swatantra prabhat Sampadkiya
स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

शौचालय बनाना सिर्फ एक बुनियादी  सुविधा न होकर, महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और समानता की लड़ाई है

शौचालय बनाना सिर्फ एक बुनियादी  सुविधा न होकर, महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और समानता की लड़ाई है विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day) सिर्फ एक दिन का जश्न नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि शौचालय तक पहुँच और स्वच्छता सिर्फ बुनियादी मानवाधिकार ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता, स्वास्थ्य सुरक्षा और गरिमा का मामला है।...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

अपने विनाश और बर्बादी की पटकथा लिखता खुद कंगाल पाकिस्तान।

अपने विनाश और बर्बादी की पटकथा लिखता खुद कंगाल पाकिस्तान। स्वतंत्रता के पश्चात ही पाकिस्तान अपनी गलत नीतियों, गलत आर्थिक नियोजन और भारत के विरोध की चालों के कारण आज जर्जर हालत में दक्षिण एशिया के सर्वाधिक कंगाल एवं गरीब देश की श्रेणी में खड़ा हो गया है।पाकिस्तान अभिनयमेंयह...
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स्वतंत्र विचार  विचारधारा 

हिंदी भाषा पर अवलंबित वैश्विक अर्थतंत्र। हिंदी बनी व्यावसायिक भाषा।

हिंदी भाषा पर अवलंबित वैश्विक अर्थतंत्र। हिंदी बनी व्यावसायिक भाषा। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा है कि हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द या भाषा का तिरस्कार नहीं किया। और यही तथ्य हिंदी भाषा के गौरव को अत्यंत विशाल तथा विराट...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

रक्षा बन्धन का पर्व केवल दो धागों का नही

रक्षा बन्धन का पर्व केवल दो धागों का नही पर्व भारतीय संस्कृति के प्राण है।जोकि अतीत के उज्ज्वल गरिमामय को तरोताजा कर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते है।पर्व के माध्यम से संस्कृति की पहचान होती है।तथा निर्मल भावो का संचार भी जन जन में बिना किसी प्रयास के सहजता...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

होली के रंगो पर हुड़दंग और हिंसा की कालिख क्यों ! 

होली के रंगो पर हुड़दंग और हिंसा की कालिख क्यों !  समाज में बंधुत्व प्रेम सद्भाव समरसता के संदेश का रंगपर्व आखिर क्यों बन जाता है कलह वैमनस्यता खून खराबे का दिन? आप जानते हैं कि इस बार होली और रमजान का जुमा एक दिन होने की वजह से पूरे देश...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

' आखिर क्यों पिटती है हमारी पुलिस ?'

' आखिर  क्यों पिटती है हमारी पुलिस ?' एक छोटा सा सवाल है  कि आखिर देश  के हर हिस्से में पुलिस क्यों पिटती है ? क्या देश में जनता को खाकी वर्दी से अब डर नहीं लगता जबकि पुलिस की वर्दी का दूसरा नाम ही खौफ है। मध्यप्रदेश...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

 प्रेम व सद्भाव का प्रतीक बना होली का त्यौहार

 प्रेम व सद्भाव का प्रतीक बना होली का त्यौहार   भारत की सांझी गंगा यमुनी तहज़ीब का दर्शन कराने वाला होली का त्यौहार न केवल शांन्ति  से गुज़र गया बल्कि इस बार की होली प्रेम व सद्भाव की ऐसी मिसाल पेश कर गयी जिसने एक बार फिर यह साबित   सबसे...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

सोना ले  जा रे, चांदी ले जा रे

सोना ले  जा रे, चांदी ले जा रे दुनिया में सोना और चांदी हिरणी की तरह कुलांचें भर रहा है। कुलांचे इसलिए भर रहा है क्योंकि दुनिया का वातावरण कुलांचें भरने के अनुरूप है। यदि सोना और चांदी जैसी धातुएं कुलांचें भरतीं हैं तो समझ जाइये कि विश्वव्यापी...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

गोबर पहुंचा हरियाणा व‍िधानसभा 

गोबर पहुंचा हरियाणा व‍िधानसभा  पिछले दिनों हरियाणा विधानसभा में सतारूढ दल भाजपा के दो विधायक आपस में ही भिड़ गए। दोनो सिनियर विधायक हैं जिनमें से एक हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री है नाम है डाक्टर अरविंद शर्मा और दूसरे वरिष्ठ विधायक का नाम...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

भाषा विवाद के तवे पर राजनैतिक रोटियां 

भाषा विवाद के तवे पर राजनैतिक रोटियां  क्या आप बता सकते हैं कि आप किस भाषा में हंसते हैं या किस भाषा में रोते हैं? मनुष्य की ये भावनाएं समस्त पृथ्वी पर एक ही तरह व्यक्त की जाती हैं। आप जिस भाषा को नहीं भी समझते परन्तु...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

ये समाजकंटक अध्यापक अपराधियों से अधिक खतरनाक हैं! 

ये समाजकंटक अध्यापक अपराधियों से अधिक खतरनाक हैं!  जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है। अध्यापक ही बच्चों को सही शिक्षा देकर ज्ञानवान बनाते हैं, परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाएं अपनी मर्यादा को भूल कर बच्चों पर अमानवीय अत्याचार कर रहे हैं पिछले...
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स्वतंत्र विचार  संपादकीय 

नशे में लड़खड़ाती नई पीढ़ी।

नशे में लड़खड़ाती नई पीढ़ी। देश में इस बार होली के अवसर पर कई गुना लगातार हो रही ड्रग्स की सप्लाई ने देशभर में अपराधों का इजाफा कर दिया है| इस बार होली में लगा कि पूरा युवा वर्ग नशे में लड़खड़ा कर डोल रहा...
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