संजीव-नी।

संजीव-नी।

युग निर्मात्री नारी। 
 
कम ना आंको
नारियों की शक्ति को,
मां दुर्गा के प्रति 
इनकी भक्ति को। 
 
दुश्मनों का नाश 
करती मां भवानी
अलौकिक अद्भुत है 
नारी हिंदुस्तानी।
घर परिवार मुख्य 
धुरी है देश की नारी,
उसे कभी मत 
समझो तुम बेचारी। 
 
घर हो या बाहर 
समान है उसकी शक्ति
धर्म में उनकी 
कितनी है भक्ति।
बच्चों के प्रति 
असीम है आसक्ति। 
 
घर हो या ऑफिस
बराबर की भूमिका निभाती
समाज के विकास में भी महिलाएं
गजब ऊर्जा दिखलाती,
स्कूटर,ऑटो और बस चलाती
रेल चला कर, हवाई जहाज उडाती। 
 
अद्भुत है नारी शक्ति 
बुजुर्गों का यह है कहना,
महत्वपूर्ण भूमिका निभाती 
घर का मैदान हो या सेना,
अद्भुत है यह नारी शक्ति
अटूट है इनमें देशभक्ति। 
 
हे देश की नारी
मां बहन बेटी हो हमारी
तुम्हें है प्रणाम नमन,
घर और बाहर
तुम ही से छाया है
असीम चैन और अमन। 
 
नारी शक्ति को प्रणाम, नमन। 
 
संजीव ठाकुर,

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