जानवरों को भी जीने का हक… सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भड़के एनिमल राइट एक्टिविस्ट, जताई नाराज़गी
नई दिल्ली | 9 नवंबर 2025
सुप्रीम कोर्ट द्वारा शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंडों और रेलवे स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थलों से आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें डॉग शेल्टर होम में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए जाने के बाद देशभर में पशु अधिकार कार्यकर्ताओं में नाराज़गी देखी जा रही है।
अंबिका शुक्ला बोलीं — “ये कैसा वसुधैव कुटुम्बकम?”
रविवार को पत्रकारों से बातचीत में अंबिका शुक्ला ने कहा,
“सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर रोक हटाकर कहा कि प्रदूषण नहीं हटाओ, जानवर हटाओ — ये कैसा वसुधैव कुटुम्बकम है? क्या सिर्फ इंसानों को जीने का हक है?”
उन्होंने आगे कहा कि यह आदेश बिना किसी विशेषज्ञ समिति, वैज्ञानिक डेटा या नगरपालिका रिपोर्ट के जारी किया गया है।
“यह शायद पहला आदेश है जिसके फुटनोट में केवल असत्यापित मीडिया रिपोर्ट्स हैं। कोर्ट में सुनवाई होती है, डेटा और एक्सपर्ट की राय ली जाती है — लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ,” शुक्ला ने कहा।
दिल्ली में हुआ विरोध प्रदर्शन
शनिवार को दिल्ली के झंडेवालान मंदिर के बाहर दर्जनों पशु प्रेमियों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर कोर्ट के आदेश को वापस लेने की मांग की।
पशु देखभालकर्ता रितिका शर्मा ने कहा,
“यह फैसला ज़मीनी हक़ीक़तों की अनदेखी करता है। इतने सारे जानवरों को रखने के लिए पर्याप्त शेल्टर या प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं हैं। उन्हें नसबंदी और भोजन की ज़रूरत है, न कि कैद की।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि रातोंरात हज़ारों जानवरों को सड़कों से हटाना न तो व्यावहारिक है और न मानवीय। सरकार को दीर्घकालिक और मानवीय समाधान निकालना चाहिए।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जारी आदेश में कहा कि दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों से आवारा कुत्तों को हटाया जाए और उन्हें निर्दिष्ट डॉग शेल्टर होम में भेजा जाए।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नगर निकाय और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) राजमार्गों से आवारा कुत्तों और मवेशियों को हटाने की जिम्मेदारी निभाएं, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

Comment List