राजस्व अभिलेखों में फ्रॉड दुरुस्ती के मामले में एसडीएम की भूमिका संदिग्ध
सी आर ओ का आदेश भी बेअसर
देवरिया। योगी 2 की सरकार भ्रष्ट्राचार के मुद्दे पर जीरो टालरेंस की बात करती है, और दोष सिद्ध हो जाने पर दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की भी बात करती है परन्तु सरकार के मातहत अधिकारियों के मनमानी पूर्ण कृत्य से सरकार की किरकिरी भी होती है। ऐसा ही मामला जनपद देवरिया के तहसील सदर का है जहां राजस्व अभिलेखों में भू माफियाओं के जाल फ्रॉड किए जाने के मामले में सरकार के जिम्मेदारों ने गड़बड़ झाले को नजर अंदाज करते हुए तहसील की विस्तृत रिपोर्ट को अंगूठा दिखा इसी प्रकरण में एक ही तिथि में दो आदेश कर योगी सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों को भी खुली चुनौती दे डाली।
ज्ञात हो कि उप जिलाधिकारी सदर ने देवरिया में भ्रष्टाचार का इतिहास रचते हुए दिनांक 17-08-2023 को शिवनारायन बनाम सरकार वाद संख्या 8403/2022 पर निर्णय देते हुए दोनों ही पक्षों को एक ही तिथि 17.08.2023 को दो आदेश के माध्यम से विजई घोषित कर दिया। प्रकरण में वादी ने उप जिलाधिकारी सदर योगेंद्र कुमार के आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि और पोर्टल पर दर्ज़ आदेश की प्रतिलिपि निकाली और उप जिलाधिकारी से मिलकर किस आदेश को माना जाएगा जानना चाहा, परन्तु यक्ष प्रश्न बने आदेश की पुष्टि न होने पर वादी ने जिलाधिकारी को मामले से अवगत कराया। जनपद में हुए इस अनोखे मामले को जिलाधिकारी के संज्ञान में लाया गया यह सुनते ही वह अवाक हो गए और मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर जिलाधिकारी प्रशासन को जांच सौंप दी, पर 10 दिन बाद भी जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में रख दिया गया। इधर वादी ने जिलाधिकारी से मिलकर इस संबंध में कार्रवाई जाननी चाही तो जवाब मिला कि उप जिलाधिकारी और सम्बन्धित लिपिक को हटा दिया गया है।
सबसे विचित्र बात तो यह है कि इस बड़े भ्रष्ट्राचार पर जिलाधिकारी ने नाममात्र की कार्रवाई करते हुए अपने हाथ खड़े कर लिए। मामले में जानकारों का कहना है कि पोर्टल पर जो आदेश फीड किया जाता है वही आदेश पत्रावली में लगा रहता है, पर यह बहुत बड़ा कृत्य है।
शिकायतकर्ता शिव नारायन तिवारी ने इस मामले में बताया कि राजस्व अभिलेखों में भू माफिया किस्म के लोगों ने फ्रॉड कर अपना नाम चढवा लिया था। मामले की शिकायत पर पूर्व मुख्य राजस्व अधिकारी ने जांच कराई थी जिसमें फ्रॉड की पुष्टि होने पर तहसील से रिपोर्ट के आधार पर राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त किए जाने का आदेश दिया था इसी क्रम में साक्ष्यों के आधार पर निस्तारण किया गया परन्तु उप जिलाधिकारी की मुराद पूरी नहीं कर सका था। मुझसे 2 लाख रूपए की मांग की गई थी। पैसा नहीं मिलने पर पोर्टल पर राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त करने का आदेश तो जारी कर दिया गया जबकि पत्रावली में हमारे विरूद्ध आदेश पारित कर दिया गया। आगे बताया कि एसडीएम सदर कार्यालय में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। तहसील की रिपोर्ट मेरे पक्ष में होने के बावजूद एसडीएम ने एक ही पत्रावली में दो आदेश जारी कर पूरे मामले को उलझा दिया है विपक्षियों से एसडीएम ने धन उगाही की है ।
क्या कहना है उप जिलाधिकारी योगेंद्र कुमार गौड़ का
इस संबंध में तत्कालीन उप जिलाधिकारी सदर ने बताया कि गलती से पोर्टल पर आदेश दर्ज़ हो गया है। यह मात्र एक लिपिकीय त्रुटि है।
क्या कहना जिलाधिकारी का
जिलाधिकारी अखण्ड प्रताप सिंह ने इस प्रकरण में बताया कि मामला संज्ञान में है। उप जिलाधिकारी तबादला कर संबंधित बाबू को पटल से हटा दिया गया है जांच जारी है ।
भ्रष्टाचार पर डीएम का अनोखा चाबुक: विकास
प्रकरण में सामाजिक कार्यकर्ता विकास मणि ने कहा कि जिलाधिकारी ने अपने ही कार्यालय में किए गए भ्रष्टाचार पर अनोखा चाबुक चलाते हुए 2 महीने में भ्रष्टाचार के दम पर कई विवादित फैसले लिखने वाले उप जिलाधिकारी सदर का तबादला महज कोरी कार्रवाई करते हुए रुद्रपुर तहसील में कर दिया तो दूसरी तरफ उक्त भ्रष्टाचार में शामिल बाबू का भी बचाव करते उसका पटल परिवर्तन कर दिया। इस प्रकरण में पिछले कई दिनों से कलेक्ट्रेट में काफी गहमा गहमी और चर्चाओं का दौर रहा कि इसी बीच जिलाधिकारी के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की बजाय तबादला नीति ने सभी को डंके की चोट पर भ्रष्टाचार का संदेश दे दिया। मणि ने कहा कि इस घटना से जिलाधिकारी कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल तो खुली, साथ ही आला अधिकारियों के समक्ष यह भी साफ हो गया कि एसडीएम सदर और कार्यालय के बीच ताल मेल ठीक नहीं था। एसडीएम सदर पर कार्रवाई हेतु जिलाधिकारी ने शासन को नहीं लिखा, ना ही उनके द्वारा दो महीनों के दौरान दिए गए फैसलों की समीक्षा का कोई निर्देश दिया गया।
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