दिल्ली में अब 'आतिशी सरकार' का क्या है बीजेपी के पास तोड़
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आखिरकार आम आदमी पार्टी ने अपने कहने के मुताबिक दिल्ली को एक नया मुख्यमंत्री दे ही दिया और वह हैं आतिशी। अरविंद केजरीवाल और उनके बड़े नेताओं के नाम शराब घोटाले में आने के कारण आम आदमी पार्टी ने एक ऐसी मुख्यमंत्री दिल्ली को दी है जो कि हाईली क्वालीफाइड हैं और शिक्षक भी रह चुकीं हैं। आतिशी ने कई एनजीओ के साथ भी कार्य किया है। और जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, और सतेंद्र जैन के नाम घोटालों में आ गए और अरविंद केजरीवाल को जमानत तो मिल गई लेकिन इस शर्त पर मिली कि वह बिना एलजी की परमीशन के किसी भी कागज़ पर मुख्यमंत्री की हैसियत से काम नहीं कर सकेंगे। अब ऐसे में अरविंद केजरीवाल के पास सिर्फ एक ही विकल्प बचा था कि वो इस्तीफा दें और कोई नया मुख्यमंत्री तय करें। लोगों को उम्मीद थी कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल के नाम का प्रस्ताव रखेंगे और विपक्ष को बोलने का मौका दे देंगे।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ केजरीवाल एक मंझे हुए राजनैतिक खिला़ड़ी बन चुके हैं और कब कैसी चाल चलना है उन्हें अच्छी तरह से पता है। आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी जो आरोप लगाती थी फिलहाल उस पर विराम लगेगा। लेकिन यदि सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाया जाता तो एक तो परिवार वाद और दूसरा राजनीति का ज्ञान न होने का आरोप आम आदमी पार्टी पर मढ़ दिया जाता। जैसे ही अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा की घोषणा की थी तभी एक विचारक थे जिनका एक समाचार पत्र में लेख आया कि अब दिल्ली को राबड़ी देवी। कम से कम अब इन इन आरोपों से आम आदमी पार्टी दूर रहेगी।
देखा जाए तो आतिशी शुरुआती समय से ही आम आदमी पार्टी में काम कर रही हैं और वह राजनीति को अच्छी तरह से समझतीं भी हैं। जिस समय आम आदमी पार्टी की टॉप लीडरशिप जेल में थी उस समय आतिशी ने बड़ी अच्छी तरह से सरकार को चलाया था। उस समय सबसे अधिक मंत्रालय आतिशी के पास ही थे। एक तरफ आतिशी सरकार चला रहीं थीं और दूसरी तरफ बड़ी दृढ़ता से विपक्षी दलों को जबाब भी दे रहीं थीं। और अब जब मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल चुकी है तो आतिशी के लिए सरकार चलाना और आसान होगा। अरविंद केजरीवाल और मनीष का साथ मिलने पर वह और अच्छी तरह से निर्णय ले सकेंगी। और भारतीय जनता पार्टी के पास अब आरोप लगाने के लिए बहुत ज्यादा कारण नहीं रहेंगे।
भारतीय जनता पार्टी ने अभी से ही आप पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल बहुत बड़े नाटक कार हैं। वो यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यह भी कह दिया कि राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल आतंकवाद का पोषण और समर्थन भी करते हैं। यही राजनीति है नेताओं की जुबान को आप नहीं रोक सकते। आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा और दिल्ली की सत्ता भी चलेगी। दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं और यह तय है कि आतिशी एक साल तक तो सरकार चलाएंगी ही। और यदि केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर सुप्रीम कोर्ट का कोई अन्य निर्णय नहीं आ पाता है तब आतिशी को दुबारा मौका मिल सकता है। केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर अभी किसी प्रकार के आरोप तय नहीं हुए हैं।
दरअसल मामला अभी न्यायालय में है तो इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध अरविंद केजरीवाल पर लगाए हैं ताकि अरविंद केजरीवाल केस से जुड़े मामले में कोई मदद न ले सकें। लेकिन आतिशी को मुख्यमंत्री पद सौंपकर अरविंद ने पशा विपक्ष यानि भारतीय राजनीति पार्टी के पाले में डाल दिया है। और भाजपा की भी रणनीति यही होगी कि वह आतिशी पर हमला न करके अरविन्द केजरीवाल पर ही हमला करेगी। लेकिन केजरीवाल के पास प्रबंधन की एक ऐसी कला है कि वह हर स्थिति में मुकाबला कर सकते हैं। अभी हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव का माहौल है। हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अरविंद के अकेले चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। लेकिन कहीं न कहीं वह भारतीय जनता पार्टी का भी नुक्सान कर सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी यह नहीं समझती थी कि केजरीवाल आतिशी को सामने कर देंगे। उनके इस निर्णय से भारतीय जनता पार्टी को अब नई रणनीति बनानी होगी।
जितेन्द्र सिंह पत्रकार
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