हिंडालको रेनुकूट में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी, मामला उजागर
यूनियन अध्यक्ष पर लगे ₹5 लाख ठगने का आरोप, सबूतों के साथ मामला उजागर
समाजसेवी डब्लू सिंह ने हिंडालको प्रबंधन से किया जाँच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की मांग
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र जिले के बहुउद्देश्यीय कम्पनी हिंडालको कारखाने में नौकरी दिलाने के नाम पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने का गंभीर मामला सामने आया है, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। बतातें चलें कि अल्युमिनियम कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष ब्रह्मानंद सिंह पर एक युवक से ₹5 लाख रुपये लेकर नौकरी लगवाने का वादा करने और काम न होने पर पैसे वापस न करने का आरोप लगा है।

यह मामला तब उजागर हुआ जब शिकायतकर्ता डब्ल्यू सिंह ने इस धोखाधड़ी का जीता जागता प्रमाण होने का दावा करते हुए, सोशल मीडिया के माध्यम से हिंडालको के वरिष्ठ अधिकारियों और समस्त मजदूर भाइयों के सामने इसे रखा।डब्ल्यू सिंह का दावा है कि उनके पास इस धोखाधड़ी के अकाट्य प्रमाण हैं, जिनमें आरोपी ब्रह्मानंद सिंह और पीड़ित के बीच की वॉयस रिकॉर्डिंग, पैसे वापसी के लिए दिया गया चेक (जो बाउंस हो चुका है) और एक कथित ऑफर लेटर शामिल है।

इन सबूतों के आधार पर डब्ल्यू सिंह ने यूनियन अध्यक्ष पर सीधे तौर पर धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया है।शिकायतकर्ता और डब्ल्यू सिंह का मुख्य आरोप यह है कि यूनियन अध्यक्ष ब्रह्मानंद सिंह ने नौकरी लगवाने के नाम पर ₹5 लाख रुपये की मोटी रकम ली।जिसका उनके पास इस धोखाधड़ी के पुख्ता सबूत मौजूद हैं, जो ब्रह्मानंद सिंह की संलिप्तता को साफ तौर पर इंगित करता है ।
डब्ल्यू सिंह ने हिंडालको प्रबंधन से निवेदन किया है कि ऐसे भ्रष्टाचारी यूनियन लीडर और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई की जाए।उन्होंने पीड़ित युवक को वापस नौकरी देने और उसके साथ हुए अन्याय का प्रतिकार करने की भी मांग की है। जिसके क्रम में डब्ल्यू सिंह ने अपने वीडियो को अधिक से अधिक साझा करने की अपील की है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में कोई और युवक या उनके माता-पिता इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार न हो और ऐसे धोखेबाजों को जानवर करार दिया है, जो युवाओं और उनके माता-पिता की जीवन भर की कमाई को छीन लेते हैं और उन्हें असहनीय पीड़ा देते हैं।
उन्होंने खुद को प्रभु का दास बताते हुए इस अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है। उनकी इस भावुक अपील ने सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर किया है।यह घटना हिंडालको प्रबंधन के लिए एक गंभीर चुनौती है। उन्होने इस मामले की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
गौरतलब है कि इस तरह के आरोप न केवल कंपनी की सार्वजनिक छवि को धूमिल करते हैं, बल्कि कार्यरत श्रमिकों और नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के विश्वास को भी ठेस पहुँचाते हैं। यदि ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह कारखाने के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार और यूनियन नेताओं की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करेगा।पूरा मामला अब हिंडालको प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों के समक्ष है। देखना होगा कि वे इस संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए क्या कार्रवाई की जाती है। इस घटना ने एक बार फिर नौकरी के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।

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