़ी मात्रा में हवाला के जरिए पैसा इधर-उधर किया जाता था।

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ऐसे चलता था तस्करी का नेटवर्क

पूछताछ में अमित सिंह टाटा ने स्वीकार किया कि शुभम ने धनबाद में ‘देव कृपा मेडिकल एजेंसी’ और वाराणसी में ‘श्री मेडिकल’ के नाम से फर्जी फर्में बनाईं।

शुभम ने टाटा को लालच दिया कि 5 लाख रुपये लगाकर 30 लाख तक कमाया जा सकता है।

पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फेंसिडिल की भारी मांग होने से यह कारोबार तेजी से फैला।

फर्जी बिल और ई-वे बिल के जरिए कफ सिरप भेजा जाता था।

एबॉट कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से 100 करोड़ से अधिक की दवा खरीदी गई। कंपनी के उत्पादन बंद करने के बाद भी शुभम की फर्मों को सुपर स्टॉकिस्ट बनाए रखना फर्जीवाड़े का बड़ा प्रमाण बताया जा रहा है।

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ऐसे शुरू हुई जांच

फरवरी 2024 में नकली और अवैध कफ सिरप सप्लाई की खबरों के बाद यूपी सरकार ने एसटीएफ और फूड एंड ड्रग विभाग की संयुक्त टीम बनाई।
लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में भारी मात्रा में सिरप मिलने के बाद मामला गंभीर हो गया और जांच में अमित टाटा व शुभम की भूमिका सामने आई।
पूछताछ में टाटा ने बताया कि आजमगढ़ के विकास सिंह ने उसका परिचय शुभम से कराया था।

सियासी कनेक्शन और MLC की तैयारी

सूत्रों के अनुसार, शुभम जायसवाल यूपी विधान परिषद (MLC) की सदस्यता पाने की कोशिश में था और इसके लिए बड़े नेताओं व बाहुबलियों से नजदीकियां बढ़ा रहा था।
अमित सिंह टाटा भी राजनीति में आने की तैयारी कर रहा था। उसके फेसबुक अकाउंट से “लक्ष्य 2026—रामपुर ब्लॉक प्रमुख” का पोस्ट मिला है।

धनंजय सिंह की सफाई

वायरल तस्वीरों और आरोपों के बीच पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने लंबी फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि उन्हें राजनीति के तहत बदनाम करने की साजिश हो रही है।
उन्होंने इसे कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की छवि धूमिल करने की चाल बताया और पीएम व सीएम को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की है।
धनंजय सिंह ने दावा किया कि उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है और जांच में सच सामने आ जाएगा।

अखिलेश यादव का बीजेपी पर हमला

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर योगी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा—
“बीजेपी माफियाजीवी पार्टी है। कभी एनकाउंटर माफिया, कभी कफ सिरप माफिया, कभी नीट माफिया—सब भाजपा में हैं।”
अखिलेश ने रैकेट में सामने आए नामों को लेकर सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं।

यह पूरा मामला अब तेजी से राजनीतिक रंग ले चुका है और एसटीएफ की आगे की कार्रवाई तथा संभावित बड़े खुलासों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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