मनरेगा में भुगतान में देरी से मजदूरों का टूटा भरोसा, गांव छोड़ने को मजबूर

योजना की सफलता तभी संभव है जब मजदूरी का भुगतान समयबद्ध तरीके से किया जाए

मनरेगा में भुगतान में देरी से मजदूरों का टूटा भरोसा, गांव छोड़ने को मजबूर

वीरपुर- मनरेगा योजना जो ग्रामीण गरीबों को गांव में ही रोजगार की गारंटी देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, वह अब स्वयं संकट में घिरती नजर आ रही है। बसंतपुर प्रखंड के सैकड़ों मजदूरों को 8 माह पूर्व किए गए कार्य की मजदूरी अब तक नहीं मिल पाई है। इससे परेशान मजदूर कर्ज लेकर परिवार चला रहे हैं और बड़े पैमाने पर पलायन की ओर मजबूर हो रहे हैं।

मनरेगा मजदूरों का कहना है कि समय पर मजदूरी नहीं मिलने से योजना से उनका मोहभंग हो रहा है और वे बैकल्पिक रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। योजना की सफलता तभी संभव है जब मजदूरी का भुगतान समयबद्ध तरीके से किया जाए।

क्या कहते हैं मजदूर?
पिपराही निवासी उपेंद्र सादा ने कहा, "हम रोज की कमाई से परिवार चलाने वाले लोग हैं। अगर महीनों तक मजदूरी का इंतजार करना पड़ेगा, तो हमारे लिए चूल्हा जलाना मुश्किल हो जाएगा। सरकार को भुगतान प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाना चाहिए।"

भीमनगर निवासी रत्नेश पासवान ने बताया, "साल 2024 के अंत में हमने काम किया था, लेकिन अब तक मजदूरी नहीं मिली है। अब बाहर जाकर काम करना ही पड़ेगा, नहीं तो गुजारा मुश्किल है।"

भगवानपुर के दीपक साह ने कहा, "अगर मजदूरी समय पर नहीं मिलेगी, तो मजदूर इस योजना से कैसे जुड़े रह सकते हैं? सरकार को चाहिए कि काम के तुरंत बाद भुगतान सुनिश्चित करे।"

क्या कहते हैं अधिकारी?
मनरेगा प्रोग्राम ऑफिसर (पीओ) बसंतपुर, राजेश रमन ने बताया कि, "मजदूरी भुगतान सीधे केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों के खाते में भेजा जाता है। हमारी ओर से समय पर सभी जरूरी कागजी प्रक्रियाएं पूरी कर दी जाती हैं। जैसे ही राशि ऊपर से उपलब्ध होती है, मजदूरों के खातों में पैसा भेज दिया जाएगा। हमारी कोशिश रहती है कि मजदूरों को समय से भुगतान मिले।

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