कपड़ा और सड़ा-गला मोम जलाने वाले क्रेशरो पर गिरी गाज, कोल्हुओं पर ताबड़तोड़ छापे से मचा हड़कंप

ग्रामीणों की शिकायत पर स्वतंत्र प्रभात चैनल के द्वारा किए खुलासे के बाद जागा प्रदूषण विभाग, होगी विधिक कार्रवाई

कपड़ा और सड़ा-गला मोम जलाने वाले क्रेशरो पर गिरी गाज, कोल्हुओं पर ताबड़तोड़ छापे से मचा हड़कंप

International Desk

बरेली/नवाबगंज। क्षेत्र में चल रहे प्रत्येक कोल्हू पर गंदा कपड़ा और सड़ा-गला मोम जलाकर फैलाए जा रहे ज़हरीले धुएं के खिलाफ आखिरकार प्रदूषण विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायत और 22 नवंबर 2025 को स्वतंत्र प्रभात चैनल के द्वारा वीडियो की खबर प्रकाशित होने पर जागा  प्रदूषण विभाग विभाग की टीम ने ताबड़तोड़ छापामारी कर इलाके में हड़कंप मचा दिया।
 
प्रदूषण विभाग के अधिकारी श्याम बाबू द्विवेदी और लक्ष्मी नारायण अपनी टीम के साथ अचानक मौके पर पहुंचे। छापेमारी के दौरान सामने आया कि लगभग सभी कोल्हू ओं पर गंदा कपड़ा व मोम जलाकर कार्य किया जा रहा था, जिससे पूरे क्षेत्र में जहरीला धुआं फैल रहा था। अधिकारियों को देखते ही कुछ कोल्हू स्वामी अपने-अपने कोल्हू छोड़कर भागते नजर आए, जिससे उनकी मनमानी और अवैध गतिविधियों की पुष्टि होती है।
 
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गंभीर बात यह है कि इन कोल्हुओं के बिल्कुल बीचो-बीच फायर स्टेशन मौजूद है, जिसकी पूरी बिल्डिंग धुएं और कालिख से काली पड़ चुकी है। सूत्रों के अनुसार फायर स्टेशन का स्टाफ भी इस जहरीले धुएं के कारण विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो गया है। इसे लेकर फायर स्टेशन प्रभारी पुष्पेंद्र कुमार ने पहले ही प्रदूषण विभाग को एक पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि कोल्हूओं पर गंदा कपड़ा व मोम जलाना तत्काल रोका जाए, अन्यथा छोटी-छोटी चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं पूरे क्षेत्र को बर्बाद कर देगा।
 
 
दूसरी ओर, किसानों का शोषण भी खुलकर सामने आया है। क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि ओसवाल चीनी मिल ने पिछले दो वर्षों से गन्ने का भुगतान नहीं किया है, जिससे वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। मजबूरी में उन्हें अपना गन्ना कोल्हू स्वामियों को बेहद सस्ते दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कोल्हू संचालक किसानों की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर मनमानी दरों पर गन्ना खरीद रहे हैं।
 
विभागीय टीम ने सभी कोल्हुओं की वीडियो रिकॉर्डिंग कर संचालकों के नाम दर्ज किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह गंभीर पर्यावरणीय अपराध है और दोषियों के खिलाफ सख्त विधिक कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर कोल्हू ओं को सील करने की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।
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ग्रामीणों का कहना है कि जहरीले धुएं से बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को सांस लेने में भारी दिक्कत हो रही है। आंखों में जलन, खांसी और सिरदर्द आम बात हो गई है। अब प्रदूषण विभाग की इस कार्रवाई से लोगों में कुछ उम्मीद जगी है, लेकिन उनका साफ कहना है कि यह कार्रवाई नियमित होनी चाहिए, ताकि क्षेत्र को इस धीमे ज़हर से हमेशा के लिए बचाया जा सके।
 
ग्रामीणों और किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि कोल्हुओं पर सख्त निगरानी रखी जाए और ओसवाल चीनी मिल से तुरंत बकाया भुगतान दिलाया जाए, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का हक मिल सके।परंतु सबसे आश्चर्य जनक बात यह है इन गन्ना कोलूओं प्रतिदिन पचासियों रुपए गन्ना की खरीद होती है इस तरह सीजनमें करोड़ों का व्यापार करने के बाद कोई भी इनकम टैक्स नहीं देते हैं यह सरकार को सीधा चूना लगा रहे है अधिकारियों से साथ गांठ करके।

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