विलुप्त होने के कगार में पहुंची गौरैया चिड़िया — देवेंद्र यादव
विलुप्त होने के कगार में पहुंची गौरैया चिड़िया — देवेंद्र यादव – सिर्फ किताबो में आएगी नज़र गौरव पूरी (रिपोर्टर) भदोही । विश्व गौरैया दिवस गौरैया पक्षी के बारे में जागरूकता बढ़ाने व संरक्षण के लिए सन 2010 में विश्व गौरैया दिवस मनाया गया। गौरैया भारत में पायी जाने वाली एक सामान्य चिडिया है।
विलुप्त होने के कगार में पहुंची गौरैया चिड़िया — देवेंद्र यादव
– सिर्फ किताबो में आएगी नज़र
गौरव पूरी (रिपोर्टर)
भदोही ।
विश्व गौरैया दिवस गौरैया पक्षी के बारे में जागरूकता बढ़ाने व संरक्षण के लिए सन 2010 में विश्व गौरैया दिवस मनाया गया। गौरैया भारत में पायी जाने वाली एक सामान्य चिडिया है। लेकिन इसे शहरी क्षेत्रों में विलुप्त होने के कगार पर पहुँचा दिया गया है।
दिल्ली सरकार ने 2012 में इसे राजकीय पक्षी घोषित कर दिया है। बता दें कि कभी सामान्यत: दिखाई देने वाली गौरैया अब शहरो व गाँवों से नदारत हो रही है और इस प्रजाति के साथ भी कही ऐसा न हो जैसा गिद्धों के साथ हुआ, एक दशक पूर्व गिद्ध सामान्यत: दिखाई देते थे आज वह विलुप्ति के कगार पर हैं!
– क्या हैं विलुप्त होने के मूल कारण
पक्षियों का विलुप्त होने का मुख्य कारण टेक्नोलॉजी है। रोजमर्रा की जिंदगी में मनुष्य आए दिन टेक्नोलॉजी के ऊपर आधारित होता चला जा रहा है फलस्वरूप मानव की बदलती जीवन-शैली ने गौरैया के आवास, भोजन व घोसलें, बनाने वाले स्थानों को नष्ट कर दिया,
साथ ही पेस्टीसाइड के बेतहाशा इस्तेमाल से गौरैया ही क्या मानव आबादी में रहने वाले सभी जीव-जन्तु बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। बिजली के तारों का फ़ैलता मकड़ जाल, घरों में तरंगों वाले उपकरण और सेलुलर फ़ोन व उनके टॉवर नन्हे जीवों को नष्ट करने में महती भूमिका अदा कर रहें हैं। कालान्तर में एक भयानक विभीषिका होगी जो मानव समाज के लिये बड़ी घातक सिद्ध होगी।
– परिंदों को पास बुलाने के लिए क्या करें
आधुनिक मकानों में कुछ खुली जगहों पर गढ़्ढे नुमा आकृतिया बनवायें, लकड़ी आदि बक्सों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, ताकि गौरैया उनमें अपना घोसला बना सके। बज़बज़ाती नालियों, सिंक व डस्टविन में बचे हुए अन्न को बहाने के बजाय खुली जगहों पर रखें, जिससे ये पक्षी अपनी भूख मिटा सके।

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