समय बड़ा बलवान

समय बड़ा बलवान

लगता है कि मोदी एंड कंपनी के दिन ही खराब चल रहे हैं। बताइए, इतनी बड़ी कंपनी के इतने बड़े प्रोपराइटर, यानी खुद मोदी जी ने, दुश्मन पार्टी के अध्यक्ष, खडगे को जरा सा लताड़ते हुए एक ट्वीट क्या कर दिया, विरोधी लट्ठ लेकर मोदी जी के पीछे ही पड़ गए। और यह सब तो तब है, जबकि बेचारे मोदी जी ने कुछ गलत भी नहीं कहा था। उल्टे खुद खडगे ने कर्नाटक में अपनी पार्टी के नेताओं को नसीहत दी थी कि चुनाव में पब्लिक से कोई ऐसा वादा नहीं करना चाहिए, जिसे बाद में पूरा करने में सरकार को तकलीफ हो। मोदी जी ने बस उसी नसीहत को उनकी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ उल्टा कर दिया था - दुश्मनों का धोखा बेनकाब हो गया -- पब्लिक से न जाने क्या-क्या वादे किए हैं, पूरे कर ही नहीं सकते हैं।
 
पर बेचारे मोदी जी का इतना कहना था कि दुश्मनों ने खुद मोदी जी के और उनकी पार्टी के ऐसे वादों का अंबार लगा दिया, जो पूरे नहीं हुए। अब दुष्ट एक-एक कर मोदी जी पर ही उनके वादों के तीर चला रहे हैं और क्या हुआ फलां वादा और फलां वादा और फलां वादा, के ताने बरसा रहे हैं। सुना है कि मोदी जी तो सोच रहे थे कि इतनी छीछालेदर से तो अपना ट्वीट ही वापस ले लें। पर दुश्मनों को इसकी खबर लग गयी और दुश्मनों ने इस पर भी यह कहकर हंगामा खड़ा कर दिया कि मोदी जी तो विश्व गुरु बन गए -- प्रधानमंत्री के पद पर रहकर ट्वीट वापस लेने में।
 
और जब मोटा भाई तक के दिन खराब चल रहे हों, तो छोटा भाई के दिनों का तो खैर कहना ही क्या? कनाडा वाले मामले में बात मर्डर के आरोप तक पहुंच गयी है। मर्डर भी विदेशी धरती पर। कनाडा सरकार के मंत्री ने बकायदा छोटा भाई का नाम ले दिया है, मर्डर का आर्डर देने के लिए। उस पर तुर्रा यह कि यह सिर्फ अकेले निज्जर के मर्डर के मामला नहीं है। विदेशी धरती पर कई-कई मर्डरों का मामला है। हद्द तो यह है कि अमरीका वालेे भी तोता चश्म हो गए, मोटा भाई की दोस्ती का भी ख्याल नहीं किया। कह रहे हैं कि छोटा भाई के खिलाफ कनाडा के मंत्री के आरोपों पर गौर कर रहे हैं।
 
इनके गौर करने के चक्कर में किसी दिन छोटा भाई की जान ही आफत में न आ जाए। अभी तक बस इतनी गनीमत है कि पन्नू वाले मामले में अमरीका वालों ने छोटा भाई तो छोटा भाई, मोदी जी के जेम्स बांड तक का नाम नहीं लिया है। सिर्फ किसी यादव के लपेटने पर मामला रुका हुआ है और मोदी जी ने भी यादव को बलि का बकरा बना दिया है कि चाहिए, तो इसे ले जाओ। मगर अमरीकियों क्या भरोसा, किसी भी दिन मामला आगे बढ़ा दें? बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी!
 
जब मोटा भाई और छोटा भाई के दिन खराब चल रहे हैं, तो उनकी पार्टी के दिन अच्छे कैसे चल सकते हैं। बेचारों की पार्टी की जान सांसत में आयी हुई है और वह भी उस मुए केरल में, जहां वैसे भी उनके खास नाम लेवा और पानी देवा नहीं हैं। पहली सांसत, बेचारों को अपना पैसा हवाला के रास्ते से केरल भेजना पड़ा। सांसत में सांसत यह कि कुछ करोड़ रुपया रास्ते में लुट गया। चोर की मां की गति हो गयी, रोये भी तो रुलाई दबा के। न शिकायत करते बने, न चोरी का शोर मचाते। अब आफत ये कि अपने ही एक बंदे ने पोल खोल दी कि चोरी गया करोड़ों रुपया तो चुनाव के लिए आया था, चोरी छुपे। चोरी में चोरी हो गयी। अब शोर मच रहा है कि साठ करोड़ रूपये आए थे, चोरी हुए सो हुए, बाकी कैसे-कैसे बंटे। सुना है, मामला दोबारा खुलेगा। समय बड़ा बलवान -कुत्ता मूते कान! 
 
राजेंद्र शर्मा
व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और 'लोकलहर' के संपादक

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