kavya darshan
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

ऊँचाइयों पर कभी परवाने नहीं होते”

ऊँचाइयों पर कभी परवाने नहीं होते” ऊँचाइयों पर कभी परवाने नहीं होते”ऊँचाइयों पर कभी परवाने नहीं होते,आसमान पर ठौर-ठिकाने नहीं होते।कदम सम्भल कर उठाना मेरे दोस्त,कम खंजर चलाने वाले नहीं होते।ख़ुद की शोहरत, ख़ुद को ही भाती है,यहाँ नफ़रत के...
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अभी भी मिट्टी की खुशबू बची है।

अभी भी मिट्टी की खुशबू बची है। संजीव-नीl अभी भी मिट्टी की खुशबू बची है।लोहे और सीमेंट के अनंत फैलते जंगल मेंएक छोटा सा कोना अब भी साँस लेता जहाँ पौधों की कुछ टहनियाँधूल में हरियाली का सपना बुनती।पत्ते जो धूप नहीं देखते,...
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मजदूर का बहता पसीना ही संगीत। 

मजदूर का बहता पसीना ही संगीत।  मजदूर का बहता पसीना ही संगीत।     कितनी बार देखा मैंने उसके माथे से फिसलती एक बूँद धरती पर गिरकर बज उठती  जैसे कोई पुराना राग भैरवी, या फिर किसी अधूरे सपने का आलाप।     वह हथौड़ा नहीं चलाता, वह एक तान...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। ईमानदारी और ईमानदार।    हां सचमुच यह सच है, कि वह इमानदार है यह भी सच है वह गरीब और फटे हाल है, आपदाओं से घिरा हुआ,  आफतों का साथी, परेशानियां उसे छोड़ती नहीं, पर वह परेशान नहीं, मायूस भी नहीं,...
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संजीव -नी।

संजीव -नी। कविता, चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते हैइस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को झुकाते है।मायुसी विषाद की जड़ होती है,उदासी...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। कविता,    प्यारी मां तेरी जैसी l स्वरूपा नारी सर्वत्र पूजनीय) पुरुषों को स्त्रियों का कृतज्ञ होना चाहियेl     हर किसी की माँ हो, माँ हो मेरी जैसी, हर नारी लगती प्यारी मुझे मां जैसीl    रोटी के इंतजाम में गई मां की...
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संजीव-नी|

संजीव-नी| आज मेरे दिल का क्या हाल है।     आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है।     आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है।     सोते जागते...
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कविता/कहानी 

संजीव-नी। 

संजीव-नी।  कविता       तमाम रातों का जुगनू बना दिया मुझको।     तेरी बेरुखी ने नया तजुर्बा दिया मुझको कैसे जीते यहाँ यह सिखा दिया मुझको।     कोशिश लाख करूं उस पल को भूलता नहीं बेचैनी का एक सिलसिला दिया मुझको।     तोक अपने उसूलों के...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। देशभक्ति का जज्बा।    देश में आतंकवादियों के हमले से हुए  शहीदों की शहादत पर बाकी बचे हुए अस्पताल में पड़े हताहत पर।    एक भिखारी ने  दिया खुलकर दान बढ़ा दी मानवता की आन और बढ़ा दी भिखारियों की शान।   भिखारी...
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संजीव-नी। 

संजीव-नी।  वक्त कभी रुकता नहीं संजीव।     बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं।     जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं।     जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा...
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कविता

कविता दुनिया आजमाती रही मुझे संजीव।     अपने अंदाज ही बड़े निराले हैं प्यार के जख्म दिल में पाले हैं।     मौज करते हैं मांग मांग कर जो मजबूत हाथ पैर वाले हैं।     जिंदगी में जो रंगीन दिखते हैं दिल के कुछ गोरे...
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संजीवनी।

संजीवनी। क्रूरता की परिणति युद्ध।     युद्ध के बाद बड़ा पश्चाताप ही परिणति होती है, अक्सर होता है ऐसा देश या इंसान दुख और पश्चाताप में डूब जाता है हमेशा के लिए। युद्ध, हिंसा,  किसी समस्या का हल नहीं। फिर क्यों लोग...
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