ओबरा नगर पंचायत का शोपीस बना सोलर आरओ प्लांट,लाखों रुपये खर्च , फिर भी जनता प्यासी

नगर पंचायत के मनमानी पूर्ण रवैया से जनता त्रस्त, स्थानीय लोगों ने नगर पंचायत पर उठाया सवाल

ओबरा नगर पंचायत का शोपीस बना सोलर आरओ प्लांट,लाखों रुपये खर्च , फिर भी जनता प्यासी

ओबरा नगर पंचायत का मामला

आर. एन सिंह (संवाददाता) 

ओबरा/सोनभद्र-

भीषण गर्मी में जब लोगों को शुद्ध पेयजल की सख्त आवश्यकता होती है, ओबरा नगर पंचायत द्वारा जनता की इस जरूरत को पूरा करने के उद्देश्य से कई स्थानों पर सोलर आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) प्लांट स्थापित किए गए थे। यह पहल इसलिए की गई थी ताकि बिजली गुल रहने की स्थिति में भी लोगों को शुद्ध पीने का पानी मिल सके। हालांकि, नगर पंचायत ओबरा द्वारा लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद, ये सोलर आरओ प्लांट आज भी मात्र ढांचा बनकर खड़े हैं, जिससे जनता का पैसा पानी में बह गया।

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ओबरा नगर के विभिन्न इलाकों में, जैसे डायमंड होटल अंधेरी पुल के पास और शारदा मंदिर के समीप, नगर पंचायत ओबरा ने सोलर आरओ प्लांट लगवाए थे। स्थानीय लोगों से बातचीत करने पर निराशाजनक जानकारी मिली कि इनमें से किसी भी प्लांट में आज तक पानी नहीं आया। लोगों का कहना है कि ये सोलर आरओ प्लांट सिर्फ दिखावे के लिए और सरकारी धन की निकासी का एक जरिया मात्र साबित हुए हैं। जिस नेक उद्देश्य के लिए इन्हें स्थापित किया गया था, वह कभी पूरा नहीं हो सका और जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिला।

इन सोलर आरओ प्लांटों को लगे हुए लगभग एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन नगर पंचायत द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर किस कारण से ये आज तक चालू नहीं हो पाए हैं। यदि कोई तकनीकी समस्या या अन्य बाधा थी, तो नगर पंचायत को इसकी विस्तृत जांच पड़ताल करने के बाद ही इन प्लांटों को स्थापित करना चाहिए था। इस तरह मनमाने तरीके से, बिना उचित योजना और क्रियान्वयन के, जहां चाहा वहां सोलर आरओ प्लांट लगाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जाना गंभीर चिंता का विषय है।

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स्थानीय निवासियों में इस बात को लेकर गहरा रोष है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी उन्हें शुद्ध पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि नगर पंचायत को इस मामले में तत्काल ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये सोलर आरओ प्लांट जल्द से जल्द चालू हों, ताकि गर्मी के मौसम में लोगों को राहत मिल सके। यह भी मांग उठ रही है कि इस लापरवाही की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार से सरकारी धन का दुरुपयोग न हो। जनता को उम्मीद थी कि सोलर आरओ प्लांट लगने से उनकी पेयजल समस्या का समाधान होगा, लेकिन यह योजना अब तक सिर्फ एक महंगा शोपीस बनकर रह गई है।

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