गर्भ में ही सीखता है बच्चा, गर्भोत्सव संस्कार है जरूरी-डॉ संगीता बन ठन कर आने वाले को प्रभु  नहीं करते स्वीकार -श्यामविहारी

गर्भ में ही सीखता है बच्चा, गर्भोत्सव संस्कार है जरूरी-डॉ संगीता बन ठन कर आने वाले को प्रभु  नहीं करते स्वीकार -श्यामविहारी

स्वतंत्र प्रभात 

अयोध्या। माँ के शरीर से बच्चे का शरीर और मां के मन से बच्चे का मन बनता है गर्भ से ही बच्चे का शारीरिक मानसिक भावनात्मक विकास होता है गर्भ में बच्चा सुनता है खुश होता है दुखी होता है तनावग्रस्त भी होता है जैसा परिवार का माहौल और माता-पिता का व्यवहार व कार्यशैली रहेगी उसी प्रकार बच्चे का स्वभाव भी होगा। उक्त बातें शक्ति पीठ अयोध्या द्वारा आयोजित अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देश में हो रही 51कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण एवं प्रज्ञा पुराण मैं मंगलवार को आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी अभियान की प्रांतीय समन्वयक डॉक्टर संगीता सारस्वत ने गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सामूहिक गर्भोत्सव संस्कार पुंसवन संस्कार में कही। उन्होंने बताया कि पुंसवन या गर्भ संस्कार प्राचीन भारत से चली आ रही संस्कार परंपरा है जिसका बच्चे और उसकी मां के लिए धार्मिक के साथ ही, वैज्ञानिक मनोवैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी अत्यंत महत्त्व है। उन्होंने बताया जब हमको गर्भ का पता चलता है शिशु का मस्तिष्क उससे पहले ही बनना और विकसित होना शुरू हो जाता है। इसलिए शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ और  संस्कारित संतान की प्राप्ति के लिए हमें गर्भावस्था से ही प्रयास करने होते हैं। पुंसवन संस्कार (गर्भ संस्कार) इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयोग है जिस पर अब मेडिकल साइंस भी रिसर्च कर रही है।कार्यक्रम में डा० संगीता सारस्वत में  एलईडी स्क्रीन पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के साथ गर्भवती महिलाओं को 9 महीने तक की दिनचर्या आहार-विहार आदि की जानकारी दी। फिर वैदिक मंत्रों के साथ सभी का गर्भ संस्कार किया। 
उधर प्रथम प्रहर में यज्ञ संपन्न कराते हुए अंतरराष्ट्रीय कथाकार आचार्य श्याम बिहारी दुबे ने कहा कि मलीन वेश भूषा में प्रेम पूर्वक इंतजार कर रही शबरी माता सात्विक हृदय की है और सुपर्णखा माया है जिसका फल है कि शबरी के घर प्रभु श्री राम स्वयं चलकर पहुंचे है जबकि सुपर्णखा द्वारा बन ठन कर आने के बाद भी प्रभु श्रीराम स्वीकार नहीं करते।
आयोजन मंडल के देशबंधु तिवारी रामकेवल यादव रामअवतार गर्ग मार्कण्डेय पाल भगवती प्रसाद श्रीवास्तव मनीराम वर्मा विनोद सिंह के के गुप्ता रमाकांत पांडे विजय शंकर पांडे रणविजय नेहा देवी  अनीता तिवारी श्यामरती यादव अराधना नीरू तिवारी माधुरी तिवारी नीलम मिश्रा ऊषा तिवारी सुदामा सिंह मीरा पाठक कंचन वर्मा कुमुद सिंह निशा जायसवाल गायत्री वर्मा सहित भारी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।कार्यक्रम में लखनऊ से संजय चतुर्वेदी शांतिकुंज से सुमितजी सोमेश्वर तांडी मनीष साहू हरिप्रसाद चौधरी अनुराग आदि सकड़ों लोग शामिल रहे।

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