आखिरकार जदयू  नेता हर्षित मिश्र इओयू की गिरफ्त में!

बैंक खाते में 7 करोड़, घर में 1500 सिम कार्ड, सैकड़ों मोबाइल मिला 

आखिरकार जदयू  नेता हर्षित मिश्र इओयू की गिरफ्त में!

सुपौल में आर्थिक अपराध इकाई की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों की ठगी और साइबर फ्रॉड का शक

पटना , बिहार ब्यूरो

बिहार की राजनीति उस वक़्त हिल गई जब आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने रविवार को बिहार के सीमावर्ती  सुपौल जिले के करजाइन थाना क्षेत्र स्थित परमानंदपुर पंचायत के गोसपुर गांव में सत्तारूढ़ जदयू (युवा) के नेता हर्षित मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। हर्षित मिश्रा के बैंक खाते में 7 करोड़ रुपए की भारी-भरकम रकम मिलने के बाद यह कार्रवाई हुई।

EOU और साइबर थाना की संयुक्त टीम ने करीब 19 घंटे तक चले छापेमारी अभियान में मिश्रा के घर से 1500 से अधिक सिम कार्ड, दर्जनों मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक डिवाइस, नोट गिनने की मशीन समेत कई संदिग्ध इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए हैं।मिल रही जानकारी के अनुसार जदयू नेता  हर्षित खुद को शेयर बाजार का सफल कारोबारी बताकर पिता से जमीन बिकवाकर पैसे लेता था। लेकिन अब शक है कि वह करोड़ों की ठगी और साइबर अपराध में लिप्त था। गिरफ्तार युवक के लैपटॉप और मोबाइल से वही बैंक खाता जुड़ा मिला है, जिसमें 7 करोड़ की रकम आई थी।


 बिगत शनिवार दोपहर 2 बजे से अचानक आठ स्कार्पियो में 28- 30आये अधिकारी ने जब धावा बोला तो ग्रामीण  को लगा कि शायद नेताजी से लोग मिलने आये हुए हैं।  छापेमारीटीम  में इओयू  पटना, साइबर थाना और सुपौल पुलिस की संयुक्त टीम थी जो आते ही  मिश्रा के घर को चारों तरफ से घेर लिया। मीडिया को मौके पर बयान देने फोटो लेने से सख़्ती से मना कर दिया गया। पूछताछ के बाद हर्षित को पटना ले जाया गया।

 राजनीति में चमकने की थी महत्वकांक्ष।

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ग्रामीणों  के अनुसार, 27 वर्षीय हर्षित के पिता किसान हैं और दादा घनश्याम मिश्र पूर्व मुखिया थे। हर्षित पहले भाजपा में सक्रिय था और स्कॉर्पियो में बाउंसर लेकर चलता था। तीन महीने पहले वह जदयू में शामिल हुआ और कथित तौर पर शीर्ष नेताओं से नजदीकी के चलते उसे युवा प्रदेश सचिव बना दिया गया।हर्षित के पिता विकास मिश्र का कहना है कि उनका बेटा गांव में रियल एस्टेट और राजनीति करता था। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है।

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 गांव में सन्नाटा, सवालों की गूंज

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इओयू  की कार्रवाई के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीण अब तरह तरह के  सवाल उठा रहे हैं कि हर्षित की आलीशान जीवनशैली और बढ़ती राजनीतिक पकड़ के पीछे की हकीकत क्या था।फिलहाल इओयू  की गहन  जांच जारी है और हर्षित से गहन पूछताछ हो रही है।मामला सत्ताधारी पार्टी के नेता से जुड़ा होने के कारण  प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर चुका है।बिपक्ष सत्ताधारी दल को लपेटे में लेकर दवाव बना रहे हैं। अब लोगो की निगाह इओयू के विस्तृत जाँच और खुलासे पर टिकी हुई है।

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