ओबरा में वन विभाग की अनुमति के बिना धड़ल्ले से काटे जा रहे पेड़, पर्यावरण संरक्षण पर गंभीर सवाल
क्षेत्रों में हो रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, लोगों ने किया कार्रवाई की मांग
पर्यायवरणविदों ने पर्यायवरण को लेकर किया चिंता व्यक्त
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र/उत्तर प्रदेश-
ओबरा तहसील के अंतर्गत काशपानी नई पुल के आसपास के क्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया है। यहां कुछ किसानों द्वारा वन विभाग की अनुमति के बिना ही बड़े-बड़े पेड़ों को कटवाकर बेचा जा रहा है। यह स्थिति तब है जब एक ओर सरकार बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाकर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रही है।
वहीं दूसरी ओर कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई में लगे हुए हैं, जिससे पर्यावरण संतुलन पर खतरा मंडरा रहा है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, काशपानी नई पुल के नजदीक के कृषि क्षेत्रों में कुछ किसानों ने अपने खेतों और आसपास की जमीनों से बड़े और परिपक्व पेड़ों को कटवाना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि इन पेड़ों को स्थानीय लकड़ी के व्यापारियों को बेचा जा रहा है।
जिससे किसान त्वरित और अवैध लाभ कमा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में वन विभाग से किसी भी प्रकार की आधिकारिक अनुमति नहीं ली जा रही है, जो कि पूरी तरह से गैर-कानूनी है और वन संरक्षण अधिनियम का सीधा उल्लंघन है।पेड़ों की यह अंधाधुंध कटाई पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। पेड़ न केवल वायु को शुद्ध करते हैं, बल्कि भूजल स्तर को बनाए रखने, मिट्टी के कटाव को रोकने और जैव विविधता को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ऐसे में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से क्षेत्र का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे भविष्य में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इनमें तापमान में वृद्धि, वर्षा के पैटर्न में बदलाव, भूस्खलन का खतरा और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों का नुकसान शामिल है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर हैं और लगातार वृक्षारोपण अभियान चलाकर हरित आवरण बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। वन महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को पेड़ लगाने और पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ऐसे में किसानों द्वारा बिना अनुमति पेड़ों की कटाई इन सभी सरकारी प्रयासों पर पानी फेर रही है। यह सीधे तौर पर सरकारी नीतियों और पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है, और इससे पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा।
इस पूरे मामले में वन विभाग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है, लेकिन वन विभाग इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहा है। यह या तो विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है या फिर इसमें किसी प्रकार की मिलीभगत की आशंका को जन्म देता है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
उनका कहना है कि अवैध कटाई को तुरंत रोका जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग को अपनी निगरानी प्रणाली को मजबूत करना चाहिए और अवैध गतिविधियों पर नकेल कसनी चाहिए।यह देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन और वन विभाग इस गंभीर पर्यावरणीय मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाते हैं और क्या वे हमारे पर्यावरण को और अधिक नुकसान से बचाने में सफल हो पाते हैं।
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