वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के सी- फूड निर्यात में उछाल

केंद्र सरकार का लक्ष्य अब 2030 तक 18 अरब डॉलर (1.57 लाख करोड़ रुपये) के निर्यात कारोबार को हासिल करना है

वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के सी- फूड निर्यात में उछाल

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में इस वर्ष अप्रैल में 17.81 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है, जो 0.58 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में समुद्री उत्पादों के चौथे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

31 मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में देश ने 16.85 लाख मीट्रिक टन समुद्री उत्पादों का निर्यात किया

31 मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में देश ने 16.85 लाख मीट्रिक टन समुद्री उत्पादों का निर्यात किया, जो 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। मूल्य के संदर्भ में, निर्यात वित्त वर्ष 2015 के 5.4 बिलियन डॉलर से बढ़कर 7.2 बिलियन डॉलर हो गया।

अमेरिका की टैरिफ वृद्धि की घोषणा के बावजूद यह गति 2025-26 तक जारी रहेगी

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अमेरिका की टैरिफ वृद्धि की घोषणा के बावजूद यह गति 2025-26 तक जारी रहेगी। इस बीच, भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच निर्यात और आयात के प्रवाह को बढ़ाने के उद्देश्य से द्विपक्षीय व्यापार पूरा होने की राह पर है। भारत अब 130 देशों को समुद्री खाद्य निर्यात करता है, जो 2014-15 में 105 देशों से अधिक है। यह देश की समुद्री उत्पादों की बढ़ती पहुंच को दर्शाता है।

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फ्रोजन झींगा सबसे ज्यादा निर्यातित समुद्री उत्पाद है, जो कुल मात्रा का 40 प्रतिशत और कुल निर्यात मूल्य का 66.12 प्रतिशत योगदान देता है

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फ्रोजन झींगा सबसे ज्यादा निर्यातित समुद्री उत्पाद है, जो कुल मात्रा का 40 प्रतिशत और कुल निर्यात मूल्य का 66.12 प्रतिशत योगदान देता है, जिसमें अमेरिका और चीन सबसे बड़े बाजार हैं। भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा क्षमता और उच्च मूल्य प्राप्ति को केंद्र की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) द्वारा बढ़ावा दिया जाता है, जो मत्स्य पालन वैल्यू चैन के साथ हस्तक्षेप की एक बास्केट को सपोर्ट करती है। इसमें गुणवत्ता वाली मछली उत्पादन, खारे पानी के जलीय कृषि का विस्तार, विविधीकरण और गहनता, निर्यात-उन्मुख प्रजातियों को बढ़ावा देना शामिल है।

इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, आधुनिक मछली पकड़ने के बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों का विकास करना भी इस योजना का हिस्सा है

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, मजबूत रोग प्रबंधन और पता लगाने की क्षमता, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, निर्बाध कोल्ड चेन के साथ आधुनिक कटाई के बाद के इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, आधुनिक मछली पकड़ने के बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों का विकास भी इस योजना का हिस्सा है, जिसने देश में समुद्री खाद्य उत्पादन और निर्यात को बड़ा बढ़ावा दिया है।

केंद्र सरकार का लक्ष्य अब 2030 तक 18 अरब डॉलर (1.57 लाख करोड़ रुपये) के निर्यात कारोबार को हासिल करना है

केंद्र सरकार अब 2030 तक 18 बिलियन डॉलर (1.57 लाख करोड़ रुपए) का निर्यात कारोबार हासिल करने के लक्ष्य पर है। बयान में कहा गया है कि यह लक्ष्य भारत के समुद्री खाद्य निर्यात के लिए विजन डॉक्यूमेंट-2030 में तय किया गया है, जिसे समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) ने तैयार किया है। यह प्राधिकरण वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन काम करता है।

एमपीईडीए देश से समुद्री खाद्य निर्यात की निगरानी में अहम भूमिका निभाता है

एमपीईडीए देश से समुद्री खाद्य निर्यात की निगरानी में अहम भूमिका निभाता है।मत्स्य पालन विभाग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच साल के लिए मत्स्य पालन क्षेत्र में 20,050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ प्रमुख पीएमएमएसवाई योजना को लागू कर रहा है, जिसके कारण निर्यात में उछाल आया है।

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